पाकिस्तान में लंबे समय से हिंदू विवाह पर कानून बनाने की मांग की जाती रही है. लेकिन अंतत: पाक संसद ने हिंदू विवाह कानून 2015 को पारित कर दिया. पाक संसद ने नवाज शरीफ की सत्ताधारी राजनीतिक पार्टी पाकिस्तान मुसमिल लीग – नवाज के सांसदों के समर्थन से इस बिल को पारित कर दिया. अब नए विवाह कानून के तहत पाकिस्तान में रह रहे हिंदू समुदाय की लड़कियों और लड़कों की विवाह करने की उम्र 18 साल तय हो गयी. लेकिन इस कानून के उपधारा पर हिंदुओं को आपत्ति है.
हालांकि पाकिस्तान के सिंधु विधानसभा में यह बिल पारित हुआ है. पाकिस्तानी संसद ने इस बिल के लिए पहले ही अनुमोदन दे दिया था. उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान बनने के बाद पहली बार किसी प्रदेश में यह कानून पास हुआ है. गौरतलब है कि पाकिस्तान में हिंदू अल्पसंख्यक हैं. लेकिन एकमात्र सिंधु प्रदेश में हिंदू बड़ी तादाद में हैं. इसीलिए यहां हिंदुओं को विवाह पंजीकरण का कानूनी अधिकार मिल गया है. यह साफ नहीं है कि पाकिस्तान के बाकी प्रदेशों में जहां हिंदू अल्पसंख्यक हैं, उनके विवाह का पंजीकरण कैसे होगा.
इससे पहले पाकिस्तान में हिंदू नागरिकों के विवाह को लेकर तलाक का कोई कानून अलग से नहीं था. इससे पाक हिंदू महिलाओं को बैंक एकाउंट खोलने से लेकर वीसा तक के मामले में तरह-तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता था. इसके अलावा सरकार प्रमाणपत्र प्राप्त करने में भी कई तरह की अड़चनें पेश आया करती थीं.
हालांकि पाक संसद में इस बिल के विरोध में भी कुछ सांसद थे. इन राजनीतिक दलों के सांसदों ने हिंदू लड़कियों की विवाह योग्य उम्र को लेकर सवाल उठाया था. उनका कहना था कि अगर कोई हिंदू लड़की धर्म परिवर्तन करके मुसलिम हो जाती है या मुसिलम लड़के से ब्याह होता है तो उसकी विवाह योग्य उम्र क्या होगी?