भोपाल की जिला अदालत में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने 18 साल पहले मानहानि का एक मुकदमा दायर किया था. हुआ इतना भर था कि 1998 के विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान राज्य के ही एक और पूर्व मुख्यमंत्री व दिग्गज भाजपाई नेता सुंदरलाल पटवा और विधानसभा में तत्कालीन प्रतिपक्ष नेता विक्रम वर्मा ने यह वक्तव्य दे डाला था कि दिग्विजय सिंह चर्चित हवाला कांड के आरोपी बी आर जैन से मिले हुए हैं. कुछ ऐसे ही और भी आरोप सुंदरलाल पटवा ने लगाए थे. इन आरोपों के खास माने नहीं थे. राजनीति में इस तरह के आरोपप्रत्यारोप इतने आम और रोजमर्राई हैं कि हफ्तेदस दिन तक मानहानि का कोई मुकदमा एक नेता दूसरे के खिलाफ दायर न करे तो ऐसा लगता है कि देश के नेता निष्क्रिय और सुस्त हो गए हैं.

दिग्विजय-सुंदरलाल मामले में एक और दिलचस्प बात बीते दिनों उजागर हुई जब दिग्विजय सिंह ने भोपाल में ही यह कहा कि उन्होंने पटवा और वर्मा के खिलाफ दायर किए मुकदमे वापस लेने का मन बना लिया है. इस बाबत दिग्विजय सिंह ने वजह यह बताई कि खुद सुंदरलाल पटवा ने उन से फोन पर गुजारिश की है कि चूंकि वे 92 साल के हो रहे हैं, इसलिए आप यह मुदकमा वापस ले लें.

दरियादिली दिखाते दिग्विजय सिंह ने हां कर दी है और यह भी कहा कि अगर पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती भी ऐसा ही अनुरोध करेंगी तो वे उन के खिलाफ भी 12 साल पहले दायर किया गया मानहानि का मुकदमा वापस ले लेंगे. गौरतलब है कि उमा भारती ने दिग्विजय पर घोटालेबाज होने का आरोप लगाया था पर 12 साल गुजर जाने के बाद भी वे इसे सिद्ध नहीं कर पाई हैं. अब दिग्विजय सिंह चाहते हैं कि उमा भारती सार्वजनिक रूप से अपने उस आरोप के बाबत स्पष्टीकरण दें तो मुकदमा वापसी पर वे विचार कर सकते हैं. यह और बात है कि उमा इस पेशकश पर खामोश हैं. यानी मुकदमा चलता रहे, उन की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ने वाला, केंद्र की सरकार में जो हैं.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...