दिल्ली में एक छात्र द्वारा अपनी महिला मित्र की अश्लील तसवीरें उतार कर एमएमएस बनाने व आगे दूसरे छात्रों द्वारा उस की फिल्म बनाने एवं फिर उसे बाजी डौट कौम द्वारा बेचने का सनसनीखेज मामला एकमात्र मामला नहीं है. ऐसे सैकड़ों मामले पूरे विश्व में खतरनाक ढंग से बढ़ रहे हैं. सूचना क्रांति के विस्तार के साथ ही अपराधों में वृद्धि हुई है, ये साइबर अपराध कंप्यूटर सौफ्टवेयर्स के माध्यम से किए जाते हैं. विश्व में करोड़ों लोग जो इंटरनैट का प्रयोग करते हैं, साइबर अपराध की आशंका से ग्रस्त रहते हैं. साइबर अपराध साधारणत: किसी प्रकार की हिंसा नहीं फैलाते लेकिन लालच, सम्मान और किसी व्यक्ति के चरित्र के कमजोर पहलू के साथ खेल कर विभिन्न अपराधों को जन्म देते हैं. साइबर अपराधों में आपराधिक गतिविधियां जैसे चोरी, धोखा, गबन, अपमान करना आदि सम्मिलित हैं. साइबर अपराध वे गैरकानूनी कार्य हैं जिन में कंप्यूटर का इस्तेमाल होता है तथा इस में सूचना, तकनीकी एवं आपराधिक गतिविधियां सम्मिलित होती हैं. विभिन्न प्रकार के साइबर अपराधों को निम्न प्रकार से बांटा जा सकता है :

व्यक्तिगत अपराध

इस प्रकार के अपराध किसी व्यक्ति या उस की निजी संपत्ति आदि को ले कर हो सकते हैं. इन में इलैक्ट्रौनिक मेल, साइबर स्टौकिंग, अश्लील/आपत्तिजनक सामग्री के इंटरनैट द्वारा प्रसार से हैकिंग/क्रैकिंग या किसी अन्य अपराध में कंप्यूटर का प्रयोग करना, वाइरस फैलाना, इंटरनैट साइट्स पर अतिक्रमण तथा बिना स्वीकृति के किसी व्यक्ति के कंप्यूटर पर गलत या आपराधिक तरीके से कब्जा करना आदि सम्मिलित हैं.

किसी संस्था के विरुद्ध

इस प्रकार के अपराध सामान्यत: किसी सरकारी, निजी संस्था, कंपनी या किसी समूह के खिलाफ हो सकते हैं. ये अपराध भी हैकिंग, क्रैकिंग द्वारा अथवा गैरकानूनी ढंग से सूचनाओं को प्राप्त करने और उन का इस्तेमाल किसी संस्था या सरकार के विरुद्ध कर के किए जाते हैं. पाइरेटेड सौफ्टवेयर का वितरण एवं अन्य प्रकार के गैरकानूनी कंप्यूटर संबंधी कार्यों से संबंधित अपराध इस श्रेणी में आते हैं.

समाज के विरुद्ध

ये अपराध किसी व्यक्ति या संस्था के विरुद्ध ही सीमित न रह कर संपूर्ण समाज को प्रभावित करते हैं. इस प्रकार के अपराधों में पोर्नोग्राफी तथा अश्लील सामग्री या ट्रैफिकिंग जैसे अपराध शामिल होते हैं.

विभिन्न प्रकार के साइबर अपराध

हैकिंग

यह सब से ज्यादा प्रचलित साइबर अपराध है. सूचना प्रौद्योगिकी ऐक्ट 2000 में इस प्रकार के अपराधों को बताते हुए कहा गया है, ‘‘जो भी जानबूझ कर या बिना जाने किसी गलत कार्य द्वारा पब्लिक या व्यक्ति को हानि पहुंचाता है अथवा पहुंचाने का प्रयास करता है उसे हैकिंग कहते हैं. इस प्रकार के अपराधों में कंप्यूटर पर ही सूचनाओं को गैरकानूनी ढंग से अधिगृहीत कर नुकसान पहुंचाने का कार्य किया जाता है.’’

सुरक्षा से संबंधित अपराध

इंटरनैट तथा नैटवर्क की तेज रफ्तार से वृद्धि के साथ नैटवर्क सुरक्षा बहुत महत्त्वपूर्ण हो गई है. निजी गुप्त सूचनाओं को आमजन तक प्रचारितप्रसारित करना ही सुरक्षा व्यवस्था से संबंधित अपराधों की श्रेणी में आता है. यह कार्य नैटवर्क पौकेट स्निफर द्वारा किया जा सकता है जो संपूर्ण सूचनाओं को छोटेछोटे टुकड़ों में बांट कर उन का पुन: वितरण और प्रचारप्रसार करते हैं. ये नैटवर्क पौकेट स्निफर एक सौफ्टवेयर तकनीक को विकसित करते हैं तथा उपभोगकर्ता को उपयोगी सूचनाएं ग्रहण करने हेतु खाता संख्या एवं पासवर्ड उपलब्ध करवाते हैं. सुरक्षा व्यवस्था को इस से गंभीर खतरा उत्पन्न होता है.

इंटरनैट पर धोखाधड़ी

यह भी विशेष प्रकार का अपराध है. इंटरनैट कंपनियां इंटरनैट पर अपने उत्पादों की मार्केटिंग करती हैं. खराब उत्पादों की मार्केटिंग के लिए वे अपने ग्राहकों को गलत सूचनाएं दे कर उन्हें फंसाती हैं. इस प्रकार की कई भ्रामक और धोखाधड़ी वाली स्कीम्स को औनलाइन इंटरनैट द्वारा समाचारपत्र आदि द्वारा प्रस्तुत कर गबन करने के अनेक उदाहरण मिलते हैं.

क्रैडिट कार्ड धोखाधड़ी

यद्यपि इंटरनैट द्वारा मुद्रा का स्थानांतरण और लेनदेन करना बहुत आसान हो गया है, वहीं इस तकनीक ने कई प्रकार के साइबर अपराधों को जन्म भी दिया है. इन में मुख्य है, क्रैडिट कार्ड धोखाधड़ी. इस प्रकार के अपराध में किसी कार्डधारक के डिजिटल हस्ताक्षर बना कर उस के कोड नंबर की चोरी की जाती है. भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी ऐक्ट 2000 की धारा 73 के अनुसार इस प्रकार के अपराधों के लिए 2 वर्ष तक का कारावास या 2 लाख रुपए जुर्माना अथवा दोनों दंड निर्धारित हैं.

पोर्नोग्राफी

इंटरनैट पर अश्लील फिल्मी दृश्यों को देखना अब बहुत आसान हो गया है. युवाओं में तो पोर्नोग्राफी का बहुत के्रज है. पोर्नोग्राफी मैटीरियल आसानी से और कम पैसे में प्राप्त भी हो सकता है. मोबाइल फोन की तकनीक में विकास के कारण इन्हें भी कानून की भाषा में कंप्यूटर के समकक्ष माना गया है तथा इस से भी किसी अश्लील सामग्री की रिकौर्डिंग, संग्रहण और उस का आदानप्रदान बहुत आसान हो गया है. आजकल किसी भी फिल्म को तुरंत रिकौर्ड कर एमएमएस अथवा अन्य तरीकों से कुछ ही समय में संपूर्ण विश्व में प्रसारित कर सकते हैं. इस प्रकार इन दृश्यों में छेड़छाड़ अथवा जोड़तोड़ कर अश्लील सामग्री भी तैयार की जा सकती है. इंटरनैट और अन्य तकनीक की इस प्रगति का एक और दुष्प्रभाव इस के द्वारा अश्लील दृश्यों व फिल्मों का बच्चों तक आसानी से पहुंचना है. ऐसा करने वाले भी साइबर अपराधी कहलाते हैं.

सूचना प्रौद्योगिकी ऐक्ट 2000 और पोर्नोग्राफी

साइबर अपराधों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर सूचना प्रौद्योगिकी ऐक्ट 2000 बनाया गया. इस ऐक्ट के तहत अश्लील दृश्यों का प्रचारप्रसार एक दंडनीय साइबर अपराध है. इस ऐक्ट के अनुसार‘जो भी व्यक्ति, संस्था या समूह किसी भी प्रकार की अश्लील सामग्री को प्रकाशित व प्रसारित करने का प्रयास करेगा, जिस से कि किसी व्यक्ति को पढ़ने, सुनने, देखने के लिए प्रेरित किया जा सके अथवा उस के मस्तिष्क में किसी प्रकार की विकृति उत्पन्न कर सके, को इस ऐक्ट के तहत साइबर अपराधी माना जाएगा. उसे 5 वर्ष की कैद या 1 लाख रुपए तक का जुर्माना अथवा दोनों की सजा का प्रावधान है. दोबारा ऐसा प्रयास करने पर उसे 10 वर्ष के कारावास या 10 लाख रुपए जुर्माना अथवा दोनों की सजा का प्रावधान भी किया गया है.’

क्रिप्टोग्राफी, प्राइवेसी और राष्ट्रीय सुरक्षा

इंटरनैट द्वारा लोगों को अपना दृष्टिकोण प्रकट करने और किसी के प्रति टिप्पणी करने का विश्वव्यापी मंच प्राप्त हो गया है. लेकिन इस का अर्थ यह नहीं है कि किसी को अमर्यादित किया जाए या उन की प्राइवेसी में दखलंदाजी की जाए. अगर कोई ऐसा करता है तो वह साइबर अपराधी कहलाएगा. क्रिप्टोग्राफी वास्तव में शब्दों का प्रयोग कर संदेश को इस प्रकार प्रसारित करना है कि मात्र प्रेषक एवं संदेश प्राप्तकर्ता ही उसे समझ सके. इस प्रकार न केवल व्यक्ति की निजी स्वतंत्रता बनी रहती है बल्कि दूसरों को भी इन कोड शब्दों की जानकारी प्राप्त नहीं होती. आधुनिक युग में इस प्रकार के कार्यों में भी कोडवर्ड की चोरी करने एवं उन संदेशों को गैरकानूनी ढंग से अनाधिकृत व्यक्तियों व कंपनियों तक पहुंचने से व्यावसायिक संगठनों को ही नहीं बल्कि देश की सुरक्षा एजेंसियों के गुप्त कार्यों का पता दुश्मनों को चल जाता है जिस से राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है.

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