जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में कथित देश विरोधी नारों को ले कर उठा देशद्रोह का बवाल फिर गरमा रहा है. दिल्ली पुलिस के जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार समेत 10 लोगों के खिलाफ पटियाला हाउस कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करने के बाद मामला सुर्खियों में आ गया है. यह ऐसे वक्त चर्चा में लाया गया है जब आम चुनावों में महज 3 महीने रह गए हैं. ऐसे में पुलिस द्वारा दाखिल चार्जशीट की टाइमिंग पर सवाल उठ रहे हैं.

दरअसल संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी पर लटकाए जाने के विरोध में 9 फरवरी 2016 को जेएनयू कैंपस में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था. आरोप लगे थे कि कार्यक्रम के दौरान कथित रूप से देश विरोधी नारे लगाए गए थे.

पुलिस ने गवाहों के बयानों के बाद कन्हैया, उमर खालिद, अनिर्बान भट्टाचार्य, अकीब हुसैन, बशरत अली, मुजीब हुसैन गट्टू, उमर  गुल, मुनीब हुसैन, रईस रसूल और खालिद बशीर पर देशद्रोह का मामला दर्ज किया था. इन छात्रों में से कन्हैया, उमर, अनिर्बान जेएनयू में पढ़ते थे, जबकि बाकी बाहरी थे.

कोर्ट में पेश 1200 पेजों की चार्जशीट में 90 गवाह बनाए गए हैं. उन में 30 ऐसे हैं जो देश के खिलाफ की गई कथित नारेबाजी के प्रत्यक्षदर्शी हैं. इन में कुछ जेएनयू के स्टाफ और सुरक्षा कर्मचारी हैं.

चार्जशीट में कहा गया है कि यह 2016 की घटना एक सुनियोजित साजिश का परिणाम थी, जिस दौरान देश विरोधी नारे लगाए गए थे.

दरअसल जब से केंद्र में भाजपा सरकार आई विश्वविद्यालयों की स्वायतत्ता पर हमला शुरू हो गया. विश्वविद्यालय जो बहस  केंद्र थे, विभिन्न विचाराधाराओं के बीच एक स्वस्थ तर्कवितर्क होते चले आ रहे थे, उस पर रोक लगाने के प्रयास शुरू हो गए और कट्टर हिंदुत्ववादी विचार थोपने के लिए झूठे राष्ट्रवाद का पाखंड खड़ा कर दिया गया.

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