भारत सरकार का एक विभाग फलफूल रहा है--औनलाइन फाइलिंग को जबरन थोपने वाला. दावा किया जा रहा है कि औनलाइन फाइलिंग से समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है. देश का व्यापारी खुश है कि चलो घर बैठे काम हो जाएगा.
पर यह औनलाइन एक तरह का जंजाल बनता जा रहा है क्योंकि सरकार ने अरबों रुपए खर्च कर के ऐसे सौफ्टवेयर बनवा लिए हैं कि आयकर, बिक्रीकर, उत्पादकर, सेवाकर के साथसाथ बैंकों से लेनदेन, कै्रडिट कार्ड की एंट्रियां, बच्चों के स्कूलों की फीस, हवाई यात्राएं आदि सब का ब्योरा एक जगह जमा हो सकता है. आम आदमी कितना ही चतुर हो, औनलाइन फौर्म भरते समय याद नहीं रख सकता कि उस ने कब कहां क्या भरा था. सरकारी साइटें वैसे भी बेदर्द होती हैं और कभी भी काम के लगभग पूरा हो जाने के समय बंद हो सकती हैं और तब पूरा काम दोबारा करना पड़ सकता है.
इस का मतलब है कि सरकारी आदमी जब चाहे किसी का भी 4-5 जगह का ब्योरा जमा कर के ब्लैकमेल कर सकता है. इन विवरणियों में इतनी जानकारी मांगी जाती है कि अच्छेअच्छों के बस की नहीं है कि हर औनलाइन फौर्म में हर बात के लिए वह वही जानकारी भरता रहे. भूल से, कहीं भी गलती हो गई तो उस नागरिक को धर लिया जाएगा.
औनलाइन विवरणियां देना चाहे आकर्षक लगे पर यह एक ऐसे जंजाल में फंसना है जिस से निकलना असंभव सा हो सकता है. हर नागरिक को अपनी बातें गुप्त रखने का हक है अगर वह कोई अपराध नहीं कर रहा और पूरा कर दे रहा है. औनलाइन फौर्म की विवरणियां जरूरत से ज्यादा जानकारी मांगती हैं. अगर पूरी जानकारियां नहीं दीं तो फौर्म को अधूरा भरा मान कर औनलाइन कर्सर आगे नहीं बढ़ता.