क्योंकि अब पहले वाला जमाना रहा नहीं कि जब कम उम्र में शादियां होती थीं तो मातापिता बेटियों को सोना इसलिए दे देते थे कि मुसीबत में काम आएगा लेकिन अब जमाना बदल गया है, बेटियांबहुएं सब आत्मनिर्भर हैं फिर इतने महंगे रेट का एक तोला सोने में कुछ भी नहीं होता. समाज के कुछ लोगों ने सोने को स्टेटस सिम्बल बना दिया गया है, जिस की वजह से जैसेतैसे शादियों में सोना अरेंज करते हैं और जरूरत पड़ने पर जब इन जेवरों को बेचने जाओ तो आधे दाम ही मिलते हैं.
गोल्ड या सोना फाइनेंशियल सिक्योरिटी के लिए ठीक हैं, डेली में पहनने के लिए लाइटवेट गोल्ड ज्वैलरी या इमिटेशन ज्वैलरी पहनी जा सकती है. आजकल आर्टिफिशल गहने इतने सुंदर मिलते हैं कि सोना उस के आगे फीका ही हो गया है. जब चाहो अलगअलग डिजाइन के ड्रैस से मैच कर के खरीदो और लूटने का भी चक्कर नहीं.
सोने के गहने खरीदना महिलाओं के लिए अच्छा औप्शन नहीं
जब बात निवेश की हो तो हर कोई इससे होने वाले रिटर्न के बारे में पहले सोचता है. पारंपरिक कारणों से भले ही सोना खरीदना शुभ माना जाता हो लेकिन शौक के अतिरिक्त सोने के गहने खरीदना एक अच्छा निवेश विकल्प नहीं है. सोने की अंगूठी, नौलखा हार, ईयरिंग्स खरीदना निवेश के नजरिए से घाटे का सौदा हो सकता है क्योंकि गहने बेचने जाने पर उस की रीसेल वैल्यू कम होती है यानी गहने खरीदते समय केवल सोने के पैसे नहीं लगते बल्कि कई अन्य चार्ज जैसे कि मेकिंग चार्जेज भी देने पड़ते हैं जो बहुत ज्यादा होते हैं. और जरूरत पर गहने बेचते समय मेकिंग चार्जेस नहीं मिलता. इस के अलावा सोने के गहनों की सेफ़्टी भी एक समस्या है. गहनों को सेफ रखने के लिए उन्हें लौकर में रखने पर चार्ज देना पड़ता है और घर में रखना सेफ नहीं होता.
कितना अच्छा होगा यदि फाइनेंशियल मजबूती के लिए गोल्ड को अपने पास रखने के अन्य विकल्प तलाशें जाएं.
समय के साथ निवेश करने के तरीके बदल रहे हैं. आज 10 में से 7 भारतीय गोल्ड में निवेश को सुरक्षित निवेश मानते हैं. 35 वर्ष से कम के 75 प्रतिशत लोग सोने में निवेश के लिए फिजिकल की तुलना में डिजिटल निवेश को अधिक महत्व दे रहे हैं. इस की वजह लिक्विडिटी और निवेश की आसान सुविधा का होना है.
गोल्ड में निवेश के तरीके
गोल्ड में निवेश के 2 तरीके हैं, एक डिजिटल, दूसरा फिजिकल. बहुत सारे लोग इमोशनल वैल्यू के चलते फिजिकल गोल्ड पसंद करते हैं लेकिन निवेश के लिहाज से डिजिटल गोल्ड खरीदना सही माना जाता है. गोल्ड ज्वैलरी या फिजिकल गोल्ड के साथ चोरी होने का खतरा रहता है. इस से बचने के लिए बैंक लौकर का सहारा लेते हैं तो उस के लिए भुगतान करना पड़ता है.
दूसरा गोल्ड ज्वेलरी खरीदते वक्त धोखाधड़ी हो जाती है और बेचते समय मेकिंग चार्ज और मिलावट आदि के नाम पर कटौती भी होती है.
डिजिटल गोल्ड
डिजिटल गोल्ड एक आधुनिक निवेश विकल्प है, जहां ग्राहक डिजिटल प्लेटफार्म का उपयोग कर के सोने की इकाइयां खरीद सकते हैं. यह विकल्प युवाओं के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहा है क्योंकि यह सुविधाजनक और सरल है.
गोल्ड ईटीएफ
गोल्ड ईटीएफ में निवेश करना कई लिहाज से फायदेमंद साबित होता है. गोल्ड ईटीएफ की यूनिट को शेयर की तरह इलैक्ट्रानिक फार्म में डीमैट खाते में रखा जा सकता है. बीएसई और एनएसई पर इन की ट्रेडिंग होती है. मतलब कारोबारी घंटों के दौरान इन्हें कभी भी बेचाखरीदा जा सकता है. गोल्ड ईटीएफ में स्टोरेज का खर्च कम है. इस में मेकिंग चार्ज या मिलावट का कोई झंझट नहीं है. आप छोटी रकम से भी गोल्ड ईटीएफ में निवेश कर सकते हैं. गोल्ड ईटीएफ को मार्केट वेल्यू पर खरीदा और बेचा जा सकता है.
ये इस तरह है कि सोना खरीदा और बेचा मगर फिजिकल फार्म में नहीं बस कीमत सोने की होती है. यह म्यूचुअल फंड की ही स्कीम है जिन्हें यूनिट के तौर पर खरीदा जाता है. न चोरी होने का डर, न मेकिंग चार्ज का लौस और न ही मिलावट का खतरा. जितना मर्जी चाहें खरीद सकते हैं. गोल्ड ईटीएफ में खरीददारी के लिए कई विकल्प बाजार में मौजूद हैं.
गोल्ड कोइन्स
ज्वैलर्स, बैंकों और ई-कौमर्स वेबसाइटों पर गोल्ड कोइन्स आसानी से मिलते हैं. हर कोइन बीआईएस मानक के अनुसार हौलमार्क किया गया होता है जो उस की गुणवत्ता की गारंटी देता है. इन कोइन्स को खरीदने का एक बड़ा फायदा यह है कि ये सुरक्षित और लेनदेन में आसान होते हैं.
घर में सोना रखने की लिमिट और सोना बेचने पर लगने वाला टैक्स
भारत सरकार के आयकर कानून के मुताबिक विवाहित महिलाएं अपने पास 500 ग्राम सोना रख सकती हैं जबकि अविवाहित महिलाओं के लिए ये सीमा 250 ग्राम रखी गई है. वहीं पुरुषों को केवल 100 ग्राम सोना रखने की इजाजत है. इस के अलावा अगर आप टैक्स-फ्री इनकम से सोना खरीदते हैं या कानूनी तौर पर सोना आप को विरासत में मिलता है तो उस पर आप को कोई टैक्स नहीं देना होगा. लेकिन तय सीमा से ज्यादा सोना होने पर आप को रसीद दिखानी होगी और अगर आप 3 साल तक सोना रखने के बाद उसे बेचते हैं तो उस से होने वाले प्रौफिट पर 20 फीसदी की दर से लोन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स भी देना होगा.
गोल्ड के बदले लोन का औप्शन
गोल्ड एक ऐसा मेटल है जिस की हमेशा दुनियाभर में अपनी एक अलग अहमियत रही है. आभूषण की तरह पहनने से ले कर कई बार बच्चों की पढ़ाई, शादी, घर बनवाने या इमरजेंसी में मैडिकल खर्च के लिए भी गोल्ड, लोन लेने के काम आता है. गोल्ड लोन दूसरे अन्य लोन की तुलना में ज्यादा सुरक्षित माना जाता है साथ ही गोल्ड लोन की अच्छी बात है कि यह अनसिक्योर्ड लोन जैसे पर्सनल लोन, प्रौपर्टी लोन, कौर्पोरेट लोन की तुलना में सस्ताो पड़ता है लेकिन, गोल्ड लोन लेना तभी सही होता है, जब कुछ वक्त के लिए ही पैसों की जरूरत हो.
सामान्यतया बैंक 3 महीने से 3 साल तक के लिए गोल्ड लोन देते हैं. यह आप पर निर्भर करता है कि आप के कितने समय के लिए कर्ज चाहिए या फिर आप उसे कितने समय में लौटा सकते हैं.
सोने के बदले लोन लेने की पहली शर्त है कि जिस गोल्ड को आप गिरवी रख रहे हैं वह कम से कम 18 कैरेट शुद्ध होना चाहिए. बैंक या एनबीएफसी गहनों और सोने के सिक्कों के बदले ही लोन देते हैं. आप 50 ग्राम से ज्यादा वजन के सोने के सिक्के गिरवी नहीं रख सकते.
वित्तीय संस्थान गोल्ड बार को भी गिरवी नहीं रखते. अगर लोन पर आप डिफौल्ट कर गए तो वित्तीय संस्थान को आप का सोना बेचने का हक है इस के साथ ही, अगर सोने का भाव गिरता है तो आप से अतिरिक्त सोना गिरवी रखने के लिए भी कहा जा सकता है.
गोल्ड लोन में भी दूसरे आम लोन की तरह प्रोसेसिंग फीस लगती है जो बैंकों और एनबीएफसी के हिसाब से अलगअलग होती है और प्रोसेसिंग फीस पर जीएसटी लगने के अलावा कुछ बैंक और वित्तीय संस्थान वैल्यूएशन फीस भी लेते हैं. साथ ही सर्विस चार्ज, एसएमएस चार्ज और सिक्योर्ड कस्टडी फीस जैसे कुछ अन्य खर्चे भी होते हैं.
गोल्ड लोन का री-पेमेंट
अगर आप नौकरीपेशा हैं तो आप हर महीने ईएमआई में पेमेंट कर सकते हैं या आप के पास एकमुश्त मूल भुगतान के साथ ब्याज भरने का विकल्प भी चुन सकते हैं.
अब आप समझ गए होंगे कि सोना कितना सोना है.