धर्मग्रंथों के आधार पर यह माना जाता है कि लंकापति रावण का जन्म गौतमबुद्ध नगर के बिसरख गांव में हुआ था. यहीं पर रावण ने शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर आराधना की थी. इस कहानी को सुना कर बिसरख गांव के लोगों को न तो दशहरे का त्यौहार मनाने दिया जाता है न ही रावण दहन करने दिया जाता है. रावण से जुड़ी इसी कपोल गाथा के कारण बिसरख के बारे में देश और दुनिया बहुत कुछ जानती है.

बिसरख इलाके में एक गांव हैबतपुर है. इसी गांव में शिवम (26) अपनी पत्नी माला (24) के साथ किराए के मकान में रहता था. माला ने जहां एमकौम की पढ़ाई की थी, वहीं शिवम ने एमबीए किया था. सन 2016 में शिवम और माला की जानपहचान फेसबुक के माध्यम से हुई थी.

बाद में दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गई. दोनों एक ही बिरादरी के थे, लिहाजा नवंबर 2017 में दोनों ने परिजनों की सहमति से विवाह कर लिया. शादी के कुछ समय बाद शिवम ने नोएडा के एक मौल में सेल्स एग्जीक्यूटिव की नौकरी कर ली.

हालांकि शादी से पहले माला भी जौब करती थी लेकिन बाद में जब वह गर्भवती हुई तो उस ने नौकरी छोड़ दी थी. इन दिनों वह 5 माह के गर्भ से थी. ऐसे में उस ने घर से दूर जा कर नौकरी करनी जरूरी नहीं समझी. वह घर में ही बच्चों की कोचिंग के साथ पास के एक प्राइवेट स्कूल में टीचिंग जौब भी करने लगी थी.

अगर माला के पास समय बचता था तो वह क्रिश्चियन बागू कालोनी में रहने वाले अपने मातापिता के पास चली जाती थी.

माला रामअवतार और मालती देवी की 4 संतानों में सब से छोटी थी. उस की 2 बड़ी बहनें और एक भाई है.सब की शादी हो चुकी है और सभी गाजियाबाद के आसपास ही रहते हैं. शिवम के परिवार में भी उस के मातापिता के अलावा 3 भाई और एक बहन है. वे भी गाजियाबाद में ही रहते हैं.

7 अप्रैल, 2018 को शिवम रोज की तरह ड्यूटी के लिए सुबह साढ़े 10 बजे हैबतपुर स्थित घर से मोटरसाइकिल से निकला. वह अकसर रात को 9 बजे तक औफिस से घर लौटता था. शिवम का नियम था कि वह दोपहर को 2 बजे लंच टाइम में माला को फोन कर के उस की खैरियत पूछ लेता था और उस के खानपान व दवा आदि लेने की याद दिला देता था.

लेकिन उस दिन जब शिवम ने माला को फोन किया तो उस के दोनों मोबाइल फोन स्विच्ड औफ मिले. शिवम ने सोचा कि माला खाना खा कर आराम कर रही होगी. नींद में खलल से बचने के लिए उस ने मोबाइल स्विच्ड औफ कर लिए होंगे.

इस के बाद उस ने करीब 5 बजे फोन किया. लेकिन इस बार भी उस के फोन स्विच्ड औफ ही मिले. इस से शिवम को माला की चिंता होने लगी. लेकिन इस के बाद व्यस्तता की वजह से रात 8 बजे तक उसे माला को फोन करने का समय नहीं मिला.

फुरसत मिलते ही शिवम ने माला को फिर फोन किया तो इस बार भी उस का फोन बंद मिला. यह देख शिवम की परेशानी चरमसीमा पर पहुंच गई. ये सारे फोन शिवम ने अपने मौल के लैंडलाइन नंबर से किए थे.

दरअसल उस के औफिस में काम के दौरान किसी को भी मोबाइल फोन रखने की इजाजत नहीं थी, इसलिए शिवम अपना मोबाइल भी घर पर माला के पास ही छोड़ कर जाता था.

हैरानी की बात यह थी कि माला के फोन के साथ उस का मोबाइल भी स्विच्ड औफ था. हैरानपरेशान शिवम ने 8 बजे जल्दीजल्दी काम समेटा और आधा घंटे में घर के लिए निकल पड़ा. रात 9 बजे वह घर पहुंचा तो देखा कि फ्लैट के मुख्य दरवाजे पर ताला लटका था.

सब से पहले शिवम ने मकान के पहले और तीसरे तल पर रहने वाले किराएदारों से माला के बारे में पूछा. उन लोगों ने बताया कि दोपहर से उन्होंने माला को नहीं देखा.

घर की एक चाबी शिवम के पास भी रहती थी. ताला खोल कर शिवम घर के भीतर गया तो उस का बैडरूम कुछ असामान्य सा था. बैडरूम में पड़े बैड पर काफी सामान बिखरा हुआ था और कमरे में रखी लोहे की अलमारी में भी सामान बेतरतीबी से इधरउधर डाल दिया गया था.

‘‘कहीं ऐसा तो नहीं कि माला अपने मम्मीपापा के पास चली गई हो,’’ सोच कर वह अपनी बाइक से ससुराल की तरफ चल दिया.

उस ने सासससुर से माला के बारे में पूछा तो वे चौंके, क्योंकि उस दिन माला न तो उन के पास आई थी और न ही उस दिन उस ने फोन किया था. परिवार के लोग भी परेशान थे.

इस के बाद शिवम और उस के ससुराल वालों ने दूसरे रिश्तेदारों व जानपहचान वालों को फोन कर के पूछताछ शुरू कर दी. लेकिन कहीं से भी उन्हें माला के बारे में कोई खबर नहीं मिली.

रात अधिक हो चुकी थी लिहाजा शिवम अपने ससुर व साले के साथ रात एक बजे थाना बिसरख पहुंचा. यह बात 8 अप्रैल, 2018 की है. ड्यूटी अफसर ने गुमशुदगी की सूचना दर्ज कर माला के हुलिए की जानकारी वायरलैस से जिले के सभी थानों को दे दी.

पुलिस माला को अपने ढंग से तलाश कर रही थी और शिवम तथा उस के ससुराल वाले उसे अपने तरीके से ढूंढ रहे थे. इसी तरह 3 दिन गुजर गए. 11 अप्रैल की दोपहर को इंदिरापुरम पुलिस को सूचना मिली कि कनावनी में नाले के किनारे एक संदिग्ध ट्रौली बैग पड़ा है.

इस सूचना पर पुलिस वहां पहुंची. जांचपड़ताल के बाद ट्रौली बैग में एक महिला की लाश निकली, जिस के हाथपैर सूटकेस के अंदर ही बांधे गए थे. मृतका की गरदन से भी तौलिया लिपटा हुआ था, जिस से साफ लग रहा था कि उस की हत्या करने के बाद शव को ट्रौली बैग में भर कर वहां डाला गया था.

इंदिरापुरम थानाप्रभारी सचिन मलिक और क्षेत्राधिकारी धर्मेंद्र चौहान को साफ लग रहा था कि हत्या कहीं और की गई है और शव को वहां फेंका गया है. लिहाजा उन्होंने घटनास्थल व लाश की फोटो करवा कर समाचार पत्रों व टीवी चैनलों में खबरें प्रकाशित करने के लिए दे दीं.

पुलिस ने गाजियाबाद व आसपास के जिलों की पुलिस को भी लावारिस हालत में मिली महिला की लाश की सूचना दे दी ताकि जल्द से जल्द उस की पहचान हो सके. इंदिरापुरम पुलिस ने शव का पंचनामा भर कर उसे पोस्टमार्टम गृह में सुरक्षित रखवा दिया.

बिसरख थाने में महिला के शव मिलने की जानकारी पहुंची तो पुलिस ने उसी दिन माला के पिता रामअवतार तथा पति शिवम को फोन कर के इंदिरापुरम थाने में मिले शव के बारे में बताया. साथ ही कहा भी कि वे इंदिरापुरम पुलिस के साथ मोर्चरी जा कर वहां रखे शव को एक बार देख लें.

माला के पिता रामअवतार अपने परिवार के साथ इंदिरापुरम थाने पहुंचे और थानाप्रभारी सचिन मलिक को अपनी बेटी माला के लापता होने की बात बताई. इंदिरापुरम पुलिस उन्हें मोर्चरी ले गई.

पुलिस ने उन्हें नाले के किनारे से बरामद की गई महिला की लाश दिखाई तो रामअवतार व उन की पत्नी शव को देखते ही फूटफूट कर रोने लगे. उन्होंने उस की पुष्टि अपनी बेटी माला के रूप में कर दी. जिस ट्रौली बैग में माला का शव मिला था, वह उस के पिता ने शादी के वक्त माला को दी थी.

सूचना पा कर शिवम भी मोर्चरी पहुंच गया. शव को देखने के बाद उस ने भी उस की शिनाख्त अपनी पत्नी माला के रूप में कर दी. शव की शिनाख्त होने के बाद पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.

शव की पहचान के बाद शिवम और माला के पिता इंदिरापुरम थाने पहुंच कर थानाप्रभारी से मिले. थानाप्रभारी ने उन से पूछा कि उन्हें किसी पर शक तो नहीं है. शिवम तो कुछ नहीं बता सका लेकिन माला के पिता रामअवतार ने अपने दामाद शिवम और उस के घर वालों पर शक जताया.

चूंकि मामला गंभीर था इसलिए थानाप्रभारी सचिन मलिक ने सीओ धर्मेंद्र चौहान को फोन कर के सारी बात बता दी. लिहाजा धर्मेंद्र चौहान तत्काल इंदिरापुरम थाने पहुंच गए. रामअवतार ने सीओ चौहान को बताया कि माला की शादी में उन्होंने हैसियत के अनुसार दहेज भी दिया था. लेकिन शादी के बाद से ही शिवम माला को दहेज के लिए परेशान करता था.

प्रेम विवाह करने की वजह से यह बात माला अपने परिजनों को नहीं बताती थी, लेकिन वह अपनी बहनों से अकसर शिवम की प्रताड़ना का जिक्र करती रहती थी. शिवम माला से कहता था कि वह अपने घर वालों से उसे आई10 कार व 5 लाख रुपए ला कर दे.

इस के लिए शिवम अकसर माला को ताने देता रहता था. रामअवतार ने आरोप लगाया कि शिवम ने अपने भाई तथा मांबाप के साथ मिल कर उस की हत्या की है.

रामअवतार की शिकायत पर सीओ चौहान ने उसी दिन इंदिरापुरम थाने में भादंसं की धारा 498ए (क्रूरता), 304बी (दहेज हत्या), 201 (सबूत नष्ट करने), 316 (अजन्मे बच्चे की मौत) के साथ दहेज निषेध अधिनियम 1961 के धारा 3 और 4 के तहत मुकदमा पंजीकृत करवा दिया.

चूंकि मृतका अपने पति के साथ नोएडा के हैबतपुर में रहती थी और संयोग से उस की गुमशुदगी भी उसी थाने में पहले से दर्ज थी, लिहाजा एसएसपी गाजियाबाद वैभव कृष्ण ने हत्या की जांच बिसरख थाने में स्थानांतरित करवा दी.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट से खुलासा हुआ कि मृतका माला 5 महीने की गर्भवती थी यानी ये सिर्फ एक हत्या का नहीं बल्कि एक साथ 2 हत्याओं का मामला था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से यह भी पता चल गया कि माला की हत्या गला दबाने के कारण हुई थी.

दहेज हत्या से जुड़े मामलों की जांच चूंकि राजपत्रित अधिकारी से कराने का नियम है, इसलिए बिसरख पुलिस ने इंदिरापुरम से ट्रांसफर हो कर आए इस मामले को अपने थाने के अभिलेखों में दर्ज कर लिया, जिस की जांच बिसरख के तत्कालीन क्षेत्राधिकारी अनित कुमार सिंह को सौंप दी गई.

शिवम, उस के मातापिता और भाई को बिसरख पुलिस ने तत्काल हिरासत में ले लिया. लेकिन उन्हें जेल भेजने से पहले पुलिस को ऐसे साक्ष्य जुटाने थे, जिस से साबित होता कि वाकई शिवम व उस के परिजनों ने दहेज के लिए माला की हत्या कर के उस के शव को ठिकाने लगाया था.

शिवम नोएडा के सेक्टर-18 के एक मौल में सेल्समैन का काम करता था. लिहाजा पुलिस ने अपनी जांच वहीं से शुरू की. मौल के मैनेजर विक्रम से पूछताछ से ले कर वहां की सीसीटीवी फुटेज और बायोमेट्रिक मशीन के रिकौर्ड से पता चला कि घटना वाले दिन शिवम सुबह 9 बजे घर से आया था और रात को साढ़े 8 बजे वहां से घर जाने के लिए निकला था.

अगर वह अपनी ड्यूटी पर मौजूद था तो जाहिर है कि घटना में वह कहीं भी सक्रिय रूप से शामिल नहीं था. लिहाजा सीओ अनित कुमार सिंह ने तत्काल शिवम और उस के परिजनों की गिरफ्तारी का फैसला टाल दिया.

इस के बाद पुलिस ने शिवम के अलावा उस के मातापिता और भाई के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवाई. उस से ऐसा कोई सुराग नहीं मिला कि शिवम के परिजनों को आरोपी माना जाता. लिहाजा सीओ अनित कुमार सिंह ने माला हत्याकांड के मुकदमे से दहेज हत्या की धाराएं हटा कर आगे की जांच बिसरख थानाप्रभारी अखिलेश त्रिपाठी के सुपुर्द कर दी.

थानाप्रभारी अखिलेश त्रिपाठी ने इस मुकदमे में अब भादंसं की नई धाराएं 302, 201, 316, 394, 411 जोड़ कर नए सिरे से पड़ताल शुरू कर दी. उन्होंने जानकारी जुटानी शुरू की तो पता चला कि माला के पास 2 मोबाइल फोन थे और संयोग से दोनों ही गायब थे.

शिवम ने यह भी बताया कि 7 अप्रैल को जब वह घर पहुंचा तो बाहर ताला लगा हुआ था. एक चाबी चूंकि उस के पास थी, इसलिए उस ने ताला खोल कर देखा. अंदर बैड पर अलमारी के पास सामान बिखरा पड़ा था. जबकि माला घर को करीने से सजा कर रखती थी. शिवम ने बताया कि घर से जेवरात भी गायब थे.

थानाप्रभारी ने माला के दोनों मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवाई और फोन सर्विलांस पर लगा दिए. लेकिन कई दिन तक जांच के बाद भी कोई क्लू नहीं मिला. पता चला कि माला इंटरनेट का काफी इस्तेमाल करती थी, इसलिए पुलिस ने उस के वाट्सऐप और फेसबुक प्रोफाइल को भी खंगाला लेकिन उस में भी कोई सुराग नहीं मिला.

पुलिस को यह पता नहीं चला कि वह किस से बात करती थी. पुलिस को काल डिटेल्स की जांच में माला की एक सहेली के बारे में पता चला, जिस से वह जरूरत से ज्यादा बात करती थी.

लिहाजा पुलिस ने माला की उस सहेली से पूछताछ की. पता चला कि नोएडा में रहने वाली इस सहेली की भी लव मैरिज हुई थी. लेकिन पुलिस को लंबी पूछताछ के बाद भी उस से कोई जानकारी नहीं मिली.

8 अप्रैल को हुई माया की हत्या की जांच करते हुए बिसरख पुलिस को 3 महीने से ज्यादा का वक्त बीत गया था, लेकिन पुलिस को कहीं से कोई क्लू नहीं मिला.

इसी दौरान जून के आखिरी हफ्ते में गौतमबुद्ध नगर के एसएसपी डा. अजयपाल शर्मा ने क्राइम मीटिंग की समीक्षा के दौरान जब देखा कि बिसरख थाने की पुलिस माला हत्याकांड को खोलने में नाकाम रही है तो उन्होंने इस केस की जांच जिला अपराध शाखा को ट्रांसफर कर दी. जिस की जांच का जिम्मा इंसपेक्टर कृष्णवीर सिंह को सौंपा गया.

इंसपेक्टर कृष्णवीर सिंह ने एक बार फिर माला हत्याकांड की जांच नए सिरे से शुरू की. उन्होंने सब से पहले माला के मातापिता के आरोपों को ध्यान में रख कर शिवम के इर्दगिर्द जांच का शिकंजा कसा.

इस के बाद माला व शिवम के विवाहेतर संबंधों को ले कर जांचपड़ताल की. तीसरे चरण में उन्होंने लूट के उद्देश्य से माला की हत्या के ऐंगल की जांच करते हुए आसपड़ोस में रहने वाले लोगों से पूछताछ की.

इसी दौरान पुलिस को माला के घर के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों और आसपड़ोस के लोगों से पूछताछ के दौरान पता चला कि गाजियाबाद के कैलाश नगर में रहने वाले माला की बुआ के लड़के मोहित और उस की पत्नी रिंकी का माला के घर काफी आनाजाना था. वारदात से एक दिन पहले भी दोनों माला के घर आए थे और 3-4 घंटे तक वहीं रहे थे.

इंसपेक्टर कृष्णवीर सिंह ने मोहित को हिरासत में ले कर पूछताछ शुरू कर दी. उस ने बताया कि उस की पत्नी रिंकी व माला की आपस में गहरी छनती थी, इसलिए वह अकसर माला से मिलने और उस की खैरियत लेने के लिए उस के घर आताजाता रहता था. मोहित ने बताया कि आखिरी बार जब वह माला के घर उस से मिलने के लिए गया तो माला ने उस दिन उसे व रिंकी को अपने गहने और कपड़े दिखाए थे.

इस के बाद इंसपेक्टर कृष्णवीर सिंह को पूरा विश्वास हो गया कि माला के गहने देख कर शायद मोहित के मन में लालच आ गया होगा, इसलिए उन्होंने मोहित के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई. इस से पता चला कि मोहित की लोकेशन भी उस दिन माला के घर के आसपास नहीं थी.

इंसपेक्टर कृष्णवीर सिंह ने कई बार मोहित को पूछताछ के लिए बुलाया, लेकिन वह उस के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं जुटा सके. लिहाजा उन्होंने उस की तरफ से ध्यान हटा कर दूसरे बिंदुओं पर केंद्रित कर दिया. इधर बिसरख थाने का ज्यादातर स्टाफ और थानाप्रभारी सभी बदल चुके थे.

बिसरख सर्किल के नए सीओ निशांक शर्मा को जब इस अनसुलझे केस की जानकारी मिली तो उन्होंने थानाप्रभारी अनिल कुमार शाही के नेतृत्व में एक पुलिस टीम बनाई, जिसे इस केस को किसी भी तरह सुलझाने की जिम्मेदारी सौंपी गई.

इस टीम में इंसपेक्टर (इनवैस्टीगेशन) रामसजीवन, एसआई देवेंद्र कुमार राठी आदि को शामिल कर के उन बिंदुओं पर काम करने को कहा गया, जिन पर पुलिस ने अब तक गौर नहीं किया था.

इस दौरान पुलिस को हैबतपुर गांव में शिवम के घर के आसपास के लोगों से पूछताछ करने व सीसीटीवी फुटेज की पड़ताल से पता चला कि जिस दिन माला अपने घर से लापता हुई थी, कुछ लोगों ने उसी मकान में तीसरे फ्लोर पर किराए पर रहने वाले सौरभ व उस की पत्नी रितु को एक बड़े से ट्रौली बैग के साथ टैंपो से कहीं जाते देखा था.

शाम को दोनों वापस घर लौट आए थे. यह एक चौंकाने वाली जानकारी थी. शिवम से पूछताछ करने पर पता चला कि मई के महीने में सौरभ व रितु ने यह मकान खाली कर दिया था और अब वह गाजियाबाद के भीमनगर में किराए पर रहते हैं.

सीओ निशांक शर्मा ने एक पुलिस टीम को एक रणनीति के तहत सौरभ को बिना भनक लगे उस की निगरानी करने को कहा. साथ ही उन्होंने माला व शिवम के दोनों लापता मोबाइल फोन फिर से सर्विलांस पर लगवा दिए.

एक हफ्ता माला का मोबाइल फोन एक नए सिम कार्ड के साथ एक्टिव होने की जानकारी मिली. पता चला कि यह फोन अलीगढ़ के थाना पिसावा के गांव राऊपुर में रहने वाला शिवचरण दिवाकर इस्तेमाल कर रहा है.

सीओ निशांक शर्मा के निर्देश पर इंसपेक्टर रामसजीवन और एसआई देवेंद्र राठी की टीम ने उस गांव में जा कर शिवचरण को हिरासत में ले लिया. शिवचरण ने बताया कि यह फोन कुछ दिन पहले उस के बेटे सौरभ दिवाकर ने उसे दिया था.

सौरभ का नाम सामने आते ही सीओ निशांक पूरी कहानी समझ गए. उन्होंने उसी समय सौरभ को हिरासत में लेने के लिए एक टीम उस के भीमनगर स्थित घर भेज दी. सौरभ तो घर पर नहीं मिला लेकिन उस की पत्नी रितु घर पर ही मिल गई. महिला पुलिस उसे थाने ले आई.

पुलिस को देखते ही रितु के हाथपांव फूल गए. सख्ती करने पर रितु ने स्वीकार किया कि माला की हत्या उस ने ही की थी. फिर घर में लूटपाट करने के बाद शव ट्रौली बैग में रख कर कनावनी नाले के पास फेंक दिया था.

पुलिस टीम ने उसी समय माला की निशानदेही पर उस के घर से करीब 3 लाख रुपए के आभूषण, कीमती कपड़े तथा एक अन्य मोबाइल और दूसरा कीमती सामान बरामद कर लिया.

इस के बाद पुलिस सौरभ दिवाकर की तलाश में जुट गई. अगली सुबह पुलिस ने सौरभ को भी गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में पता चला कि सौरभ मूलरूप से अलीगढ़ के पिसावा का रहने वाला था और माला की हत्या के समय उसी मकान में तीसरे फ्लोर पर किराए पर रहता था, जिस मकान के दूसरे फ्लोर पर शिवम और माला रहते थे.

सौरभ ने बताया कि 6 अप्रैल को माला की बुआ का लड़का मोहित व उस की पत्नी रिंकी उस से मिलने घर गए थे. घर में माला ने रिंकी को अपनी शादी के कीमती कपड़े, साडि़यां और आभूषण दिखाए थे. इसी दौरान वहां पर रितु भी पहुंच गई थी. उस ने आभूषण व कपड़े देख लिए थे. जिस के बाद रितु के मन में लालच आ गया और उस ने यह बात अपने पति सौरभ को बताई.

दोनों ने मिल कर आभूषण व महंगे कपड़े लूटने के लिए माला की हत्या की साजिश रची. सौरभ एक तो नशे का आदी था, दूसरे उस का कामधंधा ठीक नहीं चल रहा था. आर्थिक तंगी के कारण सौरभ ने माला की हत्या कर के उस के घर में चोरी की साजिश रच डाली.

7 अप्रैल, 2018 को शिवम के जाने के बाद सौरभ के कहने पर रितु ने बहाने से माला को अपने घर बुलाया. पहले उन्होंने मिल कर चाय पी और उस के बाद सौरभ ने गमछेनुमा तौलिए से माला का गला घोंट कर हत्या कर दी.

माला की लाश को अपने घर में ही छोड़ कर उस के कमरे की चाबी ले कर दोनों माला के घर पहुंचे. उन्होंने माला के घर की अलमारी में रखी 7 महंगी साडि़यां, लहंगाचुन्नी, स्वेटर और शौल निकाल लिए. साथ ही घर से मिले करीब 3 लाख रुपए के जेवर बाजार में ले जा कर बेच दिए. जबकि 35 हजार रुपए की नकदी अपने पास रख ली थी.

सौरभ ने माला के घर में रखा शिवम और माला का मोबाइल भी चुरा कर स्विच्ड औफ कर दिया. सौरभ माला के यहां से उस का ट्रौली बैग भी चुरा लाया था. बाद में इसी ट्रौली बैग में उस ने हाथपांव बांध कर माला के शव को भर दिया.

दोपहर बाद सौरभ किराए का एक टैंपो ले आया. पत्नी के साथ लाश से भरे ट्रौली बैग को ले कर वह वहां से विजयनगर के कनावनी पहुंचा, जहां उन्होंने टैंपो को छोड़ दिया. टैंपो वाले के जाने के बाद कुछ दूर तक पतिपत्नी बैग को साथ ले गए. इस के बाद मौका देख कर उन्होंने बैग सड़क से नीचे नाले के किनारे लुढ़का दिया और फिर वहां से वापस घर लौट आए.

सौरभ ने माला के घर से चुराए गए 2 मोबाइल फोन में से एक तो अपने घर में ही छिपा कर रख लिया और दूसरा अलीगढ़ में रहने वाले अपने पिता को दे दिया. कुछ दिन पहले उस ने इस मोबाइल में एक सिमकार्ड डाल कर उन्हें इस्तेमाल लिए दे दिया था.

पिछले 5 महीने से माला हत्याकांड का राज खोलने के लिए जुटी बिसरख पुलिस को इस मोबाइल की घंटी बजते ही इस हत्या का राज खोलने का रास्ता मिल गया. सौरभ दिवाकर व उस की पत्नी से विस्तृत पूछताछ के बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया.   ?

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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