अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा अपने देश के युवाओं को पहले रोजगार देने के चुनावी वादे के तहत एच 1बी वीजा नीति में बदलाव किया जा रहा है. आखिरकार उस पर अब अमल की तैयारी है. दुनिया भर के युवाओं का अमेरिका में जा कर रोजगार करने का सपना इस नीति से टूटता नजर आ रहा है. अमेरिकन कंपनियों के लिए अब एच 1बी वीजा पर विदेशी युवाओं को नौकरी पर रखना आसान नहीं होगा. यह कदम ट्रम्प की ‘बाय अमेरिकन, हायर अमेरिकन’ नीति के तहत उठाया जा रहा है.

ट्रम्प सरकार ने वीजा प्रक्रिया को सख्त करने के लिए नए नियम जारी कर दिए हैं. नए प्रावधानों के तहत कंपनियों को एच 1बी वीजा पर विदेशी को नौकरी देने से पहले श्रम विभाग से आवेदन पर स्वीकृति लेनी होगी. इस बात का प्रमाणपत्र मिलने के बाद ही विदेशी को नौकरी पर रखा जा सकेगा कि एच 1बी वीजा श्रेणी में जिस पद पर विदेशी को रखा जा रहा है उस पद के लिए कोई अमेरिकी नहीं मिला. कंपनियों को यह बताना भी अनिवार्य होगा कि उन के यहां पहले से कुल कितने विदेशी काम कर रहे हैं.

एच 1बी वीजा के जरिए अमेरिकन कंपनियों को उन क्षेत्रों में उच्च कौशल विदेशी पेशेवरों को नौकरी पर रखने की अनुमति मिलती है जिन में अमेरिकी पेशेवरों की कमी है. यह वीजा तीन साल के लिए जारी किया जाता है और छह साल तक इस की अवधि बढाई जा सकती है.

अमेरिका के गृह सुरक्षा विभाग का कहना है कि अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा इस संबंध में जनवरी 2019 तक नया प्रस्ताव लाने की योजना बना रही है. इस का उद्देश्य विशेष व्यवसाय की परिभाषा को संशोधित करना है ताकि एच1बी वीजा कार्यक्रम के माध्यम से बेहतर और प्रतिभाशाली विदेशी नागरिकों पर ध्यान केंद्रित किया जा सके.

विभाग ने कहा है कि वह अमेरिक कामगारों और उन के वेतनभत्तों के हितों को ध्यान में रखते हुए रोजगार और नियोक्ता कर्मचारी संघ की परिभाषा को भी संशोधित करेगा. अमेरिकी सरकार ने कहा कि एच1बी वीजा धारकों को नियोक्ताओं से उचित वेतन सुनिश्चित करने के लिए गृह सुरक्षा विभाग और भी कदम उठाएगा.

विभाग ने यह भी कहा है कि एच1बी वीजा धारकों के जीवनसाथी को जारी होने वाले एच 1बी वीजा के कुछ नियमों को हटाने का भी प्रस्ताव कर रहा है. मौजूदा वीजा नियमों के तहत एच 1बी वीजा धारकों को अमेरिका में काम करने की अनुमति मिलती है.

परिवर्तित वीजा नीति के में एच 1बी वीजा के तहत आने वाले रोजगार और विशेष व्यवसायों या पेशों की परिभाषा को संशोधित किया जा रहा है.

अमेरिका की इस परिवर्तित वीजा नीति से सब से ज्यादा असर भारतीय युवाओं पर होगा. बड़ी संख्या में भारतीय युवा अमेरिकी आईटी कंपनियों में काम कर रहे हैं. एच 1बी वीजा भारतीय आईटी पेशेवरों के बीच खासा लोकप्रिय है. प्रौद्योगिकी कंपनियां  चीन और भारत जैसे देशों से कर्मचारियों की भर्ती के लिए इस वीजा पर निर्भर हैं.

सिलिकौन वैली में 20 प्रतिशत से ज्यादा स्टार्टअप कंपनियां भारतीय पेशवर चला रहे हैं लेकिन ट्रम्प प्रशासन की नीतियों के कारण अब धीरेधीरे नए इंजीनियरों का आना कम होने लगा है. सिलिकौन वैली में अब स्थानीय इंजीनियरों की भर्ती बढने लगी है.

बीस साल पहले इंजीनियरिंग करने वाले भारतीय युवा अमेरिका की ओर रुख करते थे. उन के मांबाप का भी सपना होता था कि उन का बेटा या बेटी अमेरिका जाएं. इन सालों के दौरान अमेरिका की अर्थव्यवस्था को भारतीय पेशेवरों ने बड़ा फायदा पहुंचाया. अमेरिका भारतीय ब्रेन का लोहा मानता है लेकिन अमेरिकी मूल के युवाओं में विदेशी प्रतिभाओं को ले कर पिछले समय से आक्रोश पनप रहा था और वहां बेरोजगारी बढ़ रही थी.

अमेरिका शुरू से ही आप्रवासियों का देश रहा है. विदेशियों को शरण देने में अमेरिका आगे है. उस की यह नीति विश्व भर में सराही जाती रही है. एक सच्चे लोकतंत्र के लिए यह आवश्यक भी है कि वह देश, प्रांत, नस्ल, भाषा, धर्म, जाति को ले कर रोजगार से ले कर रहने, बसने तक कोई भेदभाव न बरते.

वीजा को ले कर अमेरिका की परिवर्तित नीति से लाखों युवाओं पर प्रतिकूल असर पड़ेगा जो अमेरिका में जा कर नौकरी करने का सपना देख रहे हैं. यह नीति दुनिया भर के युवाओं की उड़ान को रोकने के लिए तैयार है.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...