अमेरिका 231 वर्षों बाद भी अपने गन कल्चर को खत्म नहीं कर पाया है. इस की 2 प्रमुख वजहें हैं. पहली, कई अमेरिकी राष्ट्रपति से ले कर वहां के राज्यों के गवर्नर तक इस कल्चर को बनाए रखने की वकालत करते रहे हैं. दूसरी, गन बनाने वाली कंपनियां यानी गन लौबी भी इस कल्चर के बने रहने में अपना फायदा पाती हैं.

अमेरिका के टेक्सास शहर में हाईस्कूल के एक 18 वर्षीय छात्र ने पहले घर में अपनी दादी को गोली मारी, उस के बाद एक प्राइमरी स्कूल में घुस कर नन्हेनन्हे बच्चों पर दनादन गोलीबारी की. हत्यारे लड़के का नाम है साल्वाडोर रैमोस, जिस की अंधाधुंध फायरिंग में 19 मासूम बच्चों समेत 21 लोगों की जानें चली गईं. मारे गए तमाम बच्चे दूसरी, तीसरी और चौथी कक्षा के छात्र थे. उन को बचाने की कोशिश में स्कूल के 2 टीचर भी मारे गए.

कुछ दूसरे स्टाफ मैंबर्स, बच्चे और कुछ पुलिस वाले भी उन्मादी रैमोस की गोलियों से घायल हुए, जिन्हें अस्पतालों में भरती कराया गया है और जिन में से कुछ की हालत अभी भी काफी खराब है. इस घटना के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने 4 दिनों के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की और तमाम संस्थानों एवं वाइट हाउस पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका दिया गया. ये उन नन्हे मासूमों को श्रद्धांजलि थी जिन्होंने अभी दुनिया देखनी शुरू ही की थी.

हत्यारे छात्र साल्वाडोर रैमोस जब स्कूल के अंदर घुसा तो उस के एक हाथ में हैंडगन थी और दूसरे में राइफल झूल रही थी. एक दिन पहले रैमोस ने इन हथियारों की तसवीर अपने इंस्टाग्राम पोस्ट पर डाली थी. स्कूल में घुसते ही उस ने रायफल सीधी कर बच्चों पर अंधाधुंध गोलियां दागनी शुरू कर दीं. खून से लथपथ जमीन पर तड़पतड़प कर गिरते और मरते बच्चों को देख कर वह दरिंदा अट्हास करता रहा. हालांकि कुछ ही देर में पुलिस की गोलियों ने उस का जिस्म भी छलनी कर दिया मगर तब तक उस की गोलियां 21 जानें लील चुकी थीं.

हाईस्कूल के एक छात्र द्वारा टेक्सास के स्कूल में फायरिंग की यह घटना कनेक्टिकट में वर्ष 2012 में हुई फायरिंग से मिलती हुई है. कनेक्टिकट के न्यूटाउन में सैंडी हुक एलिमैंट्री हाईस्कूल में 14 दिसंबर, 2012 को 20 वर्षीय युवक ने ठीक इसी तरह फायरिंग की थी. उस हमले में 26 लोगों की जानें गई थीं, उन में 20 बच्चे थे. वह अमेरिका के इतिहास की सब से भयावह मास शूटिंग थी.

पिछले कुछ सालों में अमेरिका में हुई गोलीबारी की घटनाओं ने दुनिया को झकझोर कर रख दिया है. अमेरिका में गन कल्चर बेहद आम होता जा रहा है. यह देश के लिए बड़ी चुनौती है. अमेरिका में हथियार रखना आम आदमी के संवैधानिक अधिकारों में शुमार है और इस के लिए कोई कठिन नियम भी नहीं है. कपड़े और ग्रोसरी की तरह अमेरिका में हथियार खरीदेबेचे जाते हैं. खासतौर से युवा लड़कों द्वारा और इस गन कल्चर के कारण हुई मौतों का बोझ अब अमेरिका की संसद पर बढ़ रहा है.

पिछले महीने 14 मई को बफेलो शहर के एक सुपरमार्केट में फायरिंग हुई, जिस में 10 लोगों की मौत हो गई. अगले दिन रविवार को कैलिफोर्निया के चर्च में गोलीबारी की खबर आई, जिस में एक शख्स मारा गया. अप्रैल के महीने में न्यूयौर्क के एक रेलवे स्टेशन पर हुई गोलीबारी में 13 लोग घायल हुए. अमेरिका में वर्ष 2021 में भी फायरिंग की कई घटनाएं हुई थीं. कैलिफोर्निया के सैन जोस और कोलोराडो के बोल्डर में साल 2021 में भीषण गोलीबारी हुई थी. 22 मार्च, 2021 को बोल्डर की एक सुपरमार्केट में सामूहिक गोलीबारी की घटना में 10 लोगों की मौत हो गई थी. 2 महीने बाद 26 मई को सैन जोस में एक ट्रांसपोर्टेशन अथौरिटी कंट्रोल सैंटर में फायरिंग हुई और 9 लोग मारे गए. वहां गोलीबारी करने वाले शख्स ने भी खुदकुशी कर ली थी. निश्चित ही हत्यारा गहरे अवसाद व क्रोध में रहा होगा.

2019 के दौरान अमेरिका में हत्या के कुल 14,400 मामले सामने आए थे. इस से पहले 1993 में 18,253 लोगों की मौत बंदूक से जुड़े अपराधों की वजह से हुई थी. 2020 के दौरान अमेरिका में होने वाली 79 फीसदी हत्याएं बंदूक से की गईं. यह साल 1968 से अब तक का सब से बड़ा आंकड़ा है. पेव रिसर्च सैंटर के मुताबिक, 2020 में ऐसे मामलों में 34 फीसदी इजाफा हुआ. एक औनलाइन डेटा बेस ‘गन वौयलैंस आर्काइव’ के मुताबिक, 2020 में अमेरिका में सामूहिक गोलीबारियों में करीब 513 लोग मारे गए हैं. बीते 5 वर्षों में 49 फीसदी हथियारों से संबंधित घटनाएं अमेरिका में बढ़ी हैं.

अमेरिका में हर साल हत्या और फायरिंग की बड़ी घटनाएं सामने आती हैं. हर साल फायरिंग से जुड़े मामलों में हजारों लोगों की जान जाती है. इस की बड़ी वजह है अमेरिका का हथियारों के प्रति बेहद उदार रवैया, युवाओं और बच्चों में असुरक्षा की बढ़ती भावना, बिखरते परिवार और टूटता सामाजिक तानाबाना.

अमेरिका में हथियार रखने के कानून बेहद आसान हैं. किसी भी शख्स को हथियार रखने की इजाजत मिली हुई है. वहां बंदूक खरीदना आसान है. कोई भी व्यक्ति आसानी से जा कर बंदूक खरीद सकता है. साल 1791 में अमेरिका के संविधान में दूसरा संशोधन लागू किया गया था. उस के तहत अमेरिकी नागरिकों को हथियार रखने के अधिकार दिए गए थे. उस का असर यह हुआ कि अमेरिका में बड़े पैमाने पर लोगों को पास बंदूकें हैं.

एक रिपोर्ट के अनुसार, वहां के राजनेताओं में हथियार रखने का चलन बहुत पुराना है. वर्तमान में 44 फीसदी रिपब्लिकन नेताओं के पास और 20 फीसदी डैमोक्रेटिक पार्टी के नेताओं के पास बंदूकें हैं. समाज में भी हथियार एक स्टेटस सिंबल बना हुआ है. अमेरिका में 39 फीसदी पुरुषों और 29 फीसदी महिलाओं के पास बंदूकें हैं. इसी तरह ग्रामीण इलाकों में रहने वाले 41 फीसदी और शहरी इलाकों में 29 फीसदी लोगों के पास बंदूकें हैं. बंदूकें रखने की सब से बड़ी वजह असुरक्षा की भावना है.

पिछले एक दशक में अमेरिका में नस्लवाद के मामलों में भारी वृद्धि देखी गई है. काले लोगों के लिए गोरों के मन में बेइंतहा नफरत भरी हुई है. वहीं अमेरिका में 59 फीसदी लोग अपनी लोकतांत्रिक व्यवस्था से संतुष्ट नहीं हैं. इस से उन में हिंसा पनपती है. अमेरिकी समाज में परिवार-संस्कृति नहीं है, लोग एकाकी जीवन अधिक जीते हैं. उन के पास दुखसुख बांटने वाले नहीं हैं, लिहाजा अकेलेपन में अवसाद पैदा होता है. कोढ़ में खाज यह कि ऐसी जर्जर मानसिक स्थिति के साथ रह रहे लोगों के हाथों में बंदूकें हैं. यह कौकटेल गोलाबारी जैसी भयावह घटनाओं के रूप में आएदिन सामने आता है और सैकड़ों निर्दोष लोगों को अपना शिकार बनाता है.

टूटा हुआ पारिवारिक तानाबाना

अमेरिका में 13-14 बरस का किशोर अपने मातापिता और परिवार के अन्य सदस्यों से दूर होस्टल में या घर से दूर अन्य शहरों में पढ़ाई के लिए निकल जाता है. 18 बरस का होतेहोते वह पूरी तरह पारिवारिक बंदिशों से मुक्त होता है. उन्मुक्त जीवनचर्या वाले अमेरिकी समाज में वैसे ही पारिवारिक बंधन न के बराबर हैं. कोई बच्चा तलाकशुदा पेरैंट्स में से किसी एक के साथ रह रहा है तो कोई परिवार के किसी अन्य सदस्य के साथ अथवा बिलकुल अकेला. जिन घरों में मातापिता के बीच तनाव और तकरार लगातार बना रहता है, वहां बच्चे कम उम्र में ही अवसाद का शिकार हो जाते हैं. प्रेम और लगाव की जगह मन में कुंठा और गुस्सा पनपता रहता है जो मौक़ा मिलने पर ज्वालामुखी की तरह फटता है, कभी अपनों पर तो कभी बाहरी लोगों पर.

उम्र के उस दौर में जब एक किशोर को सहीगलत की पहचान करवाने वाले मातापिता की दरकार होती है, अपनी भावनाएं साझा करने के लिए उन की जरूरत होती है, अपनी जिज्ञासाओं के समाधान के लिए किसी अपने की आवश्यकता होती है, क्रोध को संभालने और जब्त करने के लिए किसी बड़े द्वारा सही दिशानिर्देश चाहिए होता है, उस दौर में अमेरिकी किशोर और युवा बिलकुल अकेले होते हैं और सारे निर्णय खुद ही लेते हैं. निर्णय सही हैं या गलत, उन को यह बताने वाला कोई नहीं होता.

अधिकांश युवा और किशोर अकेलेपन के चलते अवसादग्रस्त भी होते हैं. प्रेम, धैर्य, सामंजस्य, भाईचारे जैसी भावनाओं के बजाय उच्श्रृंखलता, उन्माद, हीमैन जैसी फीलिंग उन के व्यक्तित्व पर ज़्यादा हावी रहती है. ऐसी स्थिति में अगर हाथ में बंदूक भी आ जाए तो सर्वनाश होना निश्चित है. अमेरिकी समाज धीरेधीरे इसी सर्वनाश की ओर बढ़ रहा है.

18 साल की उम्र से पहले बंदूक खरीदने की छूट

अमेरिका में भले ही 21 साल से पहले शराब खरीदना गैरकानूनी हो, लेकिन 18 साल की उम्र होने पर बंदूक और राइफल खरीदने की छूट है. यहां तक कि मिलिट्री वाली राइफल खरीदने के लिए भी कोई ठोस कानून नहीं है. इस से अमेरिका के युवा मनमाने ढंग से इन खतरनाक हथियारों को आसानी से खरीदते हैं और बाद में पर्सनल दुश्मनी या मानसिक अवसाद के चलते यही हथियार लोगों की जान ले लेते हैं.

कम उम्र में बच्चों को मनमानी करने की आजादी

विशेषज्ञों की मानें तो अमेरिका में बढ़ता गन कल्चर इस तरह की मास किलिंग का प्रमुख कारण है. लेकिन, सस्ते में और आसानी से मिल रहे जानलेवा हथियार ही इस की वजह नहीं हैं. अमेरिका में बढ़ता ओपन कल्चर भी इस की एक बड़ी वजह है. वहां बच्चे कम उम्र में ही मनमाने तरीके से जीने लगते हैं. फ्रीडम के नाम पर वे परिवार से अलग रहते हैं, अपने फैसले खुद करने लगते हैं. इस से कई बार मानसिक अवसाद बढ़ता है. उन्हें समझाने वाला कोई नहीं होता. ऐसे में युवा कई बार इस तरह के कदम उठाते हैं.

स्टेटस सिंबल है गन रखना

अमेरिका में कभी ब्रिटिश सत्ता थी. अमेरिका के लोगों ने बंदूक के दम पर ब्रिटिश शासन से लड़ कर अपने देश को आजाद कराया. हालांकि, बंदूक से मिली आजादी को देखते हुए वहां की सरकारों ने लोगों को हथियार रखने की छूट दे दी. धीरेधीरे वक्त के साथ हथियार रखना अमेरिकी रहनसहन का हिस्सा बन गया. यहां तक कि इस के लिए कोई सख्त कानून भी नहीं है, जिस के चलते अब इस का दुरुपयोग बढ़ता जा रहा है.

नागरिकों के बंदूक रखने के मामले में अमेरिका दुनिया में सब से आगे है. स्विट्जरलैंड के स्माल आर्म्स सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में मौजूद कुल 85.7 करोड़ सिविलियन गन यानी बंदूकों में से अकेले अमेरिका में ही करीब 40 करोड़ सिविलयन बंदूक मौजूद हैं. दुनिया की आबादी में अमेरिका का हिस्सा 5 फीसदी है लेकिन दुनिया की कुल सिविलियन गन में से 46 फीसदी अकेले अमेरिका में हैं. अक्टूबर 2020 में आए गैलप सर्वे के मुताबिक, 44 फीसदी अमेरिकी वयस्क उस घर में रहते हैं जहां बंदूकें हैं. इन में से एकतिहाई वयस्कों के पास बंदूकें हैं. अमेरिका की जनसंख्या से ज्यादा वहां नागरिकों के पास बंदूकें यानी सिविलियन गन हैं. अमेरिका की आबादी करीब 33 करोड़ है और वहां सिविलियन गन करीब 40 करोड़ हैं. यानी, अमेरिका में हर 100 लोगों पर 120 बंदूकें उपलब्ध हैं.

दुनिया में केवल 3 ही देश ऐसे हैं जहां बंदूक रखना संवैधानिक अधिकार है. अमेरिका, ग्वाटेमाला और मैक्सिको. हालांकि, अमेरिका की तुलना में ग्वाटेमाला और मैक्सिको में लोगों के पास काफी कम बंदूकें हैं. साथ ही, पूरे मैक्सिको में केवल एक ही गन स्टोर है जिस पर आर्मी का नियंत्रण है.

231 वर्षों बाद भी नहीं बदला कानून

बता दें कि 1783 में अमेरिका को ब्रिटेन से आजादी मिली. इस के बाद अमेरिका में संविधान बना और 1791 में उसी के तहत अमेरिका के लोगों को हथियार रखने का अधिकार मिला. जिस तरह भारत में लोग आसानी से मोबाइल और सिम खरीदते हैं, उसी तरह अमेरिका में लोग हथियार खरीद लेते हैं. लेकिन इस गल कल्चर की कीमत अमेरिका अब भुगत रहा है. अमेरिका अपनी आजादी के 231 वर्षों बाद भी इस कानून को नहीं बदल पाया है.

सार्वजनिक स्थल पर शूटिंग मामलों में 13 गुना का इजाफा

अमेरिका में मास शूटिंग को ले कर पीईडब्ल्यू की रिपोर्ट एक और अहम खुलासा करती है. रिपोर्ट एफबीआई के आंकड़ों के आधार पर बताती है कि साल 2000 से 2020 के दौरान भीड़भाड़ वाले इलाकों में शूटिंग के मामलों में 13 गुना इजाफा हुआ है. साल 2000 में जहां अमेरिका में 3 घटनाएं हुई थीं, वे 2020 में बढ़ कर 40 पहुंच गईं. इन आंकड़ों से साफ है कि अमेरिका में बंदूक संस्कृति बहुत बड़ी समस्या बनती जा रही है. और इस की एक प्रमुख वजह वहां का उदार कानून है. अमेरिका में बंदूक से लोगों की मौत में बहुत तेजी से इजाफा हो रहा है.

मर्डर ही नहीं, आत्महत्या के भी मामले बढ़े

गन कल्चर की वजह से अमेरिका में न केवल लोगों की हत्याओं के मामले बढ़े हैं, बल्कि इस से आत्महत्या करने के भी केस बढ़े हैं. 2019 में अमेरिका में बंदूक से 23 हजार से ज्यादा लोगों ने सुसाइड किया था. यह इस दौरान दुनिया में बंदूक से आत्महत्या के कुल मामलों का 44 फीसदी था. वहीं 2020 में यह आंकड़ा बढ़ कर 24,300 हो गया. यूएन के मुताबिक, 1990 से 2019 के बीच बंदूकों से सर्वाधिक आत्महत्या के केस अमेरिका में दर्ज हुए.

सस्ते हथियारों से बढ़ रहा गन कल्चर

5 वर्षों पहले अमेरिका में एक सर्वे हुआ था, जिस में सामने आया कि वहां के करीब 40 फीसदी लोगों के पास गन हैं. इस के अलावा अमेरिकी कानून के मुताबिक, वहां हथियार खरीदना दूसरे मुल्कों की तुलना में बेहद सस्ता है. अमेरिका की दुकानों में बंदूक उतनी ही आसानी से मिल जाती है, जितनी आसानी से भारत में इलैक्ट्रौनिक सामान और मोबाइल फोन मिलते हैं. अमेरिकी एक्सपर्ट्स का मानना है कि हथियार के लाइसैंस देने से पहले उसे रखने वाले की हिस्ट्री और बैकग्राउंड चैक करना बेहद जरूरी है. इस से काफी हद तक फायरिंग के मामलों को रोका जा सकता है.

अमेरिका में गन कल्चर भले ही वहां के युवाओं को प्रभावित करता हो लेकिन इस की कीमत भी समयसमय पर अमेरिकी लोगों को चुकानी पड़ती है. लाखों आम लोगों के साथसाथ अमेरिका के 4 पूर्व राष्ट्रपति की हत्याओं के पीछे भी कहीं न कहीं गन कल्चर का ही हाथ है. राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन और राष्ट्रपति जेम्स ए गारफील्ड की हत्या भी बंदूक से ही की गई थी.

आज भले ही गन कल्चर अमेरिकी लाइफ का एक हिस्सा बन गया है लेकिन देश के अधिकांश लोग आज इस कल्चर के खुश नहीं हैं. इसी कड़ी में मेयर एरिक एडम ने ट्वीट कर कहा है कि क्यू ट्रेन में एक यात्री की हत्या, बुफेलो में खरीदारी करते लोगों की हत्या और अब टेक्सास में स्कूली बच्चे समेत लोगों की हत्या… ये तमाम घटनाएं अमेरिका की जहरीली बंदूक संस्कृति को रिफ्यूल करने का काम कर रही हैं.

अमेरिका में कई संगठन हैं जो विदेशों में मानवाधिकारों के लिए काम करते हैं. मानवाधिकारों की सुरक्षा के लिए अमेरिका दुनिया के दूसरे देशों को फंड भी देता है. अमेरिका अन्य देशों में मानवाधिकारों के लिए चिंता व्यक्त करता है लेकिन यह देश कभी अपनी नीतियों का निष्पक्ष विश्लेषण नहीं करता. यही वजह है कि अमेरिका की गन संस्कृति वहां के ‘जनगणमन’ पर भारी पड़ रही है. अमेरिका को अपने ही कानूनों पर दोबारा सोचने की जरूरत है. वरना अमेरिका विश्व मंच पर अपना प्रभुत्व खो देगा.

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