देश में भले ही शिक्षा के स्तर में कितना ही सुधार क्यों न हुआ हो, लेकिन कुप्रथाएं आज भी शिक्षा पर भारी पड़ रही हैं. लोग सामाजिक कुप्रथाओं को छोड़ने का नाम नहीं ले रहे. हरियाणा की रहने वाली शशि नाम की एक लड़की को ऐसी ही एक कुप्रथा से निकलने के लिए कई सालों तक लड़ाई लड़नी पड़ी. इस के लिए समाज ने उस के परिवार के साथ जो सुलूक किया, वह भी निंदनीय था.

बात हरियाणा के जिला करनाल की है. यहीं की रहने वाली शशि के चाचा की किसी वजह से शादी नहीं हो पा रही थी. उत्तर प्रदेश के एक गांव से चाचा की शादी की बात चली, लेकिन होने वाली चाची के घर वालों ने शशि के पिता के सामने एक शर्त रख दी.

शर्त यह थी कि होने वाली चाची के भाई से शशि की शादी की जाए. आंचलिक बोलचाल की भाषा में इस समझौते को आंटा-सांटा कहते हैं. उस समय शशि केवल 8 साल की थी. शशि के पिता यह शर्त मानने को तैयार हो गए और सन 2008 में उस का बाल विवाह कर दिया. उस का गौना बाद में होना तय हुआ.

शशि अब से 10 साल पहले उस समझौते के मायने नहीं जानती थी. लेकिन जैसेजैसे वह बड़ी होती गई तो समझ गई कि उस का विवाह हो चुका है. स्कूल में पढ़ाई के दौरान शशि ने बाल विवाह के बारे में पढ़ा. चूंकि खुद शशि का बाल विवाह हो चुका था, इसलिए वह इस कुरीति से नफरत करने लगी.

शशि ने तय कर लिया कि जब उस का गौना होगा तो वह अपनी ससुराल नहीं जाएगी. उस ने ऐसा ही किया. ससुराल पक्ष के लोग जब उसे बुलाने आए तो उस ने साफ कह दिया कि वह बाल विवाह को नहीं मानती और न ही उन के साथ जाएगी. पिता ने भी बेटी का साथ दिया.

बात माहेल्ले में फैली तो मोहल्ले वालों ने शशि के पिता पर शशि को ससुराल भेजने का दबाव बनाया लेकिन पिता ने किसी की बात नहीं मानी. उन्होंने कह दिया कि बेटी को वह जबरदस्ती नहीं भेजेंगे. मामला तूल पकड़ गया तो पंचायत हुई. शशि और उस के पिता ने पंचायत की बात भी नहीं मानी.

उन पर कई तरह के दबाव भी डाले गए. डरायाधमकाया गया. चाची को उस के मायके वाले यह कह कर ले गए कि जब तक शशि को नहीं भेजोगे, तब तक वह भी अपने मायके में रहेगी.

इस के बाद पंचायत ने शशि के पिता को परिवार सहित समाज से बेदखल कर दिया और लोगों ने उन की जमीन तक हड़प ली. इस के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी. शशि लगभग 17 साल की हो चुकी थी. वह बचपन में हुई शादी से कानूनी छुटकारा पाना चाहती थी.

मार्च, 2017 में शशि ने पिता के साथ जा कर महिला संरक्षण एवं बाल विवाह निषेध अधिकारी रजनी गुप्ता को शिकायत दी. रजनी गुप्ता ने शशि के ससुराल वालों को बुला कर समझाया, लेकिन वह नहीं माने.

इस के बाद शशि ने अपने पिता के सहयोग से मई, 2017 में शादी तुड़वाने के लिए कोर्ट में केस दायर कर दिया. करीब 14 महीने की लड़ाई के बाद 16 जुलाई, 2018 को कोर्ट ने बाल विवाह मानते हुए शशि की शादी रद्द कर दी, जिस के बाद शशि ने बड़ी राहत महसूस की.

शशि अब बालिग हो चुकी थी. इस के बाद पिता ने उस के लिए उपयुक्त लड़का देखना शुरू किया. बेटी की मरजी से उन्होंने लवपाल नाम के युवक से उस का विवाह कर दिया. उस की शादी में मोहल्ले वालों के साथ उस के कुनबे वाले भी शामिल नहीं हुए. शादी में केवल पिता, दादी और एक चाची ही शरीक हुई.

शशि अब अपनी ससुराल में खुश है. उस के द्वारा कुप्रथा के खिलाफ लड़ी जंग को अब भले ही हर कोई सराह रहा है. लेकिन उस का पिता क्या करे, जिस की सारी जमीन लोगों ने हथिया ली थी.

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