फर्जी डिग्रियों का कारोबार लगातार फैलता जा रहा है. हर राज्य से आए दिन ऐसी खबरें आती रहती हैं जहां नकली सर्टिफिकेट छाप कर बेचने वालों का भंडाफोड़ होता है. दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने दिल्ली में नकली शिक्षा बोर्ड चलाने वाले गिरोह को पकड़ा है. इस गिरोह में दो लोग उत्तरप्रदेश में एक स्कूल चलाते हैं. इन के पास से बड़ी संख्या में नकली सर्टिफिकेट बरामद हुए हैं. यह गिरोह 10वीं और 12वीं के सर्टिफिकेट बेचता था.

आरोपियों से पूछताछ में पता चला कि उनके इस फर्जी बोर्ड से पिछले 3 सालों में दिल्ली, उत्तरप्रदेश, बिहार, गुजरात और छत्तीसगढ़ के अलावा कई राज्यों के 12 हजार से ज्यादा छात्रों को सर्टिफिकेट बेचे जा चुके हैं. ये सर्टिफिकेट 5 से 10 हजार रुपए में बेचे जाते थे.

मजे की बात है कि इन नकली प्रमाणपत्रों के आधार पर युवकों को आगे की पढ़ाई के लिए एडमिशन भी मिल जाता था और नौकरी भी मिल जाती थी. उन के द्वारा दिए गए सर्टिफिकेट से छात्रों को अन्य संस्थानों में दाखिला लेते समय कोई दिक्कत न आए, इस के लिए आरोपियों ने दिल्ली के पते पर कुछ लोगों को नौकरी पर रखा हुआ था, जो छात्रों के सर्टिफिकेट वेरिफाई करते थे.

औनलाइन वेरिफिकेशन के लिए भी इन लोगों ने कई फर्जी वेबसाइट अपने बोर्ड के नाम पर बना रखी थीं, जिस से छात्रों को बड़े विश्वविद्यालयों, कौलेजों में आसानी से दाखिला मिल जाता था.

नकली डिग्रियां बेचने का काम आजकल बहुत आसान हो गया है. टैक्नोलौजी से इसे इतना सरल बना दिया है कि घर पर बैठ कर कोई भी शातिर अपराधी यह कारनामा कर सकता है. यह धंधा देश व्यापी चल रहा है तो कोई आश्चर्य नहीं है क्योंकि हमारी सरकारों के पास नकली प्रमाणपत्रों को जांचने की कोई कारगर व्यवस्था नहीं है.

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