निजी व्यवस्था में पूंजीपति कमा रहे हैं और जनता भूखी मर रही है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 22 अगस्त को राष्ट्रीय मौद्रीकरण पाइपलाइन लौंच कर दी है. ध्यान रहे कि यह राष्ट्रीय स्तर पर गैस, तेल या पानी ले जाने के लिए बिछाई जाने वाली कोई पाइपलाइन नहीं है, बल्कि देश में पहले से मौजूद इंफ्रास्ट्रक्चर के दोहन से सरकार के लिए धन और निजी क्षेत्र के लिए विशाल मुनाफा कमाने का इंतजाम करने वाली ‘पाइपलाइन’ है, जिसे वह बेहिचक नया इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने में लगा सकता है. इस पाइपलाइन के जरिए जो कभी टैक्स ..... के पैसे से खड़ी की गई थी. मोदी सरकार ने सरकारी संपत्तियों, जो कमी टैक्स पेपर के पैसे से खड़ी की गई थीं, को निजी हाथों में दे कर करीब 6 लाख करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा है. यानी, सरकार ने घर बेच कर घी पीने की अपनी नीति पर कुछ कदम और आगे बढ़ा दिए हैं.

सपना दिखातीं निर्मला सरकारी परिसंपत्तियों को 4 साल के लिए निजी हाथों में दे कर उस से 6 लाख करोड़ रुपए जुटाने की बात की जा रही है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को यकीन है कि सरकार को 6 लाख करोड़ रुपए देने के बावजूद निजी क्षेत्र इस नायाब पाइपलाइन से कमाया गया मुनाफा देश में इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास में लगाएगा. वित्त मंत्री का कहना है, ‘‘इस में जमीन का कोई लफड़ा नहीं है. ये ब्राउनफील्ड प्रोजैक्ट है जिस में निवेश किया जा चुका है, जहां पूरी संपत्ति बनाई जा चुकी है जो या तो बेकार पड़ी है या उस का पूरा मौद्रीकरण नहीं हुआ या कम उपयोग हो रहा है. इसलिए इस में निजी भागीदारी ला कर इस का बेहतर मौद्रीकरण और इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण में भावी निवेश सुनिश्चित करने में सरकार सक्षम होगी.’’ यह पाइपलाइन वित्त वर्ष 2021-22 से ले कर 2024-25 तक, यानी वर्तमान सरकार का कार्यकाल समाप्त होने के एक साल बाद तक की सीमित अवधि के लिए है.

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