एक तरफ घर और बाहर खुशी का माहौल, बाजार दूधिया रोशनी में नहाया हुआ वहीं दूसरी तरफ पुलिस के आने पर गलियों में पसरा सन्नाटा क्योंकि पुलिस पकड़ रही थी पटाखा चलाने वालों को और पटाखा बेचने वालों को. इस दीवाली पर लोग अपने छोटेछोटे बच्चों के साथ पटाखे चलाते देखे गए. दीवाली में भले ही इस बार कम पटाखे चलाए गए लेकिन लोगों में छिपी असंवेदनशीलता सब से ज्यादा दिखी. ये तर्क खूब सुने गए कि पटाखे बेचने पर पाबंदी है, चलाने पर थोड़े ही है.

दिल्ली में दीवाली की रात पटाखे चलाने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करने वालों के 550 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए, वहीं 300 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया. दीवाली की रात पुलिस ने दिल्ली के विभिन्न इलाकों से 2,776 किलो पटाखे भी जब्त किए. साथ ही, अवैध रूप से पटाखों की बिक्री के संबंध में 72 मामले दर्ज किए गए और इस में कुल 87 लोगों को गिरफ्तार किया गया. वहीं, कोलकाता में 1,300 किलो से ज्यादा पटाखे जब्त किए गए और 566 लोगों को पकड़ा गया.

पुलिस ने बताया कि भारतीय दंड संहिता की धारा 188 (आज्ञा का उल्लंघन) के तहत तकरीबन 562 मामले दर्ज किए गए और अदालत के आदेश का उल्लंघन करने के मामले में 310 लोगों को गिरफ्तार किया गया. जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया, उन्हें बाद में जमानत दे दी गई. 24 बच्चों के खिलाफ भी किशोर न्याय अधिनियम के तहत कार्यवाही की गई और उन्हें जमानत दे दी गई.

बता दें कि बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दीवाली पर पटाखे जलाने की समयसीमा रात 8 बजे से 10 बजे तक निर्धारित की थी. साथ ही, ग्रीन पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल का आदेश दिया था. कोर्ट ने आदेश के पालन के लिए पुलिस की जिम्मेदारी भी तय की थी.

सुप्रीम कोर्ट ने देश की आबोहवा को साफसुथरा बनाए रखने के लिए संविधान सम्मत फैसला सुनाया जो उस का अधिकार क्षेत्र भी है. लेकिन हैरानी यह है कि  सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में भगवा मंडली पटाखे फोड़ती नजर आई. भगवा मण्डली के हिसाब से यह फैसला हिन्दू विरोधी था. सिर्फ हिन्दू धर्म के पक्ष में खड़ी भगवा मंडली को तो बुरा लगना ही था जबकि यह फैसला मुसलमानों, सिखों और ईसाइयों के लिए भी था जो अंधभक्तों को नजर नहीं आया. यह फैसला पर्यावरण और मानव जाति की सुरक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक है. अतः न्यायप्रिय, सैक्यूलर और शिक्षाविदों ने माननीय कोर्ट के फैसले की सराहना करते हुए इसे जरूरी बताया है.

दीवाली पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का कहीं सख्ती से पालन हुआ तो कहीं उल्लंघन. दिल्ली व एनसीआर में पहले से आबोहवा काफी प्रदूषित है और महानगर धुएं की चादर में लिपटा हुआ है. ऐसे में पटाखों की बिक्री पर रोक लगाना सही कदम है. वहीं दूसरी ओर दिल्लीएनसीआर में पटाखा कारोबारियों के धंधे पर काफी बुरा असर देखने को मिला. 2,500 किलो से ज्यादा के पटाखे जब्त किए गए. इस से पटाखा बाजारों के दुकानदार काफी निराश हैं. उन का मानना है कि इस से उन्हें करोड़ों रुपयों का नुकसान हुआ है.

दीवाली पर देश के सभी पटाखाप्रेमी बोरे भर कर पटाखे छुड़ाने की तैयारी किए बैठे थे. इस बीच, सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश किसी झटके से कम नहीं था. केंद्रीय पर्यावरण मंत्री हर्षवर्धन ने लोगों से आग्रह किया कि सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का पालन करें और ग्रीन दीवाली मनाएं. इस से पर्यावरण को साफसुथरा बनाए रखने में मदद मिलेगी.

उन्होंने कहा कि पटाखे के प्रदूषण के कारण फेफड़े की तमाम बीमारियां, हाई ब्लडप्रैशर और बेचैनी होती है. ग्रीन पटाखे चलाने से इस तरह की बीमारियों से बचा जा सकता है. साथ ही, हमें पशुपक्षियों के बारे में भी सोचना चाहिए जो पटाखे की तेज आवाज से डर कर जीते हैं.

पर्यावरण प्रदूषण (निवारण एवं नियंत्रण) प्राधिकरण के अध्यक्ष भूरे लाल ने कहा कि यह स्वागतयोग्य कदम है. दिल्ली की हवा वाकई दूषित है. पटाखे इस समस्या को और ज्यादा बढ़ा देते हैं. वहीं, टेरी के महानिदेशक अजय माथुर ने कहा कि कम समय में धूल और धूलकण के हटने के लिए अनुकूल मौसम न होने से यह प्रतिबंध सही दिशा में उठाया गया कदम है.

दूसरी ओर, पटाखों पर बैन लगने के बाद विरोध में भी आवाजें मुखर होने लगीं. कुछ नौजवानों का कहना था कि पर्यावरण की इतनी ही चिंता है तो फिर बस, कार, मोटरसाइकिल का इस्तेमाल क्यों करते हो, अपने घर में पूजा करते समय अगरबत्ती भी मत जलाया करो.

भारतीय जनता पार्टी के सांसद वरुण गांधी उत्तर प्रदेश की सुल्तानपुर लोकसभा सीट से सांसद हैं. उन्होंने पटाखों पर बैन लगाने के समर्थन में कहा कि मैं एक छोटी बच्ची का पिता हूं, बच्चों को प्रदूषण से होने वाली सांस की समस्याएं होती हैं. अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए मैं इस दीवाली पर पटाखे जलाने के बजाय 15 पेड़ लगाऊंगा.

आरएसएस नेता और राष्ट्रीय मुसलिम एकता मंच के संयोजक इंद्रेश कुमार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से चारों तरफ मातम, दुख और रोटी का संकट है. इस फैसले से पटाखा बेचने वालों के कारोबार पर बुरा असर पड़ा है. इस से उन की रोजीरोटी छिन गई है. यह दीवाली तो उन के लिए काली दीवाली साबित हुई है.

सदर बाजार वैलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष एचएस छाबड़ा ने अपना विरोध जताया. कारोबारियों ने पटाखों को सब्जियों के भीतर रख विरोध जताया. हम ने तो आलू बम बनाया है, भिंडी बम बनाया है, शिमलामिर्च बम, प्याज चकरी बनाया है.

वैलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष एचएस छाबड़ा ने कहा कि हमें ग्रीन पटाखों की जानकारी नहीं थी. ग्रीन पटाखों की जानकारी समय पर नहीं मिलने के कारण ये पटाखे बाजार में नहीं मिल सके और कारोबारियों को नुकसान उठाना पड़ा है.

उन का यह भी कहना है कि हम ने एसएचओ से पूछा तो उन्होंने इस की पूरी लिस्ट देने की बात कह कर अगले 2 घंटे तक हमें इंतजार कराया. कोई लिस्ट या जानकारी हमें नहीं दी गई, इस के चलते बाजार में ग्रीन पटाखे नहीं आ सके.

दिल्ली के कारोबारी ग्रीन पटाखों से अनजान हैं. दिल्ली के दूसरे पटाखा विक्रेताओं का कहना है कि अचानक से सुप्रीम कोर्ट का ग्रीन पटाखा बेचने का आदेश आ गया. ऐसे में कारोबारियों को समझ ही नहीं आ रहा है कि ग्रीन पटाखे कहां से लाएं.

त्रिपुरा के गवर्नर तथागत राय ने ट्वीट कर इस फैसले को हिन्दूविरोधी करार देते हुए कहा था कि कभी दही हांडी, आज पटाखा, कल को हो सकता है प्रदूषण का हवाला दे कर मोमबत्ती और अवार्डवापसी गैंग हिन्दुओं की चिता जलाने पर भी याचिका डाल दे.

भाजपा सांसद चिंतामणि मालवीय ने कहा कि हमारा धर्म और त्योहार हिन्दू कलैंडर के हिसाब से होता है. मैं पूजा खत्म करने के बाद ही पटाखे जलाऊंगा. हम त्योहारों पर किसी तरह की टाइम लिमिट नहीं लगा सकते. इस तरह की बंदिशें मुगलों के समय में होती थीं. यह हमें मंजूर नहीं है.

न्यायमूर्ति एके सीकरी ने कहा कि हम यह सुन कर बेहद दुखी हैं कि कुछ लोग हमारे आदेश को सांप्रदायिक रंग दे रहे हैं.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...