25 वर्षीय रितु यादव ने अपने घर में खुद को फांसी लगा ली, पर क्यों? भई, यह तो तभी जाना जा सकता है जब धर्म और नफरत में डूबी जनता अपने आसपास क्या घट रहा है, कम से कम इस के लिए ही सही अपनी आंख खोल ले.

मामला दहेज उत्पीड़न का है. अब कई लोग तो इस मुद्दे पर इसलिए सुनतेबोलते कम हैं क्योंकि वे या तो दहेज़ देने वाले होते हैं या लेने वाले. हर घर की यही कहानी है. बेटी के समय दहेज़ गया तो बेटे के समय कैसे दुगना रिकवर हो, इसी की उधेड़बुन घरपरिवार में चल रही होती है. लेकिन इस के परिणाम कितने खतरनाक हैं, यह रितु यादव के मामले से समझा जा सकता है.

एक पढ़ीलिखी बीकौम, एमबीए ग्रेजुएट लड़की, महज 25 साल की. रिश्ता सरकारी लड़के का आया तो घर वालों की भी बांछें खिल गईं, बेटी सरकारी बाबू के साथ हंसीखुशी रहे तो धूमधाम से अरेंज मैरिज करा दी. 18 लाख की टाटा सफारी, गोल्ड सिल्वर की ज्वैलरी, सोफा-फर्नीचर, इलैक्ट्रौनिक आइटम्स, कपड़ेलत्ते, कुल मिला कर 70 लाख रुपए का दहेज खुशीखुशी दे दिया, क्यों, क्योंकि लड़का सरकारी नौकरी वाला है, बेटी को खुश रखेगा.

पर लड़के की दिलचस्पी तो रितु से ज्यादा दहेज़ पर थी. 70 लाख तक का अच्छाख़ासा दहेज़ शादी के दौरान पहले ही ससुरालिए हड़प चुके थे. शादी के महज 3 महीने बाद और दहेज़ लाने का दबाव वे रितु पर बनाने लगे. तंग आ कर रितु अपने मायके आ गई. ससुरालियों का दबाव इतना था कि अपने घर में आत्महत्या करने पर मजबूर हो गई. साथ में एक सुसाइड नोट और अपनी हथेली पर उस दर्द को बयां कर इस दुनिया को छोड़ गई जिस में ससुरालियों की कारस्तानी थी.

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