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मुंबई के निकट जिला ठाणे के उपनगर मुंब्रा में एक सिनेमाघर है आलीशान. इस सिनेमाघर से थोड़ी दूरी पर एक बिल्डिंग है नूरानी. 45 वर्षीय उमर मोहम्मद शेख इसी इमारत की चौथी मंजिल के एक फ्लैट में अपने परिवार के साथ रहते थे. फ्लैट किराए का था. उमर शेख का मुंब्रा में अच्छा कारोबार था, साथ ही मानसम्मान भी. लोग उन्हें आदर से उमर भाईजान कह कर बुलाते थे.

उमर शेख के परिवार में उन की पत्नी जुबेरा शेख, 3 बेटियां और एक बेटे को मिला कर 6 सदस्य थे, जो अब 5 रह गए थे. उन का बेटा भरी जवानी में एक जानलेवा बीमारी का शिकार हो कर दुनिया को अलविदा कह गया था.

वक्त ने ऐसा कहर ढाया कि एक सड़क दुर्घटना में उमर मोहम्मद की कमर में भी चोटें आईं और वह बिस्तर पर पहुंच गए. अस्पताल के भारीभरकम खर्चे की वजह से वह अपनी कमर का औपरेशन भी न करवा पाए थे. लाचार हो कर उन्हें घर में बैठना पड़ा. घर बैठ जाने से उन के घर की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई. कारोबार बंद होने से उन की आमदनी भी बंद हो चुकी थी.

घर में जब भूखों मरने की नौबत आई तो उन की बेटी नसरीन ने घर की जिम्मेदारियां उठाने का फैसला किया. सामाजिक रस्मोरिवाज के चलते नसरीन ने अपना बुरका उतार फेंका.

20 वर्षीय सुंदर स्वस्थ और महत्त्वाकांक्षी नसरीन उमर मोहम्मद की दूसरे नंबर की बेटी थी. नसरीन ने मुंब्रा के एक कालेज से 12वीं पास की थी. घरपरिवार की माली हालत देख नसरीन नौकरी की तलाश में लग गई. जल्दी ही उस की यह तलाश पूरी हो गई. उसे मुंबई के अंधेरी वेस्ट के ‘चाय पर चर्चा’ नाम के एक कौफी हाउस में नौकरी मिल गई.

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