बिहार राज्य के औरंगाबाद जिले अंतर्गत हसपुरा प्रखंड मुख्यालय स्थित ब्लाक कॉलनी परिसर में कोरोना मरीज को रेस्कयू करने हेतु प्रशासनिक पदाधिकारी एवं स्वास्थ्य विभाग के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी सहित कर्मचारियों और जनप्रतिनिधि के साथ मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया.यह आयोजन एक तरह से पदाधिकारी कर्मचारी को एक ट्रेनिंग के रूप में था कि जब आपके क्षेत्र में कोई कोरोना का मरीज मिल जायेगा तो उस समय इसे कैसे हैंडल करेंगे.यह वीडियो वाट्सएप पर वायरल हो गया.इस वीडियो से इस क्षेत्र में पूरा हड़कम्प मच गया.इस क्षेत्र के ग्रामीण क्षेत्र से लेकर महानगर और विदेश तक में रह रहे लोग अपने परिजन इष्ट मित्र को फोन करने लगे. खासकर स्थानीय दैनिक पत्र और न्यूज़ चैनल के पत्रकारों के पास वास्तविकता जानने के लिए फोन आने आने लगा.पत्रकारों ने समाचार पत्र में न्यूज़ भी प्रकाशित किया .लेकिन कम जानकारी वाले लोगों के लिए मॉक ड्रिल का मतलब नहीं समझ पाने की वजह से यह अफवाह का मामला और जोड़ पकड़ लिया.
कोरोना की वजह से लोग दहशत में हैं.टी वी और मोबाइल से लोग चिपके हुवे हैं.सिर्फ कोरोना की ही बातें लोगों को चारो तरफ से सुनने को मिल रही है.
ये भी पढ़ें-#coronavirus: युद्ध स्तर पर काम करके बचा जा सकता है कोरोना से
* मॉक ड्रिल का आँखों देखा हाल
प्रखंड कार्यालय परिसर में कोरोना पीड़ित मरीज उसके घर से रेस्क्यू व जिला अस्पताल में भर्ती करने से लेकर ईलाके को सील करने के साथ सेनेटाइजेशन का मॉक ड्रिल किया गया.जिसमें बीडीओ अमरेश कुमार, सीओ सुमन कुमार, थानाप्रभारी धनंजय सिंह, रेफरल अस्पताल प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. मीना राय, एचएम शाहीन अख्तर सहित क्यूएमआरटी टीम संयुक्त रूप से भाग लिया.मॉक ड्रिल में कोरोना पीड़ित का सूचना मिलते ही एक घंटे के अंदर मरीज के साथ उसके परिवार का अलग – अलग रेस्क्यू, घर सहित ईलाके को सील करना, सेनेटाइजेशन के बाद जरूरतमंदों का पहचान कर आवश्यक सामग्री की सप्लाई का रिहलसल किया गया.
मॉक ड्रिल में कोरोना मरीज का कंट्रोल रूम से सूचना मिलता है.एक मिनट के अंदर वीडिओ तक सूचना पहुचने के बाद 5 मिनट बाद सीओ, थानाध्यक्ष कंफर्म होकर मरीज के घर पर सभी अधिकारी पहुँच जाते है.वहाँ पहुँचते ही थानाप्रभारी मरीज के घर को सील कर देते है.उसके बाद क्यूएमआरटी की टीम मरीज को सेनेटाइज करने के बाद सुरक्षा सूट पहनकर एम्बुलेंस में लेकर चले जाते है.दस मिनट के बाद दूसरी टीम मरीज के परिवार के सभी सदस्यों को लेकर चली जाती है.घर सेनेटाइज करने के बाद सील कर दिया जाता है.घर को केंद्र मानकर तीन किलोमीटर ईलाके को पूर्णतः सील करते हुए सेनेटाइज किया जाता है.इस दौरान वीडिओ ,सीओ प्रभावित इलाके के गरीब लाचार की पहचान कर उसका नाम व डिटेल ले लेते हैं ताकि उन्हें जरूरत का सामान पहुचाया जा सके.इस मॉकड्रिल में सूचना के एक घंटे के भीतर रेस्क्यू करने का अभ्यास किया गया जो तय समय मे सम्पन्न हो गया.
ये भी पढ़ें-Lockdown में जान जोखिम में डालने को मजबूर लोग, सीमा पर पुलिस का पहरा
* अफवाह की सही सूचनाएँ लोगों तक पहुंचाई
प्रशासनिक पदाधिकारियों के लिए यह मामला नया ही मुसीबत खड़ा कर दिया.प्रखंड विकास पदाधिकारी अमरेश कुमार अंचलाधिकारी सुमन कुमार थानाध्यक्ष धनंजय सिंह ने इस अफवाह से सम्बंधित सूचनाएं लोगों तक देने के लिए माइक से प्रचार करवाया यह झूठी खबर है.इस क्षेत्र में और इस जिला में एक भी कोरोना का मरीज नहीं मिला है.