लेखक- राजेश चौरसिया

MP/छतरपुर

छतरपुर कोरोना वायरस के चलते एक ओर पुलिस, प्रशासन स्वास्थ्य कर्मचारी बगैर अपने स्वास्थ्य की चिंता किए बगैर 24 घंटे अपनी सेवाएं दे रहे हैं. वहीं देश प्रदेश में पूरी तरह लॉक डाउन का पालन हो सके जिसके लिए राज्य एवं जिला सीमाओं को सील कर चैकिंग पॉइंट बनाये गए हैं. जहां 24 घंटे पुलिस मुस्तैद रहती है. तो वहीं कुछ गैर जिम्मेदार लोग शासन के आदेश का पालन न करते हुए उल्लंघन कर अपनी जान जोखिम में डालकर नदी पार कर रहे हैं.

ताजा मामला जिले के नोगाँव अनुविभाग के गर्रौली चौकी का है जहां से निकलने वाली धसान नदी के फिल्टर प्लांट के पीछे स्टॉप डैम का हैं. जहां कुछ लोग टीकमगढ़ जिले से पैदल एवं मोटरसाइकिल के जरिये नदी पार कर छतरपुर जिले की सीमा में प्रवेश कर रहे हैं.

वहीं ज़ब लोगों से इस जोखिम भरे चोर रास्ते से आवागमन के बारे में पूछा गया तो उनका कहना है कि मुख्य पुल (बॉर्डर) पर पुलिस लगी हुई है जिससे हम लोगों का आना जाना नामुमकिन है जिसके चलते है हम यहां से निकल रहे हैं.

मामले की जानकारी लगाने पर थाना प्रभारी माधवी अग्निहोत्री ने मौके पर हुंचकर लोगों को सख्त हिदायत दी साथ ही स्टॉप डैम पर एक आरक्षक को निगरानी के लिए तैनात कर दिया. ताकि कोई निकल न सके न ही आवागमन कर सके.

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क्या है पूरा मामला..

जानकारी के मुताबिक यह लोग दूध वाले, सब्जी वाले, फेरी वाले जैसे ही हैं जो रोजाना गाँव-गाँव, नगर-नगर जाकर भ्रमण कर फेरी लगाते हैं और लोगों को जारुरत का सामना मुहैया कराते हैं. पिछले 10-15 दिनों से कैरोना और लॉग डाउन की वजह से घरों से निकल नहीं पा रहे थे हर जगह पुलिस लगी हुई है घर में खाने के लाले पड़े हुए हैं शहरों में तो समाजसेवी शासन प्रशासन मजबूर गरीब लोगों को राशन, खाद्य सामग्री, भोजन उप्लब्ध करा देती है पर ग्रामीण और नगरीय स्तर पर बहुत बुरा हाल है. यहां कोई किसी के लिए कुछ नहीं करता जिससे घरों में लाल पड़े हुए हैं. खाशकर रोज-कमाने खाने वाले लोग और उनके परिवार भूखों मरने के कगार पर आ गए हैं. जिसके चलते इन्होंने जोखिम भरा यह चोर रास्ता निकाला है. उन्हें मजबूरी में उदर और परिवार बच्चों को पालने के लिए जान जोखिम में डाल यह करणना पड़ रहा है

रास्ता हुआ बंद..

वहीं अब पुलिस को जानकारी लगाने और मामला मीडिया में आने के बाद एक बार फिर इस रास्ते का लॉग डाउन हो गया है यानि कि पहुंच रास्ते/मार्ग पर मिट्टी डालकर पॉलिस का पहरा लगा दिया गया है.

क्या हैं और होंगी स्थितियां..

मामला चाहे जो भी हो पर इतना तो तय है कि इस लॉग डाउन से बड़े और मध्यम वर्गीय लोगों को खाशा असर तो नहीं पड़ा पर गरीब और रोज कमाने वाले लोग और उनके परिवार भूखों मरने के कगार पारा गये. अभी तो बस यही हाल हैं पर आने वाले समय में हालात और भी भयावह होंगे जिसपर काबू पाना मुमकिन न होगा.

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क्या होगा असर..

लॉग डाउन के बाद भले ही कोरोना महामारी चली जाये पर इसके बाद जी बेरोजगारी और भुखमरी की महामारी आनी है उससे बच पाना मुश्किल और नामुमकिन सा होगा. कहने का तात्पर्य जितनी मौतें और तबाही कोरोना से न हुई होंगी उससे ज़्यादा और कई गुनी तबाही इसके बाद होने वालीं हैं.

उठाने होंगे कदम..

गर जल्द ही शासन प्रशासन सरकार ने ठोश कदम नहीं उठाये और सही निर्णय न लिए तो कुछ भी हो सकता है जो हमने सोचा भी न होगा.

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