23जनवरी, 2019 की बात है. सुबह के यही कोई 9 बजे थे. लोग अपनेअपने कामधंधे पर जा रहे थे. तभी अचानक रतलाम जिले के कमेड गांव में रहने वाले हिम्मत पाटीदार के घर से रोनेचीखने की आवाजें आने लगीं. हिम्मत पाटीदार के पिता लक्ष्मीनारायण पाटीदार घर के बाहर चबूतरे पर गमगीन बैठे थे.

गांव के लोगों ने जब उन से पूछा तो उन्होंने रोते हुए बताया कि रात को किसी ने उन के बेटे हिम्मत की हत्या कर दी है. थोड़ी ही देर में यह खबर पूरे गांव में फैल गई. हिम्मत की लाश गांव से बाहर खेत में पड़ी हुई थी. कुछ ही देर में उस जगह गांव के तमाम लोग पहुंच गए.

हिम्मत को दबंग किसान माना जाता था. उस के ताऊ के बेटे संजय पाटीदार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में जिला स्तर के पदाधिकारी थे. हिम्मत पाटीदार भी आरएसएस से जुड़ा था, इसलिए उस की हत्या से गांव के लोगों में काफी आक्रोश था.

इस घटना की जानकारी बिलपांक थानाप्रभारी विनोद सिंह बघेल को मिली तो वह अपनी टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. हिमत की लाश उस के खेत में पड़ी हुई थी. पुलिस ने जब लाश का मुआयना किया तो देखा, उस का गला रेता हुआ था.

पहचान छिपाने के लिए हत्यारे ने उस का चेहरा जलाने की कोशिश भी की थी, जबकि उस की पहचान की दूसरी चीज मोबाइल उस के पास पड़ा था. साथ ही उस की जैकेट व पैंट की जिप खुली हुई थीं. उस की पौकेट डायरी में फोटो व दूसरे कागज रखे मिले.

थानाप्रभारी ने यह जानकारी अपने उच्चाधिकारियों को दे दी. कुछ ही देर में एडीशनल एसपी प्रदीप शर्मा, एसडीपीओ मान सिंह चौहान भी घटनास्थल पर आ गए. दोनों अधिकारियों ने भी लाश का मुआयना किया. उन्हें आश्चर्य इस बात पर हुआ कि जब हत्यारों ने मृतक की पहचान छिपाने के लिए उस के चेहरे को जलाया था तो उस की पहचान की दूसरी चीजें वहां क्यों छोड़ दीं.

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