कोलकाता में महिला डाक्टर से रेप की वारदात ने सभी को झकझोर कर रख दिया है, जो कुछ भी हुआ वह वाकई में दर्दनाक था. लेकिन अब उस का फायदा उठा कर महिलाओं को घर में कैद करने की साजिश ने जोर पकड़ लिया है. ताकि महिलाएं घर में रह कर सिर्फ चूल्हा चौका संभालें. पुरुषों के साथ कंधें से कंधा मिला कर न चल पाएं. पहले भी यही कह कर महिलाओं को डराया जाता था कि घर से बाहर जाओगी तो लूट ली जाओगी, रेप का डर है और न जाने क्याक्या कह कर उन्हें धमकाया जाता रहा है. इस से तो अच्छी भली औरतें डर ही जाएंगी कि बाहर पता नहीं क्या हो रहा है, हमारा घर से बाहर निकलना सेफ नहीं है.

जबकि सच यह है कि बहुत थोड़े से लोगों में इतनी हिम्मत होती है कि वह लड़की के साथ जबरदस्ती संबंध बनाएं. लेकिन इस तरह की घटनाएं होने पर हल्ला इस तरह मचा दिया जाता है कि बाहर का माहौल बहुत खतरनाक है जगहजगह दरिंदगी हो रही है. नतीजन लोग डर जाते हैं.

रिस्क तो हर जगह है

जहां तक बाहर जाने पर रिस्क की बात है वो तो हर जगह है. जो लोग सेना में होते हैं उन्हें भी कभी भी लड़ाई करते वक्त उन के हाथपैर टूटने का डर होता है, गोली लगने और मारे जाने का रिस्क होता है, यही बात पुलिस वालों के साथ भी है, तो क्या इस डर से वे अपनी नौकरी करना छोड़ देंगे, नहीं न, तो फिर लड़कियों को आप क्यों कहते हैं कि हाय तुझे कुछ हो न जाए.

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