लॉकडाउन 3 के रियायत का पहला दिन राज्यों के अर्थव्यस्था के लिए तो बेहतर रहा लेकिन कोरोना संक्रमण से होने वाले नाकाबंदी को कमजोर करने वाला रहा . पहले दिन ही लोग सामाजिक बंधन को तोड़ते हुए शराब पीता है भारत का प्रतीक बन कर उभरा. ना किसी को कोरोना वायरस का डर सता रहा था ना ही कोई सामाजिक लोग लज्जा से पीड़ित था. सबको हर कीमत पर सिर्फ और सिर्फ अपनी शराब की बोतल चाहिए थी. यह हम नहीं कह रहे हैं , यह कल की स्थिति बयान कर रही है. आइए जानते हैं भारत के कितने प्रतिशत लोग शराब पीते हैं. कोरोना संकट में क्यों जरूरी है शराब दुकान खोलना. क्या इसके अलावा और कोई विकल्प नहीं है. जनजीवन से लेकर सरकारी राजस्व तक शराब का दबदबा है. आइए इस बात को समझते हैं .
* शराब पर क्यों दी रियायत :- देश व्यापी लॉक डाउन के कारण राज्यों अर्थव्यवस्था नाजुक हो गया था , उसी को सही करने के उद्देश्य से शराब के दुकानों को खोला गया . ज्यादातर राज्यों के कुल राजस्व का 15 से 30 फीसदी हिस्सा शराब से आता है.
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* शराब का प्रभाव राज्यों के कमाई पर :- बिहार और गुजरात में शराब बिक्री पर प्रतिबंध लगा हुआ है, लेकिन बाकि राज्यों के कमाई पर शराब का बड़ा प्रभाव है. सभी राज्यों की बात की जाए तो पिछले वित्त वर्ष में उन्होंने कुल मिलाकर करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये की कमाई यानी टैक्स राजस्व शराब बिक्री से हासिल की थी. शराब की बिक्री से यूपी के कुल टैक्स राजस्व का करीब 20 फीसदी (करीबन 26,000 करोड़ ) हिस्सा मिलता है. यही पडोसी राज्य उत्तराखंड में भी शराब से मिलने वाला आबकारी शुल्क कुल राजस्व का करीब 20 फीसदी रहा था. वही वित्त वर्ष 2019-20 में शराब की बिक्री से महाराष्ट्र ने 24,000 करोड़ रुपये, तेलंगाना ने 21,500 करोड़, कर्नाटक ने 20,948 करोड़, पश्चिम बंगाल ने 11,874 करोड़ रुपये, राजस्थान ने 7,800 करोड़ रुपये, पंजाब ने 5,600 करोड़ रुपये और दिल्ली ने 5,500 करोड़ (करीब 14 फीसदी) का राजस्व हासिल किया था.