तमाम देशी और विदेशी अरबपतियों की सूची में भारतीयों की मौजूदगी अब सुर्खियां नहीं बटोरती क्योंकि अब हर साल फोर्ब्स पत्रिका में जारी होने वाली अरबपतियों की सूची में तमाम भारतीयों की मौजूदगी आम बात हो गई है. कुछ ऐसे ही हुनरमंदों के बारे में बता रहे हैं लोकमित्र.

हर साल सितंबरअक्तूबर माह में जारी होने वाली ‘फोर्ब्स’ पत्रिका की अरबपतियों की सूची में भारतीयों की मौजूदगी आम बात है. लेकिन इन सूचियों में अब ऐसे प्रोफैशनल अरबपतियों के नाम सामने आने लगे हैं जो अभी भी, पारंपरिक तरीके से सोचें तो, रईसियत के पर्याय नहीं. मसलन, सामान्य अध्यापकों और बाबुओं से ले कर मिस्त्रियों तक के बेटे या बेटियां अब इस श्रेणी में आने लगे हैं. अभिनेता अमिताभ बच्चन के पिता शिक्षा विभाग में कार्यरत थे. क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के पिता मराठी के लेक्चरर थे वहीं महेंद्र सिंह धौनी के पिता एक सार्वजनिक उपक्रम में तकनीकी कर्मचारी थे. अभिनेता शाहरुख खान की मां का मिट्टी के तेल का डिपो था. अगर सरसरी निगाह से सोचें तो यह जेहन में नहीं आता कि इतनी सामान्य पृष्ठभूमि से उठ कर भी कोई अरबपति हो सकता है. नए अरबपतियों की सूची में यही एक नई और ध्यान खींचने वाली बात है.

अमिताभ बच्चन ग्लैमर की दुनिया के भले दशकों तक शहंशाह रहे हों लेकिन जब उन की कंपनी एबीसीएल डूबी तो उन पर कई करोड़ रुपए का कर्जा था. सुनने में तो यहां तक आया है कि कुछ दिनों के लिए उन्हें अपना एक बंगला भी गिरवी रखना पड़ा था. हो सकता है यह बात सही नहीं हो लेकिन इस सच से कोई इनकार नहीं कर सकता कि उन की आर्थिक स्थिति बेहद खराब थी. शायद उस दौर में उन के बड़े से बड़े शुभचिंतक को भी यह उम्मीद नहीं रही होगी कि एक दिन बिग बी इन सब चीजों से उबर जाएंगे और अपनी अद्भुत प्रतिभा व प्रोफैशनल निष्ठा की बदौलत बदलते दौर में भी रोल मौडल बन जाएंगे.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...