लोकगीत अब गांव की परिधि से बाहर निकल कर शहर और देश विदेश तक पंसद किये जा रहे हैं. उत्तर प्रदेश के मशहूर अवधी लोकगीतों को देश विदेश में लोकप्रिय करने की चाहत रखने वाली लोकगायिका कुसुम वर्मा ने 5 घंटे में 51 लोकगीत पेश किये.

इसे मार्वल्स रिकार्ड बुक ऑफ इंडिया में जगह दी गई. इंटर कालेज की शिक्षिका कुसुम वर्मा ने अवधी लोकगीतों को देश विदेश तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया है. वह श्रीलंका, भूटान, थाईलैंड, नेपाल और मॉरीशस में इन गीतो की प्रस्तुति कर चुकी हैं.

घरपरिवार, बच्चों और शिक्षण कार्य के साथ इतना काम करना सरल नहीं होता. कुसुम वर्मा कहती हैं, पति और परिवार ने पूरा साथ दिया. उनके सहयोग से ही यह संभव हो सका है.

मार्वल्स रिकार्ड बुक ऑफ इंडिया में दर्ज कार्यक्रम लखनऊ के राय उमानाथ बली परिक्षागृह में पेश किया गया. कुसुम वर्मा ने अपनी गायकी से लोगों का दिल जीत लिया तो गीतों पर अभिनय करके ओम कुमारी सिंह, तेजस्विनी, रूबीराज सिन्हा, आरती सिंह ने अपने अभिनय से दर्शकों को पूरे समय तक बठने के लिये मजबूर कर दिया.

51 लोकगीतों में पूरे साल पड़ने वाले त्योहारों के गीतों को पेश किया गया. सबसे अधिक होली और विवाह गीतों ने श्रोताओं को आकर्षित किया. गीतो को सुदंर संगीत देने का काम अरविंद वर्मा, ज्योति प्रकाश, शोभराज और टिवंकल ने दिया.

कुसुम वर्मा कहती हैं, मेरा लक्ष्य अवधी लोकगीतों को एक अच्छे मुकाम तक पहुचाना है. ज्यादातर लोग लोकगीतों अश्लील और देहाती मानते हैं. हम यह दिखाना चाहते है कि अवधी लोकगीत सुनने में अच्छे लगते हैं और इनका प्रयोग अब टीवी सीरियल और फिल्मों में भी किया जाने लगा है. विदेशों में रहने वाले लोग इन गीतों को सुनकर प्रसन्न होते हैं और इनपर झूमते हैं तो यह देखकर सच में बहुत खुशी होती है.’  

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