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सांझ पड़े घर आना
अभी भी सब कुछ खत्म नहीं हुआ था, होने वाला था. बस मेरे कोर्ट में हाजिरी लगाने भर की देरी थी. मेरे पास आज भी 2 रास्ते खुले थे.
भाग - 1
हमेशा मुसकराते रहने वाली नीलिमा के घर जब उस की बौस गई, तो उस ने वहां ऐसा क्या देख लिया कि वह फफकफफक कर रोने लगी.
भाग - 2
वह धीरे से अपनी सीट से उठी और मेरी साड़ी के पल्लू से मेरे आंसू पोंछने लगी. फिर सामने पड़े गिलास से मुझे पानी पिलाया और मेरी पीठ पर स्नेह भरा हाथ रख दिया.
भाग - 3
अकेली लड़की को न कोई घर देने को तैयार है न पेइंग गैस्ट रखना चाहता है. मेरी जिंदगी के हालात बहुत बुरे हो चुके थे.
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