विश्व में एक बार फिर धर्मों के भीतर लड़ाई जोर पकड़ रही है. इराक, सीरिया, पाकिस्तान, अफगानिस्तान में मुसलमान गुटों में खूनी संघर्ष बताता है कि अब देशों में राजनीतिक लड़ाई की जगह एक ही धर्म के अलगअलग पंथों के बीच कलह चरम पर पहुंच रही है. भारत में कुछ ऐसा ही मामला साईं बाबा की पूजा को ले कर द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने उठाया है. यह भी हिंदू धर्म के मानने वालों की आस्था और विश्वास से जुड़ा हुआ है.

एक ही धर्म में विश्वास और मान्यताओं को ले कर विवाद कोई नई बात नहीं है. विश्व के धर्मों में आपसी लड़ाई बहुत पुरानी है. हर धर्म में अकसर विचारों और मान्यताओं को ले कर मतभेद जगजाहिर होते आए हैं. काफी खूनखराबे हुए हैं. 2 अलगअलग धर्मों के बीच हिंसा और मारकाट तो स्वाभाविक है पर यहां तो एक ही धर्म के लोग आपस में युद्धरत हैं. इराक व सीरिया में इसलाम धर्म के अनुयायियों--शिया और सुन्नियों के बीच हजारों जानें ले चुका गृहयुद्ध आज का नहीं है. यूरोप में ईसाइयों में कैथोलिक और प्रोटेस्टैंट के बीच झगड़ा चलता आया है. भारत में भी हिंदू धर्म में आपसी वैरविद्वेष और कलह का रक्तरंजित इतिहास रहा है. बौद्धों में हीनयान और महायान लड़तेझगड़ते रहे हैं.

शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती द्वारा साईं बाबा की पूजा की मुखालफत के बाद हिंदू धर्र्म के ही 2 गुट आमनेसामने हैं. देश के प्रमुख धार्मिक तीर्थस्थलों पर इस मामले को ले कर खासी हलचल है. इलाहाबाद, बनारस और हरिद्वार में मठों, आश्रमों, मंदिरों में सामान्य भक्तों से ले कर साधुसंतों, महंतों, महामंडलेश्वरों की प्रतिक्रियाओं का दौर जारी है.हरिद्वार में हर की पैड़ी से ले कर शंकराचार्य चौक, संन्यास रोड, भीमगौड़ा, सप्त सरोवर मार्ग, कनखल, ऋषिकेश तक शंकराचार्य-साईं पूजा विवाद चर्चा में है. इस विवाद पर हर किसी के कान खड़े हैं. हरिद्वार में स्थित सभी अखाड़े और महामंडलेश्वर  शंकराचार्य के साथ हैं तो साईं बाबा के भक्त शंकराचार्य के विरोध में गुस्साए हुए हैं. नागा अखाड़ा तो साईं पूजा के खिलाफ खासा आक्रोशित है. वह धर्मयुद्ध पर उतारू नजर आता है.

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