गंगा नदी की सफाई को देश के बजट में बडे़ जोरशोर से प्रचारित किया गया है. गंगा की सफाई के लिए मिशन ‘नमामि गंगे’ शुरू किया गया है. इस के लिए 2,023 करोड़ रुपए का बजट तैयार किया गया है. इस में 1,500 करोड़ रुपए राष्ट्रीय स्वच्छ ऊर्जा फंड, 537 करोड़ रुपए राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना के तहत खर्च किए जाएंगे. यही नहीं, इस योजना के लिए और पैसा जुटाने के वास्ते एनआरआई गंगा फंड बनाने की योजना भी है, जिस के तहत विदेशों में रहने वाले लोग गंगा की सफाई अभियान के लिए पैसा दे सकते हैं.
गंगा नदी के किनारे बसे शहरों--केदारनाथ, हरिद्वार, कानपुर, वाराणसी, इलाहाबाद और पटना के घाटों की सुंदरता को बढ़ाने के लिए 100 करोड़ रुपए का अलग से बजट रखा गया है. अपने बजट भाषण में वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि नदियों के घाट ऐतिहासिक विरासत के साथ पवित्र स्थल भी हैं. इस को ध्यान में रखते हुए नदी किनारे के घाटों को सुदंर बनाने का काम करना है. गंगा के साथ ही साथ यमुना किनारे बसे दिल्ली शहर के घाटों का विकास भी इसी बजट से किया जाएगा.
गंगा नदी की सफाई का यह अभियान पर्यावरण का मामला नहीं है. अगर मामला पर्यावरण का होता तो गंगा के साथ ही साथ दूसरी नदियों की सफाई का भी ध्यान रखा जाता. एक तरफ केवल गंगा की सफाई अभियान के लिए 2,023 करोड़ रुपए का बजट रखा गया है तो दूसरी तरफ देश की दूसरी प्रमुख नदियों को आपस में जोड़ने की योजना पर खर्च करने के लिए केवल 100 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है.