Social Media : मैं उत्तराखंड के कोटद्वार से हूं लेकिन परिवार के साथ दिल्ली में रहता हूं. मेरी छोटी बहन कई सोशल मीडिया प्लेटफौर्म पर एक्टिव है. मुझे डर लगता है कि कहीं वह साइबर बुलिंग की शिकार न हो जाए. उस की उम्र केवल 14 साल है इसलिए उस से ज्यादा रोकटोक करना भी सही नहीं लगता. पर उसे जब भी फोन पर देखता हूं डरता हूं कि कहीं कल सोशल मीडिया पर उस की फोटोज वायरल नहीं हो रही हो.
सोशल मीडिया हमारी लाइफ का एक अहम हिस्सा बन गया है. युवा पीढ़ी बड़ी संख्या में फेसबुक, इंस्टाग्राम, वाट्सऐप और स्नैप चैट जैसे प्लेटफौर्म्स पर एक्टिव हैं. रील्स देखने और बनाने, मीम्स को एंजौय करने में वह घंटों अपना समय बरबाद कर रहे हैं. यह डिजिटल दुनिया जितनी फायदेमंद है, उस से कहीं ज्यादा खतरनाक भी है. खासकर जब बात साइबर बुलिंग की हो रही हो, तो चौकन्ना रहना जरूरी है. अगर आप की बहन की फ्रैंड्स है, तो उसे सब से मिलनेजुलने कहें, उसे कहें कि वह अपने दोस्तों को घर बुलाएं या उस के साथ घूमने बाहर जाएं. इस से उस का अकेलापन दूर होगा साथ ही मोबाइल से दूरी भी बढ़ेगी.
आप की बहन टीनएजर है इसलिए उस के रोकटोक करना सही नहीं रहेगा लेकिन उसे साइबर क्राइम से जुड़ी घटनाओं का उदाहरण दे कर बताएं कि वह किस तरह से बुलिंग का शिकार हो सकती है. उसे ऐसी ही घटनाओं के बारे में बताएं जिन में उस के उम्र के किशोरकिशोरियों के साथ दिक्कतें आई हों, इस से खुद ही उस के मन में चेतना पैदा होगी.
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