सवाल

हम ने नई सोसाइटी में आ कर 12 साल की बेटी का कोचिंग क्लासेस में ऐडमिशन कराया था. हमें लगा था कि नए कोचिंग सैंटर में उसे अच्छे बच्चे मिलेंगे जिन के साथ उस का शैक्षिक स्तर भी बढ़ेगा. परंतु हुआ बिलकुल उलटा. जब से वह इस नए कोचिंग सैंटर में जाने लगी है उस की भाषा में काफी बदलाव आ गया है. वह किसी को ‘तू’ कहती है तो कभी ‘ऐ ऐ’ कर के बुलाती है.

यह सोसाइटी के लफंगे बच्चों का ही असर होगा. मैं ने इस के चलते उसे कोचिंग सैंटर से निकलवाना चाहा लेकिन हम पहले ही 2 महीने की फीस एडवांस में दे चुके हैं. ऐसे में उसे कोचिंग से निकलवा भी नहीं सकते और उस के आचारविचार खराब होते भी नहीं देख सकते. समझ नहीं आता कि क्या करें?

जवाब

आप की समस्या का हल यह है कि आप अपनी बेटी से बात करें. वह अभी छोटी है, नासमझ है. जब तक आप उसे शांति से बैठ कर कुछ नहीं समझाएंगी, वह नहीं समझेगी. उसे बताएं कि हमारी भाषा किस तरह हमारे व्यक्तित्व को बनाती व बिगाड़ती है. उस की यह भाषा उस के कोचिंग सैंटर के बच्चों को शायद अच्छी लगती हो, लेकिन उस के स्कूल के दोस्तों और भविष्य में मिलने वाले लोगों को अच्छी नहीं लगेगी. वे उसे गंवार समझेंगे और उस से दोस्ती करना नहीं चाहेंगे. यह सब उस से कहने से  हो सकता है कि वह ऐसी भाषा और ऐसी भाषा बोलने वाले बच्चों से दूर रहने लगे. यदि किसी में आत्मविश्वास हो तो वह अपने चालचलन और अपनी भाषा पर नियंत्रण गंदे माहौल में भी रख सकता है. यह आत्मविश्वास पैदा करना आप का काम है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...