सवाल
मैं 38 वर्षीय गृहिणी हूं. घर की पूरी जिम्मेदारी मेरी है. पति जौब पर सुबह चले जाते हैं जो रात 9 बजे तक वापस घर लौटते हैं. बच्चे कालेज में पढ़ते हैं. दोनों का अपनाअपना रूटीन है. मैं सब के हिसाब से चलती हूं. घर का हिसाबकिताब, लेनादेना, नातेरिश्तेदारी, अड़ोसपड़ोस सब का खयाल रखना मेरी जिम्मेदारी है. कभीकभी तो ऐसा लगता है जैसे मैं कोई मशीन हूं जिस में सब बातें फीड हो रही हैं. दिमाग लगता है जैसे सब बातों से भर गया है. आजकल तो कुछ ज्यादा ही महसूस कर रही हूं कि मन और दिमाग अव्यवस्था का शिकार हो रहा है. कैसे मैं अपना दिमाग शांत करूं, कुछ समझ नहीं आ रहा?
जवाब
सब से पहले फालतू की बातों को दिमाग से निकालना जरूरी है. आप घरगृहस्थी के कामों में बुरी तरह से फंसी हुई हैं. कई तरह की समस्याओं का सामना अकेली कर रही हैं. अकसर गृहिणी को यह सुनने को मिलता है कि घर में तो रहती हो सारा समय, काम ही क्या है तुम्हारे पास.
लेकिन कहने वाले नहीं जानते कि गृहिणी होममेकर होती है. उसी के बलबूते घर के बाकी सदस्य बेफिक्र हो कर बाहर काम करते हैं.
खैर, बात करते हैं आप के मन को स्थिर करने की. तो, सब से पहले साउंड स्लीप को प्राथमिकता दें. मैंटल हैल्थ को मजबूती प्रदान करने के लिए नींद जरूरी है. पर्याप्त नींद नहीं मिलती तो इस से सोचनेसम?ाने की शक्ति प्रभावित होती है. यदि आप अपने दिमाग को व्यवस्थित करना चाहती हैं तो सब से पहले साउंड स्लीप लेने की आदत विकसित करें.
आप को नियमित रूप से व्यायाम करने की जरूरत है. आप का दिमाग कई सारी बातों से भरा हुआ है तो आप निश्चित रूप से तनाव में रहती होंगी. तनावमुक्त होने के लिए व्यायाम शुरू करें. आप शांत और सहज होती जाएंगी. आप की व्याकुलता खत्म होती जाएगी.