Family Conflicts : मैं एक नौकरीपेशा महिला (29 वर्ष) हूं. मेरी शादी को 4 साल हो चुके हैं. मेरी सासुमां को लगता है कि मैं घर की जिम्मेदारी नहीं निभा रही हूं. वे आएदिन मुझ पर ताने मारती हैं कि मैं ‘घर की बहू जैसी नहीं हूं’ और ‘घर बरबाद कर रही हूं.’ मैं दिनभर औफिस में मेहनत करती हूं, फिर भी मुझे समझने वाला कोई नहीं है. मेरे पति मुझ से कहते हैं कि मैं मां को नजरअंदाज करूं, पर यह रोजरोज सहना आसान नहीं है.

जवाब : सब से पहले, यह समझना जरूरी है कि पीढि़यों के बीच सोच का अंतर सामान्य है पर इसे संवाद से सुलझाया जा सकता है. आप अपनी सास के साथ एक दिन बैठें और उन से विनम्रता से बात करें. उन्हें बताएं कि आप घर को ले कर लापरवाह नहीं हैं, बल्कि संतुलन बनाने की कोशिश कर रही हैं. एक बार सासुमां से अकेले में शांति से बात करें, उन्हें बताइए कि आप उन की इज्जत करती हैं और घर को भी उतना ही अपना मानती हैं जितना वह.

यह भी पूछें कि उन्हें किस चीज से सब से ज्यादा तकलीफ होती है. शायद वे सिर्फ ध्यान चाहती हैं. अगर संभव हो तो किसी काम में उन्हें शामिल करें, ताकि वे उपयोगी महसूस करें, जैसे घर की रसोई में उन से राय लेना, उन्हें बताना कि आप औफिस में क्या करती हैं आदि.

उन्हें यह महसूस कराइए कि वह बेकार नहीं हो रही हैं. उन की जगह अब भी खास है. पति से भी कहें कि वे सुलह की प्रक्रिया में हिस्सा लें. पति को सिर्फ सुनने वाला नहीं, साथ निभाने वाला बनाएं.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
 

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
  • 24 प्रिंट मैगजीन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...