गरीब और मजदूर कंही रेल गाड़ी की पटरी पर सोते हुए ट्रैन के नीचे आ कर कट जा रहे है, तो कंही सड़क पर किसी बड़े वाहन के नीचे कुचल जा रहे, कंही भूख और प्यास से रास्ते मे ही दम तोड़ दे रहे. कई बार घर पहुचते पहुचते इस हालत के हो जाते है की वँहा पहुँच कर जान गंवा दे रहे. मज़दूरो की हालत बताती है कि देश और प्रदेश की सरकारों को उनकी कोई चिंता नहीं है.

सोशल मीडिया के जरिये देश की जनता की आंखों के सामने गरीब मजदूरों की हालत साफ साफ दिख रही है. ऐसी तस्वीरों को देश ही नही पूरी दुनिया देख रही है. विश्वगुरु बनने की दिशा में बढ रहे भारत मे  गरीब और मजदूरों के हालात किस कदर बिगड़े हुए है.

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गरीब मजदूरों का पलायन भारत की छवि को विश्व स्तर पर बुरी तरीके से प्रभावित कर रहा है यह बात अब बंद शब्दों में केंद्र सरकार की तारीफ करने वाले लोग समझ रहे हैं . सरकार ने बस, रेल और हवाई जहाज से प्रवासियों को अपने घरों तक ले जाने का दिखावा कर   वाहवाही लूटने का प्रयास किया. अखबारों में खबरों के जरिये इन बातों का प्रचार भी किया गया.

जब मजदूर और गरीबो का हुजूम सड़को पर दिखने लगा तब सबकी आंखे खुली की खुली रह गई कि यह गरीब और मजदूर कौन है ? जनता की सहानुभूति मजदूरों के साथ बढ़ने लगी. लोगो को यह साफ होने लगा था कि सरकार मजदूरों के नाम पर छलावा और दिखावा दोनो कर रही है. मजदूरों के साथ होने वाली दुर्घटनाओं से जनता के मन मे उपजी सहानुभूति से सरकार की बाते अब लोग सुन नहीं रहे है.

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