शुक्रवार 8 मई को सोशल मीडिया खासतौर से व्हाट्स एप पर एक पोस्ट तेजी से वायरल हुई थी जिसका शीर्षक था मीडिया सावधान , छद्मवेशी कर सकते हैं गुमराह . इस पोस्ट की शुरुआत में कहा गया था कि पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति का पताका फहराने बाला भारत का एकमात्र संगठन अखिल विश्व गायत्री परिवार के खिलाफ लंबे समय से तमाम साजिशें रची जाती रहीं हैं मगर दैवी शक्तियों के संरक्षण के चलते उनका भंडाफोड़ होता रहा है .
गायत्री परिवार के खिलाफ किसी अज्ञात साजिश की तरफ इशारा करती यह पोस्ट दिल्ली के एक पत्रकार ज्ञानेन्द्र सिंह के नाम से जारी हुई थी जिसमें इस पत्रकार ने राष्ट्रीय मीडिया को इस बात के लिए धन्यवाद भी दिया था कि उसने गायत्री परिवार के खिलाफ रची गई साजिश पर तबज्जुह नहीं दी . साथ ही मशवरा भी दिया था कि गायत्री परिवार के बारे में कुछ भी लिखने पढ़ने से पहले उसके वरिष्ठ कार्यकर्ताओं से बातचीत कर लें . पोस्ट के बीच में गायत्री परिवार के मुखिया डाक्टर प्रणव पंडया का भी जिक्र था कि उन्होने कहा है कि वे किसी भी जांच के लिए तैयार हैं .
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इस पोस्ट ने लोगों को हल्का सा चौंकाया था क्योंकि इसमें एक सस्पेंस भी मामले को लेकर था कि आखिर किस साजिश की बात की जा रही है जिससे भारतीय संस्कृति एकाएक ही एक ऐसे खतरे में पड़ गई है जिससे हर बार की तरह कोई दैवी शक्ति गायत्री परिवार और उसके पवित्र अभियानों की रक्षा नहीं कर पा रही इसलिए सोशल मीडिया को हथियार या जरिया बनाया जा रहा है . आम लोगों ने अंदाजा यही लगाया कि संस्कृति और धर्म के दुश्मनों ने जरूर कोई अफवाह गायत्री परिवार को निशाने पर लेते फैलाई होगी मुमकिन है वह यह हो कि हरिद्वार स्थित मुख्यालय शांति कुंज में कोरोना का संक्रमण फैल गया है .
गायत्री परिवार से जुड़े लोगों को इस बात पर शक था क्योंकि संस्थान के मुखिया डाक्टर प्रणव पंडया के निर्देश पर शांति कुंज हरिद्वार में कोरोना से लड़ने प्रतिदिन एक ऐसा स्पेशल हवन हो रहा है जिससे कोरोना वहाँ पर भी नहीं मार सकता . देश भर में फैले गायत्री परिवार के सदस्य भी कोरोना से बचाव के लिए अपने अपने घरों में कैद रहते यज्ञ कर रहे हैं और दूसरों से भी अपील कर रहे थे कि कोरोना से बचना है तो यज्ञ करो . माजरा जानने समझने इन लोगों ने न्यूज़ चेनल्स रिमोट के बटन दबाते बदल बदल कर देखे लेकिन उनके पर्दों पर गायत्री परिवार से ताल्लुक रखती कोई खबर नहीं थी . यानि कोई गंभीर बात नहीं थी .
लेकिन बात बलात्कार की थी – लेकिन अंदाजे के उलट बात जरूरत से ज्यादा विस्फोटक और गंभीर थी जिसका अंदरूनी तौर पर खुलासा होना शुरू हुआ तो गायत्री परिवार से जुड़े 16 करोड़ लोग सन्न रह गए कि उनके आदर्श और मौजूदा गुरु 70 वर्षीय डाक्टर प्रणव पंडया पर बलात्कार का घटिया और घिनोना आरोप लगा है और दिल्ली के विवेक विहार थाने में इसकी बाकायदा एफआईआर भी दर्ज हो चुकी है . राष्ट्रीय मीडिया इस सनसनीखेज वारदात पर खामोश था और है तो इसकी कई वजहें हैं लेकिन ज्यादा देर तक चुप रह पाएगा ऐसा कहने की कोई वजह नहीं .
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यह रिपोर्ट छतीसगढ़ की एक नाबालिग लड़की ने लिखबाई थी जिसे उसकी जुबानी समझें तो कहानी कुछ इस तरह आकार लेती है –
यह लड़की यानि पीड़िता छतीसगढ़ की राजधानी रायपुर के नजदीक एक गाँव की रहने बाली है . वह साल 2010 में मनीराम साहू नाम के एक परिचित के साथ उसके कहने पर शांति कुंज हरिद्वार उसके ही साथ आई थी . मनीराम गायत्री परिवार मिशन का सक्रिय कार्यकर्ता है . पीड़िता के मुताबिक 19 मार्च 2010 को वह शांतिकुंज हरिद्वार पहुंची थी तब उसकी उम्र महज 14 साल थी . मनीराम ने उसे भरोसा दिलाया था कि वहाँ रहते उसकी पढ़ाई लिखाई भी होती रहेगी और शादी भी हो जाएगी .
शांतिकुंज आकर पीड़िता को जप साधना बगैरह सिखाये जाने लगे और रसोई की काम में लगा दिया गया जिसे 50 लड़कियों का ग्रुप संभालता या संचालित करता था . यहाँ उसकी मुलाक़ात शैल जीजी से हुई जो प्रणव पंडया की पत्नी हैं इनका नाम शैलबाला शर्मा है और ये गायत्री परिवार के संस्थापक श्रीराम शर्मा आचार्य के इकलौती बेटी हैं . कुछ दिन बाद शैल जीजी ने उसे 10 लड़कियों के स्पेशल ग्रुप में शामिल कर लिया जिसका काम पंडया या शर्मा परिवार कुछ भी कह लें के परिवार की सेवा खुशामद करना था . ये दसों लड़कियां शैल जीजी और डाक्टर प्रणव पंडया के चाय नाश्ते , दोनों वक्त के खाने और दवाइयाँ बगैरह देने के काम करती थीं लेकिन इनका एक एक अहम काम शैल जीजी की मालिश करना भी होता था .
सहज समझा जा सकता है कि आश्रमों में धर्म गुरुओं और उनके परिवार के ठाट किसी राजा महाराजा से कम नहीं होते और देश के दूरदराज़ से आई गरीब परिवारों की लड़कियां गुलामों की तरह इनकी चाकरी मुफ्त के भाव करते खुद को धन्य और खुशकिस्मत समझती हैं कि उन्हें गुरु सेवा का पुण्य अवसर मिल रहा है . बदले में इन्हें रहना और खाना पीना मिलता है वह भी मजबूरी में इसलिए दिया जाता है जिससे कि ये यहाँ टिकी रहें . जैसे बड़े बंगलों में सरवेंट्स क्वाटर्स रहते हैं वैसे ही आश्रमों में छोटे छोटे दड़बो में पीड़िता जैसे नौकरों को सोने जगह दे दी जाती है और इन्हें साधक के खिताब से नवाज दिया जाता है .
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पीड़िता के मुताबिक हर दिन 10 लड़कियों के इस ग्रुप में से किसी एक की ड्यूटी दोपहर डेढ़ बजे डाक्टर साहब यानि प्रणव पंडया को उनके कमरे में काफी पहुंचाने की रहती है जो शैल जीजी के कमरे के ऊपर है. पीड़िता की माने तो उसका पहली बार बलात्कार साल 2010 के बारिश के दिनों में ही हुआ था जिसकी ठीक ठाक तारीख उसे याद नहीं . एक दिन शैल जीजी के आदेश पर वह काफी लेकर डेढ़ बजे काफी लेकर डाक्टर साहब के कमरे में पहुंची तो उन्होने उसे काफी टेबल पर रखने को कहा . पीड़िता अभी काफी टेबल पर रख ही रही थी कि प्रणव पंडया ने कमरे का दरबाजा बंद कर दिया और उसका हाथ खींचकर उसे बिस्तर पर बैठाल दिया .
प्रणव पंडया ने जबरन उसकी साड़ी उठाकर उसका बलात्कार किया . पीड़िता ने विरोध करते उन्हें लात मारी लेकिन वह जबरजसती करते गए . पीड़िता के यह कहने पर कि आप ठीक नहीं कर रहे हो प्रणव पंडया ने उससे कहा कि बस 5 मिनिट में छोड़ दूंगा . सात आठ दिन बाद फिर बलात्कार का दौहराब हुआ . पीड़िता जब काफी लेकर उनके कमरे में पहुंची तो प्रणव ने फिर उसका बलात्कार किया . इस बार पीड़िता ने हिम्मत जुटाते जीजी यानि शैलबाला को बात बताई तो उन्होने जबाब दिया कि मुंह बंद रखो किसी को बोलोगी तो तुम ही बदनाम हो जाओगी .
एक नियमित अंतराल से बलात्कार होने पर पीड़िता की तबीयत खराब रहने लगी और ब्लीडिंग भी ज्यादा होने लगी जो 10 दिन लगातार चलती थी , कुछ दिन रुकती थी और फिर शुरू हो जाती थी . यह परेशानी हर कभी होने लगी इसके बाद भी जीजी उसे डाक्टर साहब के कमरे में जाने को मजबूर करती थीं और मना करने पर भद्दी भद्दी गलियाँ देती थीं जिनसे पीड़िता डर और और भी सहम जाती थी क्योंकि जीजी उसे बदनाम करने की घरबालों को फंसा देने की और जान से मरबा देने की भी धमकी देती थीं . इस तरह यह आए दिन की बात हो गई .
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शांतिकुंज के अस्पताल में पीड़िता की कुछ दिन दवाइयाँ चलीं लेकिन कोई खास फायदा नहीं हुआ ब्लीडिंग बार बार होती रही उसकी यह हालत 2014 तक रही . जब उसकी तबीयत ज्यादा बिगड़ गई तो उसके घर बालों को बुला लिया गया और उसे चुप रहने की धमकी देते शैलबाला ने कहा जाओ घर जाकर आराम करो और किसी से कुछ कहा तो बदनाम कर देंगे तुम्हारी बात कोई नहीं सुनेगा , मेरी बात सब मानेंगे इसलिए अपना मुंह बंद रखना . नबम्बर 2014 में पीड़िता को घर भेज दिया गया . इसके बाद भी शांतिकुंज से उसके पास फोन आते रहे उसे फिर शांतिकुंज आने कहा जाने लगा और न जाने पर उसे बदनाम किया जाने लगा.
साल 2018 तक पीड़िता कुछ स्वस्थ हुई तो उसने अपने साथ हुई ज्यादती की रिपोर्ट दर्ज कराने की कोशिश की इसकी भनक प्रणव पंडया को लगी तो उन्होने फोन कर धमकी दी कि तुम कुछ नहीं कर पाओगी . बक़ौल पीड़िता आज जब वह निर्भया के दोषियों को सजा होते देखती है तो उसे फिर से हौसला मिला है और कानून पर उसका भरोसा बढ़ा है .
लाक डाउन के चलते पीड़िता अभी दिल्ली के विवेक विहार के एक मकान में अपने एक साथी के साथ 22 मार्च से फसी है . ऊपर बताई गई बातें उसने अपने साथी से लिखबाकर सीजेआई एनएमएल पीएमओ , एनसीडबलू को ऑन लाइन ईमेल करबाइं जिसके जबाब की प्रतियाँ और लाक डाउन के तहत काररवाई हेतु वहाँ से आदेश पत्र की प्रति भी उसके पास है . पीड़िता की शिकायत पर दिल्ली के विवेक विहार थाने में डाक्टर प्रणव पंडया और उनकी पत्नी शैलबाला पर धारा 376 , 506 और आईपीसी की धारा 34 के तहत मामला दर्ज कर उसे हरिद्वार कोतबाली भेज दिया गया है जिस पर आजकल में ही काररवाई शुरू होने की उम्मीद है . क्योंकि आरोप गंभीर हैं और दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक संगठन और उसके संचालकों से ताल्लुक रखते हुये हैं .
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रसूख और सच –
इस लड़की की बातों में कितनी सच्चाई और कितना झूठ , फरेब है इसकी चीरफाड़ करने से पहले एक नजर प्रणव पंडयाके रसूख पर डाली जानी जरूरी है जो उन्हें गैरमामूली करार देती है. अव्वल तो इतना कहा जाना ही काफी है कि वे गायत्री परिवार के संस्थापक श्रीराम शर्मा आचार्य के दामाद हैं और उनके पिता सत्यनारायन पंडया भी जज थे . श्रीराम शर्मा ने अपने दम पर अरबों का साम्राज्य खड़ा किया था और करोड़ों भक्त भी बनाए . पंडावाद से त्रस्त लोगों के लिए वे एक नया फ्लेवर थे जो धर्म को आध्यात्म दर्शन और विज्ञान से जोड़ते उसकी अलग नई व्याख्या करते थे लेकिन हकीकत में वे भी दूसरे धर्मगुरुओं की तरह सनातन धर्म के प्रचारक ही थे फर्क इतना भर था कि उन्होने गैरब्राह्मणो को भी पूजा पाठ और कर्मकांडों का अधिकार दे दिया था .
साल 1972 में इंदोर के एमजीएम मेडिकल कालेज से एमबीबीएस और 1975 में गोल्ड मेडल के साथ एमडी करने बाले प्रणव पंडया बिलाशक एक प्रतिभाशाली युवा और होनहार डाक्टर थे जिनहोने कुछ साल हरिद्वार के भेल में नौकरी की और इसी दौरान वे गायत्री परिवार से जुड़ गए . जल्द ही इस महत्वाकांक्षी युवा ने अपने साम्राज्य को विस्तार दे रहे और भगवान की तरह पुजने बाले श्रीराम शर्मा के दिल और संस्थान के साथ परिवार में भी अपनी जगह बना ली . शैलबाला श्रीराम शर्मा की इकलौती संतान थीं जिनकी शादी प्रणव से हो गई . इस तरह वे घर जमाई बनकर अपने परिवार सहित हरिद्वार में स्थायी रूप से बस गए और चर्चाओं के मुताबिक 1990 में ससुर की मौत के बाद उनके उत्तराधिकारी भी बने .
प्रणव ने सफलतापूर्वक गायत्री परिवार का कामकाज संभाल लिया और श्रीराम शर्मा की जगह ले ली . साल 2016 में उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह से नज़दीकियाँ उजागर हुईं जब उन्हें राज्यसभा में लेने पेशकश हुई जिसे समझदारी दिखाते प्रणव ने न कह दिया लेकिन अब तक उनके 16 करोड़ अनुयायी भाजपा की तरफ झुक गए थे . 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रणव ने एक बार चतुराई दिखाते भाजपा का खुलेआम प्रचार तो नहीं किया लेकिन अपने भक्तों को एक वक्तव्य के जरिये यह मेसेज जरूर दे दिया कि उन्हें भाजपा को वोट करना है तब उन्होने कहा था कि नरेंद्र मोदी को पीएम बनने एक और मौका मिलना चाहिए.
मोदी को मौका मिला और प्रणव की गिनती मोदी शाह के नज़दीकियों में होने लगी . एक बार अमित शाह शांतिकुंज पहुंचे तो उनका लाल कालीन बिछाकर स्वागत किया गया . इसी दौरान मीडिया के पूछे जाने पर उन्होने एक विवादस्पद वक्तव्य यह दे डाला था कि अगर राहुल गांधी कभी शांति कुंज आए तो इतने जोरदार तरीके से उनका स्वागत करना तो दूर की बात है बल्कि उन्हें आम भक्तों की तरह लाइन में लगना पड़ेगा . ऐसा क्यों यह सवाल किए जाने पर प्रणव ने बेहद तल्ख लहजे में कहा था , क्योंकि मैं उनकी शक्ल से भी नफरत करता हूँ .
ऐसे कई छोटे बड़े विवाद उनके साथ जुडते रहे लेकिन तूल नहीं पकड़ पाये क्योंकि अब प्रणव पंडया भी मीडिया के एक बड़े वर्ग की तरह सरकार के भोंपू बन चुके थे और लगातार एक नियमित अंतराल से पूजा पाठ बड़े पैमाने पर कराने लगे थे . मोदी को दिये जलाने का आइडिया गायत्री परिवार से ही मिला था . प्रणव ने कोरोना से बचने बचाने यज्ञ का देशव्यापी अभियान भी छेड़ रखा है जिसका मकसद पूजा पाठ के कारोबार को बनाए रखना ही है . देश भर में गायत्री परिवार से जुड़े लोग रोज घरों में यज्ञ हवन कर रहे हैं लेकिन कोरोना है कि भाग नहीं रहा .
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पीड़िता का सच –
7 अप्रैल को दिल्ली में रह रही पीड़िता ने हिम्मत जुटाते अपने साथ हुये बलात्कार की शिकायत मेल के जरिये सभी प्रमुख एजेंसियों से की तो उम्मीद के मुताबिक प्रणव पंडया और शांति कुंज ने इसका खंडन करते इसे गायत्री परिवार और उसके अभियानों के खिलाफ साजिश बताया लेकिन तब तक एफआईआर दर्ज हो चुकी थी .
मीडिया ने इस पर खास ध्यान नहीं दिया तो इसकी वजह प्रणव पंडया का रसूख और सरकार से नज़दीकियाँ ही है लेकिन अब और ज्यादा इस कुकृत्य पर पर्दा डाला जा सकेगा ऐसा लग नहीं रहा . बक़ौल प्रणव यह साजिश है जिसे शांति कुंज में बैठा एक शख्स ही अंजाम दे रहा है जिसे वे 17 मई को लाक डाउन खत्म होने के बाद शांति कुंज से बाहर का रास्ता दिखा देंगे .
यह शख्स कौन है उसका नाम वे नहीं बता रहे और न ही यह कि अगर यह साजिश है तो इसकी वजह क्या है . एक बयान में प्रणव ने यह आरोप भी लगाया है कि यह शख्स उन्हें अपनी पत्नी के जरिये भी ब्लेकमेल करता रहा है . अगर ऐसा था तो उन्होने वक्त रहते काररवाई क्यों नहीं की और क्यों ब्लेकमेल होते रहे यह भी वे नहीं बता पा रहे .
यानि दाल में कुछ काला है और उनके 16 करोड़ अनुयायी सकते में हैं . बात पीड़िता की करें तो उसकी शिकायत में दम है और वह बेवजह सीबीआई जांच की मांग नहीं कर रही है . गायत्री परिवार के लोग भी इसे साजिश मानकर ही अपना मन बहला रहे हैं जबकि साफ दिख रहा है कि 70 वर्षीय प्रणव पंडया जल्द ही कानून की गिरफ्त में होंगे और यह साबित करना उन्हें मुश्किल हो जाएगा कि वे बलात्कारी नहीं हैं .
शांतिकुंज से पीड़िता से कब कितनी बार फोन पर बात हुई और मनीराम साहू का रोल इसमें क्या है जैसी कई बातें अहम हैं . आशाराम बापू और राम रहीम जैसे आधा दर्जन धर्म गुरुओं पर जब बलात्कार के आरोप लगे थे तब भी उन्हें साजिश करार देते हुये ब्लेकमेलिंग ही माना गया था लेकिन सच सामने आने में देर नहीं लगी थी . यह और बात है कि इन धर्म गुरुओ के कुछ कट्टर भक्त आज भी यह मानने तैयार नहीं होते कि उनके गुरु जी ने बलात्कार जैसा घिनोना कृत्य किया होगा इसे भी वे कोई दैवीय लीला मानते हैं तो उनकी मानसिकता पर तरस ही खाया जा सकता है .
अब लाख टके का सवाल यह कि प्रणव पंडया बलात्कारी क्यों नहीं हो सकते जबकि नामी आश्रमों से आए दिन लड़कियों के यौन शोषण की करतूतें उजागर होती रहती हैं . 16 करोड़ लोगों की भावनाएं और आस्था बचाव की कानूनी वजह नहीं हो सकतीं जो अपने गुरु जी को लेकर संशय में फंस गए हैं . प्रणव पंडया निर्दोष साबित हों और उन्हें जेल व हवालात न जाना पड़े इस बाबत भी गायत्री परिवार के लोग घरों में प्रार्थनाए और यज्ञ हवन कर रहे हैं जबकि मामला अब ऊपर बाले की अदालत में नहीं बल्कि नीचे की अदालत में चलना है . हरिद्वार पुलिस एक्शन में आ गई है और जल्द ही और नई नई बातें भी सामने आएंगी.