जम्मू कश्मीर में चुनावी रंग अपने सबाब पर दिखाई दे रहे हैं. पहले चरण का मतदान संपन्न हुआ जिस से साफ दिखाई दे रहा है कि आने वाले समय में जम्मू कश्मीर सही अर्थों में धरती का स्वर्ग बदलने जा रहा है.
पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह दावा कर देश को ‘गुमराह’ कर रहे हैं कि अगर नैशनल कांफ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन केंद्र शासित प्रदेश में सत्ता में आया तो जम्मू कश्मीर में आतंकवाद फिर से बढ़ जाएगा.”
आगे कहा, “मैं प्रधानमंत्री से पूछना चाहता हूं कि पिछले 5 साल से उन की सरकार है और अनुच्छेद 370 हट चुका है, वह कहते थे कि अनुच्छेद 370 यहां (जम्मू-कश्मीर) आतंकवाद के लिए जिम्मेदार है, लेकिन आज अनुच्छेद 370 है ही नहीं. अब भी ये आतंकवाद क्यों है?”
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “प्रधानमंत्री को यह पता होना चाहिए कि जब वह दूसरों पर आरोप लगाते हैं तो तीन उंगलियां उन की ओर उठती हैं.” अब्दुल्ला ने आगे कहा, “जो लोग हम पर आरोप लगा रहे हैं, मैं उन से कहना चाहता हूं कि जब आप हमारी ओर एक उंगली उठाते हैं तो तीन उंगलियां आप की ओर उठती हैं. आप लोगों को गुमराह कर रहे हैं, आप हर दिन झूठ बोल रहे हैं.”
जम्मू-कश्मीर के चुनाव में मतदाताओं की पसंद निम्नलिखित कारकों पर निर्भर कर सकती है:
स्थानीय मुद्दे: रोजगार, विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, और सुरक्षा जैसे मुद्दों पर मतदाता अपने मत का उपयोग कर सकते हैं.
राष्ट्रीय मुद्दे: राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक विकास, और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों पर भी मतदाता अपने मत का उपयोग कर सकते हैं.
दलों की नीतियाँ और घोषणाएं: मतदाता विभिन्न दलों की नीतियों और घोषणाओं का मूल्यांकन करेंगे और अपने हितों के अनुसार मतदान करेंगे.
नेताओं की छवि: मतदाता नेताओं की छवि और उन की क्षमता का मूल्यांकन करेंगे और अपने मत का उपयोग करेंगे.
इन कारकों के आधार पर, जम्मू-कश्मीर के चुनाव में मतदाता किसी भी दल को चुन सकते हैं, जो उन के हितों और मुद्दों को पूरा करता हो.
जम्मू कश्मीर में राजनीतिक दलों की उपस्थिति और चुनावी माहौल एक जटिल और गतिशील परिदृश्य है. राज्य की राजनीति में कई दल सक्रिय हैं, जिन में से प्रत्येक की अपनी विचारधारा, नीतियां और समर्थक हैं. यहां कुछ मुख्य दलों की उपस्थिति और चुनावी माहौल पर एक नज़र :
नैशनल कान्फ्रेंस – यह दल जम्मू कश्मीर की राजनीति में एक प्रमुख भूमिका निभाता है. इस का नेतृत्व फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला जैसे अनुभवी नेताओं ने किया है.
पीपुल्स डैमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) – यह दल भी जम्मू कश्मीर की राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इस का नेतृत्व महबूबा मुफ्ती जैसे नेताओं ने किया है.
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) – भाजपा भी जम्मू कश्मीर में सक्रिय है और राज्य के विकास के लिए अपनी नीतियों को लागू करने की कोशिश कर रही है.
कांग्रेस- कांग्रेस पार्टी भी जम्मू कश्मीर में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही है और राज्य के लोगों के हितों की रक्षा करने के लिए काम कर रही है.
जम्मू कश्मीर में चुनावी माहौल अकसर तनावपूर्ण और जटिल होता है. राज्य की राजनीति में कई मुद्दे हैं, जैसे कि आतंकवाद, सुरक्षा, विकास, और रोजगार. इन मुद्दों पर विभिन्न दलों के अलगअलग दृष्टिकोण होते हैं.
चुनावी माहौल में अक्सर धार्मिक और क्षेत्रीय मुद्दे भी शामिल होते हैं. राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में अलगअलग दलों का प्रभाव होता है, जैसे कि कश्मीर घाटी में नैशनल कान्फ़्रेंस और पीडीपी का प्रभाव है, जबकि जम्मू क्षेत्र में भाजपा का प्रभाव है.
चुनावी माहौल में सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है. दलों द्वारा अपने अभियानों को चलाने और मतदाताओं तक पहुंचने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग किया जाता है.
अंत में, जम्मू कश्मीर में राजनीतिक दलों की उपस्थिति और चुनावी माहौल एक जटिल और गतिशील परिदृश्य है, जिस में कई दल और मुद्दे शामिल होते हैं
जम्मू कश्मीर की घटनाक्रम
पहला – विधानसभा की अवधि समाप्ति: जम्मू कश्मीर विधानसभा की अवधि जून 2016 में समाप्त हो गई थी, लेकिन राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होने के कारण चुनाव नहीं हो पाए.
दूसरा – अनुच्छेद 370 का हटना: अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के हटने के बाद, जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया. इस के बाद, राज्य में नए सिरे से चुनाव कराने की आवश्यकता है.
राजनीतिक अस्थिरता – जम्मू कश्मीर में राजनीतिक अस्थिरता के कारण, चुनाव आवश्यक हो गए हैं. राज्य में विभिन्न दलों के बीच मतभेद और गठबंधन की स्थिति ने चुनाव को आवश्यक बना दिया है.
लोकतंत्र की बहाली – चुनाव लोकतंत्र की बहाली के लिए आवश्यक है. इस से राज्य में एक स्थिर और निर्वाचित सरकार का गठन हो पाएगा.
विकास और सुरक्षा – जम्मू कश्मीर में विकास और सुरक्षा के मुद्दों को हल करने के लिए चुनाव आवश्यक हैं. राज्य में विभिन्न दलों के बीच विकास और सुरक्षा के मुद्दों पर अलगअलग दृष्टिकोण है.
इन कारणों से, जम्मू कश्मीर में चुनाव आवश्यक हो गए हैं. इस से राज्य में एक स्थिर और निर्वाचित सरकार का गठन हो पाएगा, जो राज्य के विकास और सुरक्षा के लिए काम करेगी.
जम्मू कश्मीर भारत का एक महत्वपूर्ण राज्य है, जो अपनी भौगोलिक, राजनीतिक, और सामाजिक विशेषताओं के लिए जाना जाता है. यहां कुछ मुख्य बिंदु हैं-
जम्मू कश्मीर हिमालय पर्वत श्रृंखला में स्थित है.
• इस की सीमाएं पाकिस्तान, चीन, और लद्दाख से लगती हैं.
• यहां कई नदियां हैं, जिन में से जेहलम, चेनाब, और रावी प्रमुख हैं.
• जम्मू कश्मीर की जलवायु ठंडी और शीतोष्ण है.
राजनीतिक स्थिति – जम्मू कश्मीर भारत का एक केंद्र शासित प्रदेश है.
यहां विधानसभा और लोकसभा के लिए चुनाव होते हैं. राज्य में कई राजनीतिक दल सक्रिय हैं, जिन में नैशनल कान्फ़्रेंस, पीडीपी, भाजपा, और कांग्रेस प्रमुख हैं. राज्य की राजनीति में आतंकवाद, सुरक्षा, और विकास मुद्दे प्रमुख हैं.
सामाजिक स्थिति- जम्मू कश्मीर की जनसंख्या लगभग 1.25 करोड़ है. यहां के मुख्य धर्म इस्लाम, हिंदू, और सिख हैं. राज्य में कई भाषाएं बोली जाती हैं, जिन में कश्मीरी, डोगरी, और उर्दू प्रमुख हैं.
यहां की संस्कृति विविध और समृद्ध है, जिस में संगीत, नृत्य, और कला का महत्वपूर्ण स्थान है
आर्थिक स्थिति- जम्मू कश्मीर की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि, पर्यटन, और उद्योग पर आधारित है. यहां के मुख्य उद्योग हैं, कश्मीरी कालीन, हस्तशिल्प, और फलों का उत्पादन. राज्य में बेरोजगारी और आर्थिक विकास मुद्दे प्रमुख हैं.