बंगाल की शेरनी ने बंगाल की धरती पर चाणक्य का विमान उतरने से क्या रोका, साहेब का माथा गर्म हो गया. तोते का पिंजरा खोला और आदेश सुनाया - जाओ जाकर सबक सिखाओ... तोतों की फौज आनन-फानन में शत्रु पर हमला करने निकल पड़ी, मगर बंगाल की बिल्लियों ने तोतों के छक्के छुड़ा दिये... तोतों के पर नोंच लिये, उनको कैद कर लिया... और उसके बाद जो कुछ हुआ उसने साहेब की परेशानी और बढ़ा दी.... हम कोई पंचतंत्र की कहानी नहीं सुना रहे, बल्कि पश्चिम बंगाल में हुए घमासान के बाद स्थिति का आंकलन करने की कोशिश कर रहे हैं. राजनीतिक लालसा में सीबीआई को जिस तरह हथियार बना कर इस्तेमाल किया गया और जिस तरह आका के आदेश का पालन करके सीबीआई ने पश्चिम बंगाल में जलालत झेली, ऐसा देश के इतिहास में पहले कभी नहीं देखा गया, और सोने पर सुहागा यह कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में जो फैसला दिया, उसने जहां ममता बनर्जी को बड़ी राहत पहुंचायी, वहीं मोदी-शाह की साजिश के परखच्चे भी उड़ा दिये.

3 जनवरी 2019 को सीबीआई के कोई 40 धुरंधर ‘शारदा चिटफंड घोटाले’ में कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार से कथिततौर पर पूछताछ करने पहुंचे थे. अब एक वरिष्ठ आईपीएस से पूछताछ के लिए 40 सीबीआई अधिकारियों की क्या जरूरत थी? वह कोई डकैत या आतंकी तो थे नहीं कि इतनी बड़ी फौज भेजे जाने की जरूरत पड़ी? अगर पूछताछ ही करनी थी तो चार-पांच अधिकारी काफी थे, आखिर 40 लोग इकट्ठे क्या पूछताछ करने वाले थे? साफ है कि नीयत सिर्फ पूछताछ की नहीं थी. इतनी बड़ी फौज राजीव कुमार के घर-आॅफिस पर छापेमारी के लिए भेजी गयी थी. छापेमारी होती तो शारदा चिटफंड से जुड़े दस्तावेज मिलते या न मिलते, मगर पश्चिम बंगाल सरकार से सम्बन्धित फाइलें तो जरूर मिल जातीं, जिसका राजनीतिक फायदा उठाया जा सकता था. दूसरा इरादा था राजीव कुमार को गिरफ्तार करने का, ताकि उनके जरिये चुनावी दौर में ममता बनर्जी के चुनावी कार्यक्रमों की ऐसी-तैसी की जा सके. उनकी चुनावी रैलियों में व्यवधान डाला जा सके. मगर ममता भी बंगाल की शेरनी हैं, भला अपने जंगल में किसी दूसरे को उत्पात मचाने की छूट कैसे दे देतीं? ऐसी दहाड़ीं कि सीबीआई अधिकारियों के पैरों तले जमीन खिसक गयी. जिसे जिधर राह दिखी, निकल भागा, मगर पांच-छह फिर भी हत्थे चढ़ ही गये. इन्हें कोलकाता पुलिस ने जम कर धुना और घंटों हवालात में बिठा कर रखा. उधर ममता बनर्जी अपने कमिश्नर के बचाव में दहाड़ती हुई मोदी-सरकार के खिलाफ धरने पर बैठ गयीं. देखते ही देखते देश भर से उन्हें समर्थन के फोन आने शुरू हो गये. लगभग पूरा विपक्ष उनकी ताकत बन कर पीछे आ खड़ा हुआ और इतनी बुरी तरह बाजी पलटते देख दिल्ली थरथराने लगी. सीबीआई को सुप्रीम कोर्ट की ओर दौड़ाया गया.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...