लेखक- शाहनवाज

बंगलादेश के 50वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आयोजित समारोह में हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मुख्य अतिथि बनाए जाने के विरोध में वहां भड़की हिंसा ने कई सवालों को खड़ा किया है. बंगलादेश में स्वतंत्रता के 50 साल पूरे होने पर वहां की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने नरेंद्र मोदी को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया. जिस के विरोध में बंगलादेश में खूनी हिंसा हुई. अल्पसंख्यकों (हिंदू), यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले छात्रों, पत्रकारों, मंदिरों, रेलगाडि़यों आदि पर हमले हुए. इन घटनाओं से 12 लोग जान गंवा चुके हैं.

ऐसे में कुछ बुनियादी सवाल हैं जिन के जवाब बंगलादेश में प्रदर्शन कर रहे लोग ही दे सकते हैं कि आखिर किस वजह से वे नरेंद्र मोदी का विरोध कर रहे हैं? क्या विरोध करने का कारण मोदी का विरोध है या वे भारत का विरोध कर रहे हैं? क्या प्रदर्शन कर रहे लोग नरेंद्र मोदी के केवल अतिथि बनाए जाने का विरोध कर रहे हैं या फिर उन के गुस्से का केंद्र शेख हसीना भी हैं? आखिर नरेंद्र मोदी से बंगलादेश की जनता इतनी खफा क्यों हैं? इन सवालों के जवाब जानने के लिए सरिता की टीम ने बंगलादेश के प्रदर्शनकारी छात्रों व कुछ महत्त्वपूर्ण लोगों से बात की. कब और कैसे शुरू हुआ विरोध 8 मार्च को बंगलादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने नरेंद्र मोदी को 26 मार्च को होने वाले समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पधारने के लिए आमंत्रित किया.

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उस के बाद 15 मार्च से बंगलादेश में नरेंद्र मोदी के आगमन के खिलाफ आंदोलन शुरू हो गया. यह आंदोलन मुख्य रूप से बंगलादेश के विभिन्न वामपंथी छात्र संगठनों द्वारा शुरू किया गया. बाद में साधारण लोगों और विभिन्न इसलामी समूहों ने भी नरेंद्र मोदी के आगमन का विरोध करना शुरू कर दिया. बंगलादेश की राजधानी ढाका स्थित जगन्नाथ यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करने वाले और बंगलादेश स्टूडैंट्स यूनियन के असिस्टैंट जनरल सैक्रेटरी खैरूल हसन जहीन बताते हैं, ‘‘नरेंद्र मोदी की विभाजनकारी नीतियों के खिलाफ हमारा आंदोलन पिछले साल से ही शुरू हो चुका था. पिछले साल 17 मार्च को ही जब शेख हसीना ने नरेंद्र मोदी को राष्ट्रपिता मुजीबुर रहमान के 100वें जन्मदिवस की वर्षगांठ के अवसर पर निमंत्रित किया था तभी से ही बंगलादेश के आम व प्रगतिशील नागरिक नरेंद्र मोदी के देश में आगमन का विरोध कर रहे थे.

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