पेरिस ओलंपिक के बाद रैसलर विनेश फोगाट यूथ आइकन बन कर उभरी हैं. कुश्ती से संन्यास लेने के बाद विनेश ने अपनी दूसरी पारी कांग्रेस के साथ राजनीति के मैदान में शुरू की है. हरियाणा के जुलाना विधानसभा सीट से उन का चुनाव लड़ना तय हो गया है. उन के साथ पहलवान बजरंग पूनिया ने भी कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की है और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता लेने के साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पूनिया को अखिल भारतीय किसान कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष भी नियुक्त कर दिया है. विनेश फोगाट के मैदान में आ जाने से जुलाना में मुकाबला दिलचस्प होने के पूरे आसार हैं. यहां से 2019 में जजपा के नेता अमर जीत डांडा ने चुनाव लड़ा था और 24193 वोटों के अंतर से भाजपा को शिकस्त दी थी.
जुलाना विधानसभा सीट जो विनेश के ससुराल क्षेत्र में आती है, अब एक हौट सीट बन गई है. जाटलैंड की इस सीट पर हमेशा क्षेत्रीय पार्टियों, जैसे इनेलो और जेजेपी का प्रभाव रहा है, लेकिन विनेश और बजरंग के कांग्रेस में शामिल होने से पार्टी को जाट वोट बैंक को मजबूत करने में मदद मिलेगी, जो राज्य की कुल जनसंख्या का लगभग 25 प्रतिशत है.
विनेश का टिकट तय होते ही उन के ससुराल और मायके दोनों पक्ष के लोग उनके चुनाव प्रचार की तैयारियों में जुट गए हैं. विनेश के भाई हरविंद का कहना है, “संघर्ष जारी रहेगा, चाहे वह सड़क पर हो या कुश्ती मैट पर, और अब राजनीति में भी. हम महिलाओं, किसानों और गरीबों के लिए के लिए स्वस्थ राजनीति करेंगे.”
हरविंदर ने भाजपा नेताओं द्वारा विनेश के कांग्रेस में शामिल होने के बाद दिए गए बयानों पर भी निशाना साधा है और पूर्व खेल मंत्री अनिल विज की आलोचना करते हुए कहा कि ओलंपिक्स लौटने के बाद कोई भी भाजपा नेता विनेश का स्वागत करने नहीं आया.
उधर पार्टी की ओर से मिली अहम जिम्मेदारी के बाद बजरंग पूनिया ने भी सोशल मीडिया प्लेटफौर्म एक्स पर लिखा “मैं अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, नेता विपक्ष राहुल गांधी और केसी वेणुगोपाल का धन्यवाद करना चाहूंगा, जो मुझे इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी है. मैं संकट से जूझ रहे किसानों के साथ कंधे से कंधा मिला कर उन के संघर्षों का साथी बनने की कोशिश करूंगा और संगठन का सच्चा सिपाही बन कर काम करूंगा. जय किसान.”
गौरतलब है कि खिलाड़ियों के यौन शोषण के खिलाफ आवाज उठाने और जंतर मंतर पर धरना दे कर पुलिस की क्रूरता का शिकार होने वाली विनेश फोगाट को आज देशव्यापी जनसमर्थन हासिल है, जिस को कांग्रेस अपने हक में न सिर्फ बड़ी आसानी से भुना लेगी बल्कि पहलवान ही हिम्मत, ताकत, जज्बा, जुझारूपन और महिला सुरक्षा के लिए संघर्ष का जो रूप पिछले साल से अब तक दिखाई पड़ा है, उस के बाद विनेश यदि अन्य कांग्रेसी उम्मीदवारों के प्रचार के लिए भी सड़क पर उतरती हैं, तो उन की विजय भी निश्चित कर देंगी ऐसा माना जा रहा है.
उधर विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया के कांग्रेस की सदस्यता लेने के बाद से ही भाजपाई खेमे में बड़ी बेचैनी है. खिलाड़ियों के यौन शोषण मामले में आरोपों का सामना करने वाले भाजपा नेता बृजभूषण शरण सिंह के सीने पर भी सांप लोट रहे हैं. बृजभूषण के कारण पहले ही भाजपा अपनी काफी किरकिरी करवा चुकी है, अब बृजभूषण कह रहे हैं कि अगर पार्टी आज्ञा दे तो वे फोगाट और पुनिया के खिलाफ प्रचार में उतरना चाहते हैं. रस्सी जल गई पर बल नहीं गए. खिलाड़ियों के यौन शोषण के घृणित और संगीन आरोपों से घिरे बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ मामला अभी कोर्ट में है. मगर अभी भी उनके बेतुके बयान जारी हैं. वे बारबार पार्टी की तरफ देख रहे हैं और भाजपा नेतृत्व से उम्मीद लगाए हैं कि वे उन्हें पहलवानों के खिलाफ दंगल की इजाजत देंगे यानी खुद तो डूबे सनम तुम को भी ले डूबेंगे.
बृजभूषण यह कहने से भी नहीं चूके कि ‘मैं बेटियों के अपमान का दोषी नहीं हूं. अगर कोई बेटियों के अपमान का दोषी है, तो वह बजरंग और विनेश हैं. और जिस ने इस की पटकथा लिखी, भूपिंदर हुड्डा इसके लिए जिम्मेदार हैं. कांग्रेस के कुछ बड़े नेता इस के जिम्मेदार हैं. दोनों पहलवान करीब 2.5 साल से अंदरखाने पौलिटिक्स खेल रहे थे.’ खैर, बृजभूषण अब कितना ही चीख चिल्ला लें और कितने ही हाथ पैर मार लें विनेश फोगाट को जीत से नहीं रोक सकते और यह बात भाजपा का शीर्ष नेतृत्व भी भलीभांति जानता है. दरअसल विनेश फोगाट को ओलंपिक्स से बाहर होने के बावजूद जो अपार जन समर्थन मिला उस से तिलमिलाए बृजभूषण शरण सिंह की हालत अब खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे जैसी हो गई है.
पेरिस ओलिंपिक में फाइनल में पहुंच चुकी विनेश फोगाट जब मात्र 100 ग्राम वजन अधिक होने के कारण मैदान से बाहर हुई थी तब भाजपा के आईटी सेल में जश्न मनाया गया था. यह बात भी किसी से छुपी नहीं है. राष्ट्रप्रथम की ताल ठोंकने वाले निजी खुंदक निकालने के लिए राष्ट्र का अपमान होता देखते भी रहे और उस को सैलिब्रेट भी किया, भले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से खिलाड़ी के समर्थन में एक बयान आया हो. जबकि अन्य दलों और पूरे राष्ट्र ने विनेश फोगाट के देश लौटने पर उन का उसी तरह भव्य स्वागत किया जैसे एक विजयी खिलाड़ी का किया जाता है. एयरपोर्ट से ले कर उन के गांव तक उन्हें भारी सम्मान और समर्थन मिला.
हरियाणा से कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा खुद उन के स्वागत में एयरपोर्ट पहुंचे और उन की ही गाड़ी में फोगाट अपने गांव तक आई थीं. खाप पंचायत और शंभू बौर्डर पर किसानों ने भी उन का जोरदार अभिनंदन किया. पहलवान बजरंग पूनिया भी उन के साथ थे. तभी से अटकलें लगाई जा रही थीं कि विनेश फोगाट व बजरंग पूनिया कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं. दोनों पहलवान दिल्ली में भूपेंद्र सिंह हुड्डा से मिले और जब राहुल गांधी के साथ दोनों की तस्वीरें एक्स पर सामने आईं तो यह तय हो गया कि फोगाट और पूनिया राजनीति के मैदान में अपनी नयी पारी शुरू कर रहे हैं.
ओलिंपिक पहलवान विनेश फोगाट का संघर्ष सिर्फ खेल के मैदान तक सीमित नहीं रहा है, बल्कि निजी जीवन में भी वे एक योद्धा हैं. उन का जीवन और कैरियर संघर्षों से भरा रहा है. और हर संघर्ष के बाद वे चैम्पियन बन कर उभरी हैं. दिल्ली की सड़कों पर पहलवानों का आंदोलन विनेश के नेतृत्व में ही लड़ा गया था.
18 जनवरी 2023 को जब विनेश समेत भारत के कुछ दिग्गज पहलवान दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे थे तो पूरे देश की निगाहें जंतर मंतर पर टिक गई थीं और जब खिलाड़ियों को खदेड़ने के लिए पुलिस ने लाठियां भांजी और खिलाड़ियों को उठाने के लिए उन से नोचखसोट की तो उसे देख कर पूरा देश हिल गया था. महिला खिलाड़ियों ने कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. इन खिलाड़ियों को जंतर मंतर से हटाने और उन के आंदोलन को ख़त्म करने के लिए भाजपा के इशारे पर दिल्ली पुलिस ने जिस तरह खिलाड़ियों के साथ क्रूर व्यवहार किया और अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त महिला खिलाड़ियों को जिस तरह सड़कों पर घसीटा और पीटा गया, उस से भारी जनाक्रोश पैदा हुआ था.
इस के बाद तो मामले ने ऐसा तूल पकड़ा कि बृजभूषण शरण सिंह को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी. बावजूद इस के बृजभूषण को शर्म नहीं आई. भारतीय कुश्ती संघ में चुनाव का ऐलान हुआ तो बृजभूषण के करीबी संजय सिंह को अध्यक्ष बना दिया गया. संजय सिंह जो कि बृजभूषण के हाथ की कठपुतली थे, के अध्यक्ष बनते ही विनेश की साथी पहलवान साक्षी मलिक ने कुश्ती छोड़ने का ऐलान कर दिया. बजरंग पूनिया ने अपना पद्मश्री लौटा दिया, विनेश ने भी खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार लौटाने का एलान कर दिया और पैरा पहलवान वीरेंद्र सिंह (गूंगा पहलवान) ने भी पद्मश्री लौटाने की बात की. इतनी छीछालेदर के बाद खेल मंत्रालय की आंख खुली और उस ने भारतीय कुश्ती संघ को निलंबित किया. तदर्थ समिति बनाई गई तो अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक संघ ने भारतीय कुश्ती संघ को ही निलंबित कर दिया.
पिछले एकडेढ़ साल में विनेश का नाम काफी चर्चा में रहा. उन के खेल कैरियर के बारे में बताते चलें कि 3 बार की ओलंपियन विनेश फोगाट के पास कौमनवेल्थ गेम्स में 3 स्वर्ण, वर्ल्ड चैंपियनशिप में दो कांस्य पदक और एशियन गेम्स और एशियन चैंपियनशिप में एकएक स्वर्ण पदक हैं. वह पेरिस 2024 ओलंपिक के फाइनल में भी पहुंची लेकिन स्वर्ण पदक मैच की सुबह वेट-इन में विफल होने के बाद उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया.
25 अगस्त 1994 को जन्मी विनेश फोगाट अपनी चचेरी बहनों गीता फोगाट और बबीता कुमारी के नक्शेकदम पर चलती हैं और भारत के सबसे प्रसिद्ध कुश्ती परिवार से आती हैं. महज 9 साल की उम्र में विनेश फोगाट को अपने पिता की असामयिक मृत्यु का भी सामना करना पड़ा था. उन्हें बहुत कम उम्र में उन के चाचा महावीर सिंह फोगाट ने इस खेल से परिचित कराया था. जब विनेश फोगाट ने कुश्ती शुरू की थी तो गीता फोगाट धीरेधीरे खुद को राष्ट्रीय मंच पर स्थापित कर रही थीं, लेकिन उन्हें सामाजिक बाधाओं और कई असफलताओं को भी पार करना पड़ा. गीता की तरह विनेश को भी उन ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ा जो कुश्ती को पुरुषों का खेल मानते थे और महिलाओं को उनके घरों तक ही सीमित रखने की बात करते थे.
कई मुश्किलों और दर्द के बीच, यह विनेश फोगाट के चाचा महावीर ही थे जो उन के लिए मार्गदर्शक साबित हुए. उन्होंने इस युवा पहलवान की रुचि इस खेल में जगाई. एक शानदार जूनियर कैरियर के बाद, विनेश ने ग्लासगो में 2014 कॉमनवेल्थ गेम्स में 48 किलोग्राम भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीत कर अपना पहला बड़ा अंतरराष्ट्रीय खिताब जीता. इस के बाद विनेश अपने पहले ओलंपिक अनुभव की ओर आगे बढ़ चलीं. विनेश ने इस्तांबुल में अपना ओलंपिक क्वालीफाइंग इवेंट जीत कर रियो 2016 के लिए अपना कोटा स्थान पक्का कर लिया और वह ओलंपिक खेलों से पहले आत्मविश्वास से लबरेज थीं. लेकिन क्वार्टर फाइनल में पहुंचने के बाद विनेश का 21 साल की उम्र में अपने देश के लिए पदक जीतने का सपना टूट गया.
अंतिम 8 में पीपुल्स रिपब्लिक औफ चाइना की सुन यानान का सामना करते हुए, मैच के दौरान उन का दाहिना घुटना उखड़ गया. इस के बाद इस भारतीय पहलवान को बहते हुए आंसुओं के साथ मैट से बाहर ले जाया गया, उस समय विनेश का दर्द बिल्कुल साफ नजर आ रहा था और उन की पदक की संभावनाएं टूट चुकी थी.
लेकिन यह पहली बार नहीं था जब विनेश वापसी करते हुए सफलता के शिखर पर पहुंचीं. गोल्ड कोस्ट में 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स और जकार्ता एशियन गेम्स दोनों में स्वर्ण पदक उन के शीर्ष पर वापसी करने के दृढ़ संकल्प का प्रमाण था. इस के बाद भारतीय पहलवान ने 2019 सीजन में 53 किलोग्राम भार वर्ग में जाने का फैसला किया. विनेश फोगाट के प्रदर्शन पर इस बदलाव का कोई खास असर देखने को नहीं मिला, उन्होंने नूर-सुल्तान में वर्ल्ड चैंपियनशिप में पहला कांस्य पदक जीतने से पहले एशियन रैसलिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता. वहां उन के प्रदर्शन ने टोक्यो 2020 के लिए उनकी जगह पक्की कर दी.
टोक्यो ओलंपिक से पहले विनेश फोगाट जबरदस्त फौर्म में थीं. वह पूरे साल अजेय रहीं और एशियन चैंपियनशिप में अपना पहला स्वर्ण भी जीता. टोक्यो 2020 में महिलाओं के 53 किग्रा भार वर्ग में पहली वरीयता प्राप्त विनेश फोगाट ने स्वीडन की सोफिया मैटसन पर जीत के साथ शुरुआत की, लेकिन बेलारूस की वेनेसा कलादज़िंस्काया के खिलाफ अपना अगला मुकाबला हार गईं और बाहर हो गईं. विनेश ने बाद में खुलासा किया कि टोक्यो 2020 के दौरान वह सब से अच्छी शारीरिक और मानसिक स्थिति में नहीं थीं और इस के तुरंत बाद उन की कोहनी की सर्जरी हुई.
विनेश फोगाट ने 2022 में मैट पर वापसी की और बेलग्रेड में वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप 2022 में कांस्य पदक और बर्मिंघम में कौमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक के साथ सफलता हासिल की. उन्होंने उस वर्ष बीबीसी इंडियन स्पोर्ट्सवुमन औफ द ईयर का पुरस्कार भी जीता. फोगाट को हांगझोऊ में एशियन गेम्स 2023 के लिए भारतीय टीम में भी नामित किया गया था, लेकिन चोट के कारण वह प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं ले सकीं. जब विनेश चोटों से जूझ रही थीं, उस समय 2023 विश्व चैंपियनशिप और एशियन गेम्स में सफल अभियानों के दम पर अंतिम पंघाल महिलाओं के 53 किग्रा भार वर्ग में भारत की शीर्ष पहलवान बन कर उभरीं. अंतिम ने भी इसी श्रेणी में भारत के लिए कोटा हासिल किया.
हालांकि, विनेश ने 50 किग्रा वर्ग के लिए वजन कम करने के बाद पेरिस 2024 में लगातार अपने तीसरे ओलंपिक में हिस्सा लिया. उन्होंने एशियन रेसलिंग ओलंपिक क्वालीफायर में 50 किलोग्राम भार वर्ग में भारत के लिए ओलंपिक कोटा हासिल किया. उन्होंने पेरिस 2024 में बिना वरीयता के प्रवेश किया और अपने कैरियर की 3 सब से बड़ी जीत हासिल करने के बाद फाइनल के लिए क्वालीफाई कर लिया.
विनेश ने शुरुआती दौर में शीर्ष वरीयता प्राप्त और टोक्यो 2020 चैंपियन जापान की युई सुसाकी को हराया. उन्होंने सेमीफाइनल में क्यूबा की मौजूदा पैन अमेरिकन गेम्स चैंपियन युसनेलिस गुजमान को हराने से पहले क्वार्टरफाइनल में यूक्रेन की पूर्व यूरोपीय चैंपियन ओक्साना लिवाच को हराया. मगर ओलंपिक में कुश्ती के फाइनल में प्रतिस्पर्धा करने वाली पहली भारतीय महिला बनने के लिए तैयार विनेश का सपना टूट गया. यूएसए की सारा हिल्डेब्रांट के खिलाफ स्वर्ण पदक मुकाबले की सुबह मात्र 100 ग्राम वजन बढ़ने के कारण उन्हें इस मुकाबले के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया.
पेरिस 2024 ओलंपिक कुश्ती प्रतियोगिता से दिल तोड़ने वाली हार के बाद, निराश विनेश ने कुश्ती से संन्यास लेने की घोषणा कर दी. मगर देश वापस लौटने पर उन्हें इस बात का अहसास तक नहीं हुआ कि वे विजयी नहीं हुई हैं. जनता ने उन्हें सर आंखों पर बिठाया और उन का बढ़चढ़ कर सम्मान किया. यह वही विनेश फोगाट हैं जिन के बारे में भाजपा ने कहा था – ये दागा हुआ कारतूस हैं.
कांग्रेस की सदस्यता लेने के बाद विनेश ने कहा, “मुझे खुशी है कि मैं ऐसे दल के साथ हूं, जो महिलाओं के हित में खड़ी है. उन की लड़ाई संसद से सड़क तक लड़ने के लिए तैयार हैं. हम हर उस महिला के साथ हैं, जो खुद को पीड़ित महसूस करती है.”
फोगाट ने कहा, “भाजपा ने हमें दगा हुआ कारतूस बताया था. उन्होंने कहा था कि मैं नैशनल नहीं खेलना चाहती. मैं खेली और जीती. फिर उन्होंने कहा कि मैं ट्रायल दे कर नहीं जाना चाहती. मैं ने ट्रायल दिया और ओलिंपिक में गई. दुर्भाग्य से अंत में चीजें बिगड़ गईं. परमात्मा ने मुझे देश की सेवा करने का मौका दिया है और इस से अच्छा कुछ नहीं हो सकता है.”
कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के बारे में फोगाट का कहना था, “हमारी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है. कोर्ट में केस चल रहा है. हम ने खेल में कभी हार नहीं मानी तो यहां भी हार नहीं मानेंगे. मैं अपनी बहनों को यकीन दिलाती हूं कि मैं उन के साथ खड़ी हूं.”
विनेश फोगाट के राजनीति में उतरने से भाजपा की चिंता बढ़ गई है. शायद यही वजह है कि क्रिकेटर रविंद्र जड़ेजा सहित कुछ अन्य खिलाड़ियों को भाजपा की सदस्यता दिलाई गई है. योगेश्वर दत्त, बबीता फोगाट, तीर्थ राणा, दीपक हुड्डा व विजेंद्र सिंह पहले ही भाजपा में हैं. हरियाणा विधानसभा चुनाव में इन में से कुछ पर पार्टी दांव खेल सकती है. पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बबीता फोगाट, योगेश्वर दत्त और संदीप सिंह को मैदान में उतारा था. लेकिन इन में से सिर्फ संदीप सिंह ने ही जीत दर्ज की थी.