प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी के नेतृत्व में चल रही केंद्रीय सरकार ने एयर इंडिया को निजी हाथों में देकर अपनी पीठ थपथपाई थी. और टाटा के जाने पहचाने नामचीन सर परस्तों ने एयर इंडिया को अधिग्रहित करने के बाद बड़ी बड़ी देश हित की बातें की थी.
मगर आज यूक्रेन संकट के समय में जब सैकड़ों भारतीय यूक्रेन में फंसे हुए थे. नरेंद्र मोदी के एयर इंडिया के निजी करण का सच उघड़ कर सामने आ गया.
टाटा एयर ने भी दिखा दिया कि देश के लोगों से, मानवता से और किसी दुनियावी संकट से उनका कोई लेना देना नहीं है. हम तो पैसे कमाने के लिए बैठे हैं कोई चाहे मरे चाहें जीएं.
यही कारण है कि यूक्रेन में फंसे लोगों से टाटा एयर ने टिकट फेयर से दुगनी से ज्यादा लंबी चौड़ी राशि की मांग की. और जब यह पैसा उन्हें मिला तभी यूक्रेन से टाटा एयर का विमान भारत की उड़ान भरता है.
आपको यह खबर किसी समाचार पत्र में टीवी चैनल में दिखाई नहीं देगी. मीडिया के मुंह पर ताला लगा हुआ है.क्योंकि निजी करण की पोल खोलना सीधे-सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी की नीतियों की धज्जियां उड़ाना होगा. और टाटा एयर जैसे स्वनामधन्य पूंजीपति की पोल खोलना भला ऐसा साहस किसमें है... आइए! आज हम आपको यह सच बताते चलें और बताएं कि किस तरह यूक्रेन फंसे भारत माता के सपूतों के साथ केंद्र सरकार के संरक्षण में टाटा एयर ने आमनवीयता की हद पार कर दी और उनके लिए रूपए पैसे ही सब कुछ था.सवाल है
तो क्या इसी कारण भारत सरकार ने एयर इंडिया को बेचा है क्या कोई ऐसे नियम कायदे नहीं बनाए गए युद्ध के समय टाटा एयर को भी एयर इंडिया की ताजा भारत के जन-जन की सेवा करनी होगी इसी सेवा से बचाव के कारण भारत सरकार ने एयर इंडिया को टाटा को बेच दिया है.
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