“मैं फटाफट उन लोगों को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने ट्रंप को जिताने में मदद की. मैं धन्यवाद करना चाहूंगा ‘नेल्क बौयज’, थीओ वोन, बुस्सिन एंड लास्ट बट नौट द लीस्ट ‘जोए रोगन’ का.”
ये वाक्य 6 नवंबर को डोनाल्ड ट्रंप की फ्लोरिडा के वेस्ट पाम बीच के कन्वेंशन सैंटर में विक्ट्री जश्न पर स्टेज में शामिल डाना वाइट के थे. 1969 में मानचैस्टर में जन्मे डाना वाइट अमेरिकी बिसनैसमैन हैं और मौजूदा समय में अल्टीमेट फाइटिंग चैंपियनशिप (यूएफसी) के सीईओ व प्रैसिडैंट हैं.
ग्रे कोट और ब्लैक शर्ट में डाना विक्ट्री साइन दिखाते हुए स्टेज पर जब बोल रहे थे तो पीछे डोनाल्ड ट्रंप और उन की वाइफ मेलीनिया ट्रम्प मुसकरा रहे थे. जाहिर है, ट्रंप और डाना वाइट के बीच गहरे संबंध चुनाव के मद्देनजर नहीं थे.
ट्रम्प और व्हाइट की खासी हिस्ट्री रही है. यह कहना गलत न होगा कि राजनीति से दूर डाना वाइट ट्रंप के वोकल सपोर्टरों में से एक रहे हैं. इन की दोस्ती की शुरुआत 2001 में शुरू हुई थी. उस समय आयरिश-अमेरिकी कालेज ड्रौपआउट डाना वाइट मुक्केबाजी के टीचर थे. वे मिक्स्ड मार्शल आर्ट (एमएमए) चैंपियनशिप की शुरुआत कर रहे थे.
एमएमए उस दौरान प्रतिबंधों की रडार पर आ रहा था. उस समय के अमेरिकी सीनेटर जौन मैक्केन ने इसे ‘ह्युमन कौकफाइटिंग’ यानी मानव की मुरगा लड़ाई करार दिया और यूएफसी पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक कैंपेन को लीड किया था. यह वह समय था जब ट्रंप ने उन्हें बुलाया और कहा, ‘मेरे यहां आओ, यहां अपना प्रोग्राम करो, हम तुम्हें ट्रंप ताजमहल में जगह देंगे.’
डाना वाइट के अनुसार, अटलांटिक सिटी में अब बंद हो चुके कैसीनो और होटल ने यूएफसी 31 और यूएफसी 32 एमएमए इवैंट की मेजबानी की थी, जिस में ट्रंप इन लड़ाइयों को देखने आए, आखिरी तक रुके रहे. इन दोनों घटनाओं ने इस खेल को हाइप दी और आज यह दुनिया में सब से बड़ा एमएमए खेल बन गया है.
6 तारीख को आए अमेरिकी चुनाव परिणाम में डोनाल्ड ट्रंप कमला हैरिस से 226 के मुकाबले 312 सीटों से जीत गए. यह जीत बड़ी है, खासकर उस समय जब पूरी दुनिया में लिबरल और कंजरवेटिव के बीच मुकाबले में कंजरवेटिव बीस ही साबित हो रहे हैं और इस कड़ी में ट्रंप का जीतना पूरी दुनिया पर भारी पड़ने वाला है.
बहरहाल, जब डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति बनने की खुशी जाहिर कर रहे थे तब उस मंच से डाना वाइट ने जिन लोगों को धन्यवाद किया वे अमेरिका के वे दक्षिणपंथी सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स थे जो हाल में काफी विवादित और पौपुलर हो चुके हैं. इन में से एक इन्फ्लुएंसर जोए रोगन थे जो डाना वाइट के करीबी दोस्त हैं और यूट्यूब पर लंबीलंबी पोडकास्ट करते हैं. इन पोडकास्ट में वाइस प्रैसिडैंट और रिपब्लिकन पार्टी के नेता जे डी वेंस जैसे चर्चित लोग भी शामिल हुए जिन का पौलिटिकल व्यू एबौर्शन, सेम सैक्स मैरिज का विरोध करना है, हालांकि एक समय था जब जे डी वेंस ट्रंप के आलोचक थे और उन्होंने ट्रंप की तुलना हिटलर से कर दी थी.
यही नहीं, एलन मस्क भी इन की चौखट पर अपना माथा टेक कर आ चुके हैं. इस के अलावा ग्रैहम हंकोक्क, जो मशहूर ब्रिटिश औथर हैं और सूडोसाइंटिफिक थ्योरी को प्रोमोट करते हैं, जिन का काम धार्मिक गपों का गुब्बारा बना कर जैसेतैसे हिस्ट्री से जोड़ देना है, वे भी पोडकास्ट में आए हैं. इन की किताबों को लें, ‘फिंगरप्रिंट्स औफ द गौड्स’, ‘अमेरिका बिफोर : की अ अर्थ लौस्ट सिविलाइजेशन’, ‘सुपरनैचुरल’ आदि सभी फालतू की थ्योरियों को जोड़ कर कुछ मिस्ट्री क्रिएट कर के लिखी गई हैं. इस तरह के औथर भारत में भी उग आए हैं जो ढेरों आधेअधूरे तथ्यों को जोड़ कर कुतर्कों को तर्क बनाने की कोशिश में लगे रहते हैं. जोए रोगन कितने महत्त्वपूर्ण इन्फ्लुएंसर साबित हुए, इस का अंदाजा इस से लगाया जा सकता है कि इन के पोडकास्ट में डोनाल्ड ट्रंप भी चुनावीप्रचार के लिए जा चुके हैं.
जोए रोगन ने एक्स पर, राइटविंग फौक्स चैनल के उस वीडियो को पोस्ट किया जिस में ट्रंप की जीत की अनाउंसमैंट की गई थी, उस में लिखा, “होली शिट, सोचो तो उन के पास बेयोन्से, एमिनेम, लेब्रोन, टेलर स्विफ्ट और कई अन्य चर्चित लोग थे और वे तब भी हार गए.”
डाना वाइट ने जिन इन्फ्लुएंसर्स के नाम लिए उन में से एक एडिन रोज भी था. एडिन रोज ने ट्रंप का खुला समर्थन किया. एडिन के यूट्यूब पर तकरीबन 45 लाख सब्सक्राइबर्स हैं. वहीं इंस्टाग्राम पर उस के लगभग 70 लाख फौलोअर्स हैं. तकरीबन 3 महीने पहले एडिन रोज के चैनल ‘एडिन लाइव’ में डोनाल्ड ट्रंप गए. यह एक तरह का चुनावी प्रचार शो था, जहां एडिन ने ‘मागा’ की कैप पहनी और लगभग 1 घंटा 17 मिनट का लाइव शो किया. एडिन रोज ने ट्रंप को रौलेक्स गिफ्ट किया. एडिन एंड्रयू टेट जैसे मिसोजनिस्ट इन्फ्लुएंसर्स के साथ लाइव स्ट्रीम भी करता है. एंड्रयू टेट अमेरिका का महिलाविरोधी, नस्लवादी इन्फ्लुएंसर है, जिस पर हर कभी मुक़दमे चलते रहते हैं.
जानकारों का मानना है कि ट्रंप ने सोशल मीडिया का उस तरह इस्तेमाल नहीं किया जैसे कमला हैरिस ने किया. रिपोर्ट्स के अनुसार ट्रंप ने कमला के मुकाबले सोशल मीडिया पर कम पैसे खर्च किए थे. जहां कमला हैरिस ने लगभग 103 करोड़ रुपए खर्च किए, वहीं ट्रंप ने लगभग 5-6 करोड़ रुपए ही खर्च किए. लेकिन इस में दिलचस्प बात यह थी कि जहां कमला ने गूगल एड में पैसे खर्च किए वहीं ट्रंप ने इन्फ्लुएंसर्स का सहारा लिया.
हालांकि ट्रंप का पूरा चुनावप्रचार एक्स के मालिक एलन मस्क के हाथों में था, जिन पर आरोप लगे कि उन्होंने ट्विटर का डाटा कहीं न कहीं ट्रंप के फेवर में इस्तेमाल किया. उन पोस्टों की रीच कम की गई जो कमला हैरिस के समर्थन में थीं और उन की बढ़ाई गई जो ट्रंप के समर्थन में थीं, यहां तक कि कई उन पोस्टों को चलने दिया जो कमला या डैमोक्रेट्स के खिलाफ नफरती थ्योरी से भरी रहती थीं. यह भी नोट किया जाए कि ट्रंप समर्थक पोस्टों को ज्यादा से ज्यादा पौपअप किया गया ताकि वे शुरुआत में दिख जाएं. यानी, एक तरह से लगभग 80 ख़राब रुपए का ट्विटर पूरा का पूरा ट्रंप के हाथों में था.
रिपब्लिकन से प्रभावित इन्फ्लुएंसर डेविड लेदरवुड, जिन का एक्स अकाउंट ‘ब्रोक बैक पैट्रियट’ के नाम से है, ने रविवार को एक्स पर पोस्ट किया, “देशभक्तो, मैं अंतिम चुनाव के लिए ट्रंप अभियान के साथ साझेदारी कर रहा हूं और हमें आप की मदद की जरूरत है.” “पोर्टल यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि आप का मतदाता पंजीकरण सक्रिय है ताकि आप के वोट काउंट किए जा सकें.”
वहीं, इन्फ्लुएंसर मौर्गन ब्लेयर मैकमाइकल ने चुनाव के दौरान एक्स पर पोस्ट किया, “टीम ट्रंप को आप की जरूरत है, हम जीतेंगे, अपना वोट अवश्य दें.”
एक्स ने इन तरह के लोगों को खूब पौपअप किया. यही कारण भी है कि ट्रंप समर्थक इन्फ्लुएंसर्स और सरोगेट सोशल मीडिया पर ऐसे कंटैंट लगातार ला रहे थे, उन्हें ज्यादा रीच भी मिल रही थी, जो ट्रंप के समर्थकों या वोटरों को 2024 के राष्ट्रपति चुनाव के अंतिम दिनों में वोट देने के लिए मोटीवेट कर रहे थे, मगर दूसरी तरफ कमला हैरिस की टीम ऐसा नहीं कर पाई.
इन में से दसियों क्रिएटर्स और समर्थक ट्रंप मागा कैंपेन साइट पर लिंक पोस्ट कर रहे थे जहां मतदाता अपने पंजीकरण की स्थिति की जांच कर सकते थे, अपने मतदान स्थान ढूंढ़ सकते थे और अपने मतपत्र कहां डाल सकते हैं उस की जानकारी ले सकते थे.
सीजे पियर्सन एक कंजरवेटिव क्रिएटर है, जिस के एक्स पर 5 लाख से ज्यादा फौलोअर्स हैं, ने निजी न्यूज़ चैनल में कहा कि वह चुनाव की रात के लिए पाम बीच, फ्लोरिडा में रहेगा, जो ट्रंप का मार ए लागो रिजौर्ट है. कई ट्रंप समर्थक क्रिएटर्स ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर चुनाव परिणामों की लाइव स्ट्रीम होस्ट करने या अपने दोस्तों द्वारा होस्ट की गई अन्य स्ट्रीम में शामिल हुए.
पूरे कैंपेन के दौरान ट्रंप समर्थक एक टीम की तरह काम करते रहे. अक्तूबर में जे डी वेंस और टिम वाल्ज़ के बीच उपराष्ट्रपति की बहस के दौरान इन्फ्लुएंसर ने रिपब्लिकन के समर्थन में माहौल बनाने का काम किया. पियर्सन, जैक पोसोबिएक, एशले सेंट क्लेयर और रोगन ओ हैंडली सहित कई फेमस सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स अपने फोन और कंप्यूटर के साथ फिलाडेल्फिया कौन्फ्रैंस हौल में बैठ कर डिबेट करते रहे.
इन सब में सब से बड़े इन्फ्लुएंसर एलन मस्क ने इस पूरे चुनाव में ट्रंप के फेवर में बड़ी भूमिका निभाई. बताया जाता है कि पौलिटिकल एक्शन कमेटी (पीएसी), जिसे मस्क ने बैक किया था, ने ट्रंप समर्थन में फंड रेजिंग से ले कर, डोरटूडोर कैंपेन कर के, मीम्स और पोस्टर्स से ले कर नारों को लोगों तक पहुंचाया. यह इतना इफैक्टिव था कि जो स्टेट स्विंग स्टेट कहे जाते थे और डैमोक्रेट्स को इतनी दिक्कत उन में नहीं होनी थी, वहां भी ट्रंप भारी पड़े.
अमेरिका के इस चुनाव को इन्फ्लुएंसर्स के प्रभाव से भी देखना जरूरी है. इन का असर चाहे डायरैक्ट न हो मगर ये इन्फ्लुएंसर्स माहौल बनाने का काम तो जरूर करते हैं. यही काम भारत में भी होने लगा है. राजनेता अब लोगों के पास अपनी बातों को न ले जा कर इन्फ्लुएंसर्स के पास ले कर जा रहे हैं. काम पर वोट नहीं मांगे जा रहे बल्कि डर दिखा कर, माहौल बना कर वोट मांगे जा रहे हैं, जिस के लिए नेता अधकचरी जानकारी वाले इन इन्फ्लुएंसर्स के पास जाते हैं और ये अपनी अज्ञानता का सड़ा गोबर जहांतहां फैलाते रहते हैं.