“धर्म के साथ राजनीति बहुत खतरनाक हो जाती है. मैं उस धर्म को स्वीकार नहीं करना चाहता जो मुझे यह सिखाता हो कि इंसानियत हमदर्दी और भाईचारा सबकुछ अपने ही धर्म वालों के लिए है उस दायरे के बाहर जितने लोग हैं सभी गैर हैं उन्हें जिंदा रहने का कोई हक नहीं, तो मैं उस धर्म से अलग हो कर विधर्मी होना ज्यादा पसंद करूंगा.”

                                                            मुंशी प्रेमचंद 

2024 अघोषित रूप से विश्व चुनाव वर्ष हो गया है. इस साल लगभग आधी दुनिया में आम चुनाव हैं, कुछ में हो चुके हैं तो कुछ में होने वाले हैं या चल रहे हैं. दुनियाभर से चुनावों से जुड़ी जो दिलचस्प खबरें आ रही हैं उन में से एक अमेरिका की भी है. मुद्दा या समस्या है दफ्तरों में राजनीतिक बहसें जिसे ले कर नियोक्ता कंपनियां दो खेमों में ठीक वैसे ही बंट गई हैं जैसे दुनियाभर के लोग दो खेमों में बंट चुके हैं. पहला खेमा दक्षिणपंथियों का है और दूसरा गैर दक्षिणपंथियों का है जिस का जोर इस बात पर है कि राजनीति में धर्म नहीं होना चाहिए. 

अमेरिकी कंपनियां इस दिक्कत से जूझ रहीं हैं कि दफ्तरों में राजनैतिक बहसों के चलते कर्मचारियों में फूट पड़ रही है, जिस से कामकाज पर बुरा असर पड़ रहा है. दिलचस्प और चर्चित वाकिया अमेरिका की ही एक मार्केटिंग फर्म ग्रोथस्क्राइब का है जिस में दो कर्मचारी राष्ट्रपति जो बाइडेन को ले कर बहस में पड़ गए. जल्द ही दोनों में तूतूमैंमैं और हाथापाई होने लगी गालियों का भी आदानप्रदान हुआ. जैसेतैसे दोनों को अलग किया गया लेकिन कंपनी ने दफ्तर में राजनीतिक चर्चा पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया. 

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