33 करोड़ भारतीय इंस्टाग्राम पर हैं, यह संख्या हर दिन बढ़ रही है. फेसबुक पर 32 करोड़ लोग और ट्विटर पर 26 करोड़ लोग हैं. 54 करोड़ के करीब लोग व्हाट्सऐप पर हैं. अब पौडकास्टर के साथ भी नेता इंटरव्यू करने लगे हैं. ऐसे में लोकसभा चुनाव में राजनीतिक दलों के लिए सोशल मीडिया का प्रभाव बढ़ जाता है. 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने सोशल मीडिया को दोहरा प्रयोग किया. सोशल मीडिया के जरिए भाजपा ने न केवल अपना प्रचार अभियान चलाया बल्कि दूसरे दलों को बदनाम करने का काम भी किया.

सोशल मीडिया पर पलट गई है बाजी

भाजपा का सब से बड़ा हमला सब से प्रमुख विपक्षी कांग्रेस पर था. उस में भी गांधीनेहरू परिवार पर उस ने निशाना साधा. भाजपा ने इस के लिए सोशल मीडिया के साथ ही साथ अपने कार्यकर्ताओं का भी प्रयोग किया. किसी भी बात को तेजी के साथ देश के एक कोने से दूसरे कोने में फैलाने का काम किया गया. राहुल गांधी के लिए ‘पप्पू’ शब्द का प्रयोग हो या फिर ‘आलू से सोना बनाने’ वाली खबर का वायरल होना.

सोशल मीडिया के साथ ही इलैक्ट्रौनिक मीडिया का भी प्रयोग किया गया. खबरों को गढ़ने का काम हुआ. सत्ता पक्ष की जगह पर विपक्ष से सवाल किए जाने लगे. अगर भाजपा से सवाल पूछने का साहस किसी ने किया तो उस को रास्ते से हटाने के लिए चैनलों का स्वामित्व ही बदल दिया गया.

सवाल पूछने वाले पत्रकारों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा. रवीश कुमार, पुण्य प्रसून वाजपेयी, अजीत अंजुम जैसे नामों की लंबी लिस्ट है. अमेठी में स्मृति ईरानी से सवाल करने वाले पत्रकार को हटा दिया गया. पूरे देश में ऐसे पत्रकारों की लंबी लिस्ट है. अब ये सभी पत्रकार सोशल मीडिया, खासकर यूट्यूब, पर बेहद सक्रिय हैं. इन के लाखोंकरोड़ों देखने वाले हैं.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...