सत्ता पाने के बाद उसे जनताजनार्दन का आशीर्वाद बताने वाले शिवराज सिंह चौहान अचानक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद को नरेंद्र मोदी की कृपा समझने लगे हैं. वे इतने डरे हुए हैं कि जनता की छोड़ अपनी फिक्र करने लगे हैं. उन का अधिकांश वक्त मोदी की तारीफ में जाया हो रहा है. बीती 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 71वें जन्मदिन पर देशभर के और मध्य प्रदेश के सभी प्रमुख अखबारों में साढ़े 3 पृष्ठों के विज्ञापन छपे थे, उन में से 2 राज्य सरकार के थे. पहले विज्ञापन में नरेंद्र मोदी के रोबदार फोटो के ऊपर बड़ेबड़े लाल अक्षरों में लिखा था, ‘आप के सपने को संकल्प बना कर आत्मनिर्भरता के पथ पर अग्रसर.’ फिर संक्षिप्त 2 पैराग्राफ की गद्यरामायण मोदीजी का गुणगान करती हुई थी कि माननीय श्री नरेंद्र मोदीजी का गुजरात के मुख्यमंत्री से ले कर भारत के प्रधानमंत्री तक का 20 वर्षों का कार्यकाल जनकल्याण व सुराज की दृष्टि से मील का पत्थर साबित हुआ है.

इन अखबारों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह सहित दूसरे दिग्गज भाजपाइयों के लेख भी छापे, जिन में नरेंद्र मोदी की तारीफों में कसीदे गढ़े गए थे. दूसरे पृष्ठ के विज्ञापन में शिवराज सिंह फोटो में जबरन मुसकराने की कोशिश करते ऐलान कर रहे थे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिवस पर उन्हीं की प्रेरणा से मध्य प्रदेश में 17 सितंबर से 7 अक्तूबर तक जनकल्याण और सुराज अभियान मनाया जाएगा, जिस में यहयह और वहवह कार्य अमुकअमुक तारीखों में किए जाएंगे. अभियानों की इस तारीखवार लिस्ट को देख कर इस पर सियासी और गैरसियासी हलकों में हंसीमजाक में कहा यह गया कि चलो शिवराज सिंहजी 7 अक्तूबर तक तो सेफ हैं, इस के बाद जो होगा, देखा जाएगा. ठीक इसी दिन एक प्रमुख दैनिक अखबार में मुखपृष्ठ पर एक खबर प्रकाशित हुई थी कि विजय रूपाणी के सारे मंत्री बाहर, अन्य राज्यों में भी यह संभव. इस समाचार में केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव के हवाले से इशारा किया गया था कि भाजपा गुजरात के अभिनव ‘प्रयोग’ को अन्य राज्यों में भी आजमा सकती है. गुजरात प्रयोगशाला नहीं, बल्कि ‘प्रेरणा’ है (यानी प्रयोग को दोहराना ही प्रेरणा होता है).

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