शिंजो आबे की दोबारा जीत का मतलब यह कदापि नहीं कि जनता ने उनके प्रशासन व प्रदर्शन के प्रति पूरा समर्थन व्यक्त किया है, उसने इस बार उम्मीद जरूर रखी है कि उनके प्रधानमंत्री ऐसी स्थिर नीतियों पर आगे बढ़ेंगे, जो जापान को आर्थिक पुनरुद्धार और सुरक्षा की ओर ले जाएंगी. इस बार की जीत के यही असल मायने हैं, जिसे जापानी जनता की व्यापक आकांक्षाओं के रूप में लेने की जरूरत है.

आबे की लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी को जबर्दस्त बहुमत मिला है. यह 2012 के बाद आबे की लगातार विजय का भी रिकॉर्ड है. नतीजे आने के बाद आबे ने अपने शासन का निश्चय दोहराते हुए साफ किया कि ‘स्थिर राजनीति के तहत एक-एक कर नतीजे हासिल करना उनका मकसद रहेगा.’ सच यह है कि इस तीसरी विजय के साथ ही आबे की चुनौती बढ़ गई है और घरेलू व विदेशी नीतियों के संदर्भ में उन्हें स्थायित्व और दीर्घकालिक रणनीति तैयार करके न सिर्फ देश को कुछ नया देने का संकल्प लेना होगा, बल्कि इस पर आगे बढ़ते हुए दिखना होगा.

जापान इस वक्त मुद्रास्फीति, राजकोषीय पुनर्निर्माण और उत्तर कोरिया के परमाणु व मिसाइल विकास कार्यक्रम जैसी मुश्किल चुनौतियां झेल रहा है. ऐसे में, जरूरी था कि देश का नेतृत्व ऐसे हाथ में रहता, जिसका सब कुछ समझा-बूझा हो. जापान का नेतृत्व ऐसे विपक्षी दलों को नहीं सौंपा जा सकता था, जिस तरह के विपक्षी दल आज हमारे यहां हैं. आबे प्रशासन के पास प्रशासनिक निरंतरता और नीतियों को लागू करने की व्यापक क्षमता है. ऐसे हालात में देश के हित में यही बेहतर विकल्प था और जनादेश को इसी रूप में देखने की जरूरत है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...