एक लेखक संघ के आयोजित तमिलनाडु में सनातन धर्म उन्मूलन विषय में मंत्री उदय निधि ने सनातन धर्म की तुलना मलेरिया और डेंगू से कर दी.और इसके बाद देश भर में बवाल मच गया . प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने  इसका विरोध कर संकेत दिए हैं कि  आने वाले समय में देश में इसे एक मुद्दा बना दिया जाए. ऐसे में सवाल यह है कि क्या नरेंद्र मोदी संविधान के तहत ली गई अपनी शपथ भूल गए हैं जिसका सार यह है कि सभी धर्म हमारे लोकतंत्र में बराबर बराबर हैं.

सच्चाई यह है कि सनातन धर्म प्राचीन और रूढ़ियों से भरा हुआ है जिसके सच को देखकर के आज आधुनिक समय में कोई भी प्रगतिशील इसकी आलोचना करेगा और इसकी स्वच्छता और सफाई की कामना भी. शायद यही कारण है कि दक्षिण में सनातन धर्म को लेकर  लगातार जन जागृति के अभियान चल रहे हैं. दरअसल, सच यह है कि दक्षिण में चल रहे अभियान आधुनिकता की सोच के प्रतीक हैं जो उत्तर भारत में आने वाले  समय में स्थापित हो सकते हैं.

मुख्यमंत्री स्टालिन के पुत्र और मंत्री उदय निधि के कथन पर द्रविड़ मुनेत्र कषगम (प्रमुक) के उप महासचिव एवं लोकसभा सदस्य ए राजा ने एक कदम और आगे बढ़कर कृष्ण जन्माष्टमी के दिन सात सितंबर , गुरुवार को कई कदम बढ़ कर सनातन धर्म की तुलना कुष्ठ रोग और एचआइवी जैसी बीमारियों से की है. संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के दौरान केंद्रीय मंत्री रहे राजा ने कहा -" तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि की टिप्पणी काफी मामूली थी और उन्होंने केवल यह कहा था कि सनातन धर्म को डेंगू और मलेरिया की तरह खत्म किया जाना चाहिए, जिसमें कोई सामाजिक कलंक नहीं है." उन्होंने साफ-साफ संदेश दिया -" उदय निधि की टिप्पणी सामान्य है मैं और कड़ी टिप्पणी करूंगा."

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