ब्रिटेन के आम चुनाव में सत्तारूढ़ कंजर्वेटिव पार्टी बुरी तरह हार चुकी है और ऋषि सुनक की विदाई हो चुकी है. मसलन उन्होंने हार की जिम्मेदारी भी ले ली है. जिम्मेदारी लेनी भी थी क्योंकि सुनक पूरी तरह धर्मकर्म के भरोसे बैठे हुए थे चुनाव क्या खाक जिताते.
जिस तरह 4 जून को भारत में आए नतीजों से भाजपा के भक्तगण हैरान और परेशान थे कि यह हुआ तो हुआ कैसे, ठीक उस के एक महीने बाद 5 जुलाई को डबल झटका यहां उन्हीं भक्तों को ऋषि सुनक की बुरी तरह से मिली हार से फिर मिल गया है.
हार भी कोई मामूली नहीं है. ऋषि सुनक वाली सत्ताधारी कंजर्वेटिव पार्टी 14 साल बाद लेबर पार्टी से चुनाव हारी है. लेबर पार्टी जिसे भारत की कांग्रेस जैसा कहा जा सकता है, के 61 साल के कीर स्टार्मर देश के 58वें प्रधानमंत्री बन गए हैं.
सुनक ने हार स्वीकार कर पार्टी से माफी मांगी है. हैरानी यह कि हार मामूली नहीं है. सरकार बनाने के लिए 326 सीटों की जरूरत होती है. लेबर पार्टी ने कुल 650 सीटों में से 412 जीत दर्ज की है. वहीँ कंजर्वेटिव पार्टी को 120 ही सीटें मिल पाईं. इसे कंजर्वेटिव पार्टी की 200 सालों में मिली सब से बड़ी हार कहा जा रहा है.
जब से ऋषि सुनक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने थे उन्हें ले कर भारत में हिंदुत्व के समर्थक सनातन के फैलाव के रूप में देख रहे थे. उन का भारत में खूब प्रचारप्रसार भी किया गया. मगर दरअसल वे तो कंजर्वेटिव पार्टी के लिए महज बलि का बकरा थे, क्योंकि कंजर्वेटिव पार्टी की हालत ब्रिटेन में खस्ता होती चली जा रही थी. हुआ भी यही कि इस हार की जिम्मेदारी ऋषि सुनक ने अपने ऊपर ले ली.
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