उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव सभी दलों के लिये बेहद अहम है. भारतीय जनता पार्टी के सवर्ण मतदाता सबसे अधिक असमंजस में है. ब्राम्हण वर्ग ने योगी सरकार पर खुलेआम ठाकुरवाद का आरोप लगाया है. वह भाजपा से नाराज है. बनिया वर्ग भाजपा की केन्द्र और प्रदेश सरकार की आर्थिक नीतियों ने नाखुश है. भाजपा भी इस बात का डर लग रहा है. यही वजह है कि वह पिछडा वर्ग पर अधिक भरोसा करती दिख रही है. भाजपा के सवर्ण मतदाता बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी का वोट नहीं दे सकती है. ऐसे में कांग्रेस उनके लिये विकल्प की तरह है. विधानसभा चुनाव में सवर्ण मतदाता भाजपा को आइना दिखा सकते है.
कांग्रेस नेता और केन्द्रीय मंत्री रहे श्रीप्रकाश जायसवाल कहते है ‘कांग्रेस के संगठन को कमजोर बता कर उसकी ताकत को कमतर करके आंका जा रहा है. कांग्रेस हमेशा से ऐसे ही काम करती रही है. इमरजेंसी के बाद उसको खत्म मान लिया गया था. इसके बाद पार्टी सत्ता में आई. 2004 के चुनाव में कांग्रेस को खत्म मान लिया गया था. पार्टी ने 10 साल सरकार चलाई. कांग्रेस जिस तरह से जातिधर्म से उपर उठकर काम करती है. इससे लोगों के मन मंे उसके प्रति आस्था है. भाजपा के राज में समाज का ढांचा जिस तरह से टूटा है और आपस में दूरियां बढी है. इससे कांग्रेस की तरफ उम्मीद की तरह लोग देख रहे है.’
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कांग्रेस की वापसी:
यह सच है कि कांग्रेस के लिये उत्तर प्रदेश में सत्ता की वापसी बेहद कठिन काम है. 1988 में नारायण दत्त तिवारी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के आखिरी मुख्यमंत्री थे. इसके बाद मंडल कमीशन और राम मंदिर आन्दोलन ने जिस तरह से जाति और धर्म के सहारे राजनीति को बढावा दिया उससे कांग्रेस के लिये सत्ता में वापसी करना कठिन हो गया. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को सत्ता से बाहर हुये करीब 30 साल बीत चुके है. 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को केवल 7 विधानसभा क्षेत्रों में जीत मिली थी. 2019 के लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी की रायबरेली सीट ही कांग्रेस जीत पाई. अमेठी से राहुल गांधी तक चुनाव हार गये. ऐसे में प्रियंका गांधी को जीरो से कांग्रेस को आगे बढाना है.
2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बिना किसी दल से तालमेल के चुनाव लडने का मन बनाया है. कांग्रेस ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है. कांग्रेस ने 100 सीटों पर अपने प्रत्याशी तय कर लिये है. कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी की अगुवाई में कांग्रेस उत्तर प्रदेश के पूर्व, मध्य, पश्चिम और बुदंेलखंड इलाकों से 4 यात्राएं निकाली जायेगी. इसका नाम ’कांग्रेस प्रतिज्ञा यात्रा’ दिया गया है. 12 हजार किलोमीटर की इस यात्रा के दौरान 48 जिलों को कवर करना है. उत्तर प्रदेश विधानसभा में 403 सीटें है. कांग्रेस यह मान कर चल रही है कि वह 100 सीटों को जीतेगी. वह उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने का हिस्सा बनना चाहती है. प्रियंका गांधी को जिस तरह से महिलाओं का समर्थन मिल रहा है उससे वह भाजपा के लिये खतरा बन सकती है.
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प्रियंका का असर:
औल इंडिया प्रोफेशनल कांग्रेस लखनऊ चैप्टर 2 की अध्यक्ष और आर्किटैक्ट प्रज्ञा सिंह कहती है ‘प्रियंका गांधी ने जिस तरह से जनता के हर मुददे पर योगी सरकार के खिलाफ सडक पर उतर कर लडाई लडी है. किसी और दल के नेता ने यह साहस नहीं दिखाया. नागरिकता बिल के विरोध की बात हो या किसानों की लडाई. मंहगाई और बेरोजगारी के खिलाफ वह सडको पर उतरी है. इससे प्रदेश की जनता में एक उम्मीद की किरण जगी है. इसके अलावा कांग्रेस संगठन को भी सही दिशा में ले जाने का काम किया है. 2022 के चुनाव में इसका असर दिखेगा. कांग्रेस के वोटर वापस पार्टी की तरफ आ रहे है. जिससे कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनते दिख रहा है. महिलाओं में प्रियंका गांधी का असर बहुत है.’
कांग्रेस के आधार वोट ब्राम्हण, दलित और मुसलिम रहे है. भाजपा के बहुत सारे प्रयासों के बाद भी ब्राहमण उसके प्रति उदार नहीं दिख रहा है. मुसलिम रणनीतिक वोट डालता है. ऐसे में जिन सीटों पर कांग्रेस के नेता भाजपा को हराते दिखेगे वह वहां वोट देगा. दलित वोटबैंक पर मायावती का प्रभाव पहले जैसा नहीं है. ऐसे में वह भी कांग्रेस के पक्ष में खडा हो सकता है. कांग्रेस के आधारभूत वोट जैसे ही उसकी तरफ बढेगे कांग्रेस चुनाव जीतने की हालत में खडी हो जायेगी. 2022 के चुनाव में अगर कांग्रेस उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड और गुजरात में बेहतर प्रदर्शन कर ले गई तो 2024 के लोकसभा चुनाव में उसकी दावेदारी मजबूत हो जायेगी.
सीएम उम्मीदवार से बनेगी बात:
राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कांग्रेस के सामने 2017 में यह प्रस्ताव रखा था कि वह उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री के उम्मीदवार के रूप में प्रियंका गांधी को अपना चेहरा बनाए तो उत्तर प्रदेष के लोग पार्टी से जुड सकेगे. कांग्रेस उस समय इसके लिये तैयार नहीं हुई. लिहाजा यह बात आगे नहीं बढी. 2022 के विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस नेता और कैबिनेट मंत्री रहे सलमान खुर्शीद ने कहा कि 2022 के विधान सभा चुनाव में कांग्रेस प्रियंका गांधी को उत्तर प्रदेश में ‘सीएम फेस’ बना सकती है. सलमान खुर्शीद की बात पर कांग्रेस की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है. लेकिन जनता के बीच उनकी बात घर कर गई है.
कांग्रेस नेता और सोशल एक्टीविस्ट सदफ जफर कहती है ‘जनता को नेता के रूप में जिस जुझारू पर्सनाल्टी की तलाश होती है प्रियंका गांधी उसका उदाहरण है. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने हर नेता तो पुलिस का डर दिखाकर अपने खिलाफ सडक पर उतरने और मुंह खोलने से रोकने का काम किया है. लेकिन प्रियंका गांधी ने बिना डरे योगी सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ आवाज उठाने का काम किया है. नागरिका बिल के विरोध में सडक पर उतरी. पुलिस ने कई बार उनके साथ अभद्र व्यवहार भी किया. लेकिन वह डरी नहीं. कांग्रेसियों में उनकी वजह से उत्साह है. वह बेहतर नेता के रूप में जनता के बीच होती है.’
यह सच बात है कि प्रियंका गांधी के मुख्यमंत्री का चेहरा बनने के बाद यूपी की लडाई में जोरदार मोड आ सकता है. सपा-बसपा और भाजपा को जनता 30 साल से बारीबारी देख चुकी है. अब उसे कांग्रेस से उम्मीद दिख रही है. प्रियंका के ‘मुख्यमंत्री का चेहरा’ बनने से जनता में कांग्रेस के प्रति विश्वास बढेगा. जनता को यह लगेगा कि अब कांग्रेस यूपी को लेकर गंभीर है. भाजपा का यह आरोप निराधार है कि प्रियंका गांधी के लिये उत्तर प्रदेश केवल घूमने की जगह है. प्रिंयका यूपी की मुख्यमंत्री बन सकती है. इसका मनोवैज्ञानिक लाभ भी कांग्रेस को मिलेगा.