दुनिया में लोग अगर सभ्य और खुशहाल हुए हैं तो किसी और वजह से पहले उस की बुनियादी वजह सैक्स है क्योंकि शरीर सुख ने ही लोगों के दिलों में लगाव, प्यार और भावनाएं पैदा की हैं. मशहूर मनोविज्ञानी सिगमंड फ्रायड की इस थ्योरी को आज तक कोई चुनौती नहीं दे पाया है कि सैक्स एक एनर्जी है और जिंदा रहने के लिए बहुत जरूरी है. खाने के बाद की सब से बड़ी जरूरत सहवास केवल संतति आगे बढ़ाने का जरियाभर नहीं है बल्कि एक प्राकृतिक आनंद और उपहार भी है जिस का लुत्फ लोग जब जैसे चाहें, उठा सकते हैं. इस पर रोकटोक हो, तो जिंदगी कुंठित और तनावग्रस्त हो जाती है. क्या आप चाहेंगे कि जब आप अपने पार्टनर के साथ सैक्स कर रहे हों तो कोई आप के सिरहाने खड़ा हो? निश्चितरूप से आप का जवाब न में होगा, क्योंकि यह सोचना ही आप को असहज कर देगा.

यदि सिरहाने खड़ी या बैडरूम में आप की निगरानी कर रही वह अदृश्य चीज ‘कानून’ है तो यकीन मानें, आप सहवास नहीं कर सकते क्योंकि आप ही क्या, कोई भी इन अंतरंग क्षणों पर किसी तरह की पहरेदारी बरदाश्त नहीं कर सकता. लेकिन ऐसा होने वाला है. कानून आप के सैक्स कर्म पर ऐसी बंदिश लगाने वाला है जिसे न तो आप निगल सकेंगे और न ही उगल. जिस जनसंख्या नियंत्रण कानून को आप के इर्दगिर्द एक जाल की तरह बुना व बिछाया जाने वाला है, दरअसल, वह आप के प्राइवेट पार्ट्स पर नियंत्रण की एक साजिश है, औरत की कोख पर सरकारी ताला लगाने की चाल है. इस का संबंध जनसंख्या नियंत्रण से कम, आप की व्यक्तिगत आजादी को गुलामी में तबदील कर देने से ज्यादा है. इस साजिश को बहुत बारीकी से सम झने की जरूरत है कि किस तरह जनसंख्या नियंत्रण की आड़ में सरकार तरहतरह की दलीलें दे कर आप के बैडरूम में कानून का डंडा ले कर दाखिल होने वाली है. जनसंख्या नियंत्रण कानून का फंडा यही है कि कानून आप के सहवास की संख्या पर नहीं, बल्कि उस से होने वाले बच्चों की संख्या पर अंकुश लगाने के लिए है. यानी भोजन के उपवास की तरह आप सहवास का भी उपवास करें, वरना सजा भुगतने को तैयार रहें. सैक्स जितना चाहे करें, पर बच्चे उतने ही हों जितने सरकार तय कर दे.

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