बिहार तो बिहार, बिहार के बाहर के लोग भी, जो वहां की सियासत का मिजाज नहीं समझते, हैरान हैं कि आखिर यह ड्रामा है क्या और इस से नीतीश कुमार व भाजपा को हासिल क्या होगा. राजनीतिक पंडित जरूर नीतीश कुमार की पाला बदलने की लत में अब इंडिया गठबंधन का फायदा देखने लगे हैं क्योंकि इस बार की पलटी से नीतीश कुमार की इमेज जनता के बीच एक ऐसे नेता की बन चुकी है जो उस के वोट और समर्थन यानी जनादेश का बेजा इस्तेमाल करने में कोई लिहाज नहीं करता बल्कि सिर्फ अपनी खुदगर्जी देखता है.
सत्ता हस्तांतरित करना संवैधानिक तौर पर कितना आसान होता है, यह 28 जनवरी को देशभर के लोगों ने बिहार में देखा जिस का जिम्मेदार लोग नीतीश कुमार को ही ज्यादा मान रहे हैं, जिन की इमेज कल तक एक धीरगंभीर और वजनदार नेता की हुआ करती थी और जिन्हें वाकई लोहिया और जेपी की विचारधारा के उत्तराधिकारियों में से एक माना जाता था. भले ही उन की विचारधारा पूरी तरह अमल में न लाई जाए लेकिन उसूल, बातों और भाषणों में ही वह विचारधारा हो तो जनता नेता से बहुत ज्यादा नाराज नहीं होती. मगर इस बार कितने हलके में नीतीश कुमार को लिया जा रहा है उस की बानगी सोशल मीडिया पर उन की खिल्ली उड़ाती वायरल होती पोस्टों में से एक यह है-
यह मामला तीन तलाक का ज्यादा लग रहा है. भाजपा हर बार नीतीश को तीन तलाक देती है तो वे हलाला कराने लालू के पास चले जाते हैं और हलाला करा कर वापस भाजपा के पास लौट जाते हैं. एक और पोस्ट में कहा गया है, चच्चा इंजीनियर हैं और इंजीनियर हमेशा पैकेज देखता है.
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