पितृपक्ष में आमतौर पर पुरखे सपनों में आते हैं, लेकिन हैरानपरेशान भगवान राम अयोध्या मामले की अदालती सुनवाई के ठीक एक दिन पहले उत्तर प्रदेश शिया सैंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन सैयद वसीम रिजवी के ख्वाब में आए. बकौल रिजवी, भगवान रो रहे थे और ऐसा लगता है कि अयोध्या में मंदिर न बनने से भक्तों के साथ भगवान भी निराश हैं.
अब सोचना रामभक्तों को चाहिए कि कैसे राम को रिजवी जैसे लोगों के सपनों में आने से रोका जाए. भगवान, दरअसल, निराश नहीं बल्कि दुखी हैं जो जीतेजी 14 साल जंगलों की खाक छानते, कंदमूल खा कर गुजरबसर करते रहे और कलियुग के उन के भक्त उन्हें टैंट में पटके हुए खुद हलवापूरी खा रहे हैं. वैसे भक्तों ने भी जिद सी पकड़ रखी है कि चाहे जो भी हो जाए, उन्हें रखेंगे तो उन के धाम अयोध्या में ही. भले ही तब तक वे किसी के सपनों में आएजाएं, यह उन का व्यक्तिगत मामला है.