देश में संभवतया यह पहली बार हुआ है कि नरेंद्र मोदी का सम्मान ‘भाजपा’ द्वारा किया गया और वह भी इसलिए कि जी-20 सम्मेलन अच्छी तरह संपन्न हो गया.

यह कुछ ऐसी बात हो गई जैसे ‘भारत जोड़ो यात्रा’ पूर्ण करने के बाद अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस राहुल गांधी का सम्मान कार्यक्रम आयोजित करती. अगर मल्लिकार्जुन खड़गे राहुल गांधी का इसी तरह सम्मान किसी मसले पर कर दें तो क्या भारतीय जनता पार्टी और भाजपा के नेता मौन देखते रहेंगे. क्या ऐसे सम्मान समारोह आयोजित किए जाने चाहिए. ‌

दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सम्मान हो और उन की मातृसंस्था भाजपा ही सम्मान करे तो इसे अपनेआप में एक बड़ा मजाक ही कहा जाएगा.

अभी तक माना यह जाता रहा है कि आप ने अगर कुछ अच्छा किया है तो समाज, सामाजिक संस्थाएं, राज्य सरकार या देश की सरकार आप का सम्मान करें तो यह उचित और न्यायसंगत माना जाएगा. जी-20 सम्मेलन समाप्त होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी का भारतीय जनता पार्टी द्वारा 13 सितंबर को गुलाब के फूल दे कर सम्मान किया गया और यह सुर्खियां बनाया गया. इस से स्पष्ट है कि भाजपा और नरेंद्र मोदी की सोच कितनी नीचे चली गई है.

हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि देश के बड़े पदों पर बैठे लोग जैसा आचरण करते हैं, समाज भी वैसा ही करने लगता है. अब धीरेधीरे यह सब देख कर कोई भी व्यक्ति अपना सम्मान अपनी ही संस्थानों में कराने लगेगा क्योंकि वह अपनी संस्था का प्रमुख है तो ऐसा बहुत आसानी से संपन्न हो जाएगा. जबकि, नैतिकता की दृष्टि से यह पूरी तरह एक गलत आचरण ही होगा. नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री कार्यकाल में अगर जी-20 का सम्मेलन ऐतिहासिक रूप से संपन्न हो गया माना जा रहा है और सम्मान की आवश्यकता है तो यह कार्यक्रम अन्य दूसरी संस्थाएं करें तो अच्छा संदेश समाज में जाता. आप के आलोचक आप की प्रशंसा करें, सम्मान करें तभी वह सम्मान सम्मान है, अन्यथा यह तो कुछ ऐसा हो गया कि कोई शख्स बड़े पद पर पहुंच जाए, पैसे कमा ले तो अपने घर के ड्राइंगरूम में खरीद कर अपनी प्रशंसा के ‘ताम्रपत्र’ सजा ले.

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