जीवन के अंतिम समय पर गौदान के सहारे सारे पाप धो कर नये जन्म के लिये तैयार होने की परंपरा पुरानी है. हिन्दू धर्म में इसका अपना बड़ा महत्व है. अब उत्तर प्रदेश सरकार गाय को ही केन्द्र में रखकर चुनावी वैतरणी पार करना चाहती है. गाय और दूसरे छुट्टा जानवरों को लेकर गांव और शहर में व्यापक अंसतोष है. ऐसे में केवल गाय के संरक्षण केन्द्र खोलने से परेशानी का हल नहीं होगा. जिस स्तर पर गाय के ‘संरक्षण केन्द्र’ खोलने की जरूरत है वह ‘कांजी हाउस’ का नाम बदलने से पूरा नहीं होगा.
भारतीय जनता पार्टी आम चुनाव की तैयारी में ‘राम’ नहीं तो ‘गाय’ सही के मुद्दे पर आगे बढ़ रही है. भाजपा के लिये सबसे कठिन चुनौती उत्तर प्रदेश है. यहां लोकसभा की 80 सीटें है. इनमें से 73 सीटे 2014 के चुनाव में भाजपा को मिली थी. तीन राज्यों की चुनावी हार ने यह साफ कर दिया है कि लोकसभा चुनावों में वहां भाजपा के पहले जैसे हालात नहीं हैं. ऐसे में उत्तर प्रदेश पर भाजपा की उम्मीदों का बोझ बढ़ गया है. उत्तर प्रदेश में उम्मीदों को पूरा करने के लिये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर सबसे बड़ा दांव लगाया गया है. लोकसभा चुनावों में भाजपा की सफलता से ही योगी का राजनीतिक भविष्य तय होगा.
भाजपा ने जब राम मंदिर पर अपने पैर वापस खीचें तो प्रदेश में हिन्दुत्व को धार देने के लिये गौरक्षा और संरक्षण को प्रमुख मुद्दा बनाया जाने लगा. ‘छुट्टा जानवर’ गांव और शहर दोनों ही जगहों पर परेशानी बन चुके हैं. यह बात हर आदमी को पता है. सरकार भी इस बात को समझ रही है. असल में अब उत्तर प्रदेश सरकार को भी समझ नहीं आ रहा है कि वह इस समस्या से कैसे निपटे? ऐसे जानवरों के लिये गौ संरक्षण केन्द्र खोलने की योजना योगी सरकार बनने के पहले दिन से चल रही है. 2 साल में इस योजना को अमली जामा नहीं पहनाया जा सका है.