पूर्वांचल के पिछले लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी की इमेज सबसे बडी थी. 2019 के चुनाव में भाजपा इस इलाके में ‘निरहुआ’ जैसे हीरो और ‘निषाद पार्टी’ नये सहयोगी दलों पर ज्यादा भरोसा कर रही है. बेमेल तालमेल से साफ है कि भाजपा में पहले जैसे आत्मविश्वास नहीं है. गोरखपुर उप चुनाव में मिली हार ने भाजपा को हताशा से भर दिया है. ऐसे में क्या ‘निरहुआ’ जैसे नेता ही अकेला रास्ता थे ? पूर्वांचल में भाजपा ‘मोदी मैजिक’ के बजाय ‘निरहुआ इफेक्ट’ और दूसरे सहयोगी दलो के सहारे अपनी चुनावी नैया पार लगाना चाहती है.

उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल हिस्से के 10 जिलों में लोकसभा की 13 सीटें है. 2014 के चुनाव में भाजपा को यहां 12 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. भाजपा के लिये पूर्वांचल सबसे मजबूत गढ माना जाता है. यही की वाराणसी सीट से प्रधनमंत्राी नरेन्द्र मोदी सांसद है. वह 2019 का चुनाव भी यही से लड़ रहे है. पूर्वांचल को लेकर भाजपा भयभीत है. लोकसभा सीट के लिये गोरखपुर में हुई हार से पार्टी के मन में डर बैठ गया है.

यही वजह है कि गोरखपुर उपचुनाव जीतने वाली निषाद पार्टी के प्रवीण निषाद को भाजपा ने अपने साथ कर लिया है. इसके साथ ही साथ पूर्वांचल में ही भाजपा ने अपना दल और सुहेलदेव पार्टी के साथ तालमेल करके चुनाव मैदान में है.

2014 के चुनाव में पूर्वांचल की आजमगढ सीट पर समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव को जीत मिली थी. यही वह सीट थी जिसे भाजपा जीत नहीं पाई थी. इस चुनाव में आजमगढ से सपा नेता अखिलेश यादव मैदान में है. भाजपा ने अपने किसी नेता को टिकट देने के बजाय भोजपुरी फिल्मों के हीरो दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ पर भरोसा जताया है. भाजपा को लगता है कि अखिलेश और ‘निरहुआ’ दोनो यादव है जिसके कारण अखिलेश का यादव वोट आपस में बंट जायेगा. ‘निरहुआ’ अपनी हीरो वाली छवि के कारण दूसरे वर्ग लेने में सपफल होगा इससे वह जीत जायेगा.

पूर्वांचल के लोग कहते हैं ‘यहां के लोगों को भोजपुरी फिल्म, गाने और डांस भले ही बेहद पसंद हो पर वे नेता और अभिनेता के बीच फर्क रखना जानते हैं. इससे पहले गोरखपुर लोकसभा सीट पर योगी आदित्यनाथ को मुकाबला करने समाजवादी पार्टी की तरपफ से हीरो और गायक मनोज तिवारी चुनाव लडे थे. उनको भी यही लग रहा था कि अपने गाने और डांस के बल पर चुनाव जीत जायेगे. पूर्वांचल की जनता मनोज तिवारी को पसंद करती थी पर उसने नेता बनने लायक नहीं समझा था. मनोज तिवारी बाद में सपा छोड भाजपा में चले गये उसके बाद भी उनको पूर्वांचल के बजाये दिल्ली ने ही नेता बनाया.’

जिस दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ पर भाजपा ने दांव लगाया है वह पहले समाजवादी पार्टी के लिये चुनाव प्रचार कर चुका है. सपा नेता अखिलेश यादव ने उसे मुख्यमंत्राी पद पर रहते हुये ‘यश भारती’ सम्मान दिया था. सपा का प्रचार कर चुके ‘निरहुआ’ अब आजमगढ सीट पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव का मुकाबला भाजपा के टिकट पर कर रहे है. आजमगढ में ‘निरहुआ’ के क्रेज भले ही है पर उनको सांसद बनने लायक समर्थन नहीं मिल रहा है.

‘निरहुआ’ ऐसे हीरो है जो अपनी डबल मीनिंग वाले गानों के लिये याद किये जाते है. इनके कुछ गाने अश्लीलता के दायरों के पार चले गये है. भाजपा के स्थानीय नेता बताते है कि पूर्वांचल की 2 सीटों पर पार्टी ने अपने युवा कार्यकर्ताओं को पक्का भरोसा दिलाया था कि उनको टिकट मिलेगा. अब यहां वह अपनों से अध्कि बाहरी नेताओं पर भरोसा कर रही है. ऐसे में पार्टी के कार्यकर्ताओं में निराशा है. जिससे वह लोग भाजपा में आये बाहरी लोगों के साथ तालमेल नहीं कर पा रहे है.

भाजपा के कार्यकर्ता भी मानते हैं कि जब यहां मोदी मैजिक चल रहा था तो ‘निरहुआ’ जैसे विवादित लोगों को टिकट देने की क्या जरूरत थी ? जिनकी छवि भारतीय संस्कृति के खिलाफ है. इनके गाये गाने मां बेटी के साथ बैठ कर सुने नहीं जा सकते है.

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